एक नई रिपोर्ट के अनुसार, कर्नाटक और गुजरात स्वच्छ ऊर्जा ट्रांज़िशन की दौड़ में सबसे आगे बने हुए हैं। हालांकि, झारखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों को और प्रयास करने की जरूरत है।
इंस्टीट्यूट फॉर एनर्जी इकोनॉमिक्स एंड फाइनेंशियल एनालिसिस (आईईईएफए) और स्वच्छ ऊर्जा थिंक टैंक एम्बर की इस संयुक्त रिपोर्ट में उप-राष्ट्रीय स्तर पर स्वच्छ बिजली ट्रांज़िशन की तैयारियों का मूल्यांकन किया गया है।
रिपोर्ट के लेखकों ने कहा कि कर्नाटक और गुजरात ने सभी आयामों में अपना मजबूत प्रदर्शन जारी रखा है, नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को अपने पावर सेक्टर में प्रभावी ढंग से एकीकृत किया है, डीकार्बनाइजेशन में मजबूत प्रगति की है। लेकिन झारखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में सुधार की जरूरत है।
2023-24 में रिकॉर्ड स्तर पर बढ़ी भारत की अक्षय ऊर्जा क्षमता
मार्च 31, 2024 को समाप्त हुए पिछले वित्तीय वर्ष में भारत में स्थापित नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता 18.5 गीगावाट के वार्षिक स्तर तक पहुंच गई। भारत ने अकेले मार्च में रिकॉर्ड 7.1 गीगावाट स्थापित किए। रिस्टैड एनर्जी के एक अध्ययन में बताया गया है कि इस वृद्धि का श्रेय मुख्य रूप से सोलर इंस्टालेशंस को जाता है।
टाइम्स ऑफ इंडिया से बात करते हुए रिस्टैड एनर्जी में रिन्यूएबल्स एंड पावर रिसर्च के उपाध्यक्ष रोहित प्रदीप पटेल ने महत्वपूर्ण चुनौतियों पर प्रकाश डाला, जिसमें अधिक नवीकरणीय क्षमता के साथ आनेवाली उच्च इंटीग्रेशन लागत के साथ-साथ ग्रिड की स्थिरता सुनिश्चित करना भी शामिल है। “इसका एक समाधान स्वच्छ ऊर्जा के साथ लक्षित निर्यात को संतुलित करने में है…”
नई स्थापित क्षमता में 6.2 गीगावॉट से अधिक का योगदान अकेले सौर ऊर्जा का है। इंस्टालेशन में वृद्धि के कारण घरेलू सौर उपकरण की मांग में भी वृद्धि हुई है। मार्च 2024 तक भारत की सौर पैनल उत्पादन क्षमता 68 गीगावॉट थी।
अक्षय ऊर्जा क्षमता को तीन गुना करने के लिए चाहिए 12 ट्रिलियन डॉलर: अल जबेर
कॉप28 के अध्यक्ष सुल्तान अल जबेर ने कहा है कि 2030 तक वैश्विक नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को तीन गुना करने के लिए अगले छह वर्षों में नया इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करने के लिए कम से कम 12 ट्रिलियन डॉलर की जरूरत है। पीटर्सबर्ग जलवायु वार्ता को संबोधित करते हुए, अल जबेर ने कहा कि महत्वपूर्ण निवेश और क्लाइमेट फाइनेंस में वृद्धि के बिना एनर्जी ट्रांज़िशन संभव नहीं होगा।
उन्होंने कहा कि क्लाइमेट फाइनेंस को बढ़ाने के लिए चार प्रमुख प्राथमिकताएं हैं इंफ्रास्ट्रक्चर, टेक्नोलॉजी, पीपल और ग्लोबल साउथ।
“इंफ्रास्ट्रक्चर की बात करें तो हमें 2030 के 11 टेरावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता के लक्ष्य को पूरा करने के लिए अगले छह वर्षों में कम से कम 6 ट्रिलियन डॉलर का निवेश करने की जरूरत है। और हमें पुरानी ग्रिडों को अपग्रेड करने के लिए भी इतनी ही राशि खर्च करनी होगी,” उन्होंने कहा।
पिछले साल दुबई में हुए कॉप28 में 2030 तक वैश्विक नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को तीन गुना करने के लिए एक ऐतिहासिक समझौता किया गया था। अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी के अनुसार, ग्लोबल वार्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने के लिए महत्वपूर्ण है कि वैश्विक नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को तीन गुना और ऊर्जा दक्षता को दोगुना किया जाए।
वाराणसी में तैनात होंगे हरित हाइड्रोजन ईंधन सेल अंतर्देशीय जहाज
राष्ट्रीय जलमार्ग-I पर हरित हाइड्रोजन ईंधन सेल अंतर्देशीय जहाजों की तैनाती के लिए पायलट स्थान के रूप में वाराणसी को चुना गया है। पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय ने एक बयान में कहा गया है कि यह कदम सरकार के हरित नौका दिशानिर्देशों के अनुरूप है।
मंत्रालय ने कहा है कि बंकरिंग जैसी सुविधाओं के लिए संभावित भागीदारों के साथ चर्चा जारी है। चूंकि मेथनॉल से उत्सर्जन कम होता है, इसलिए इसे वैश्विक स्तर पर कार्गो जहाजों के लिए प्रमुख हरित ईंधनों में से एक माना जाता है, जैसा कि मेर्सक द्वारा मेथनॉल-संचालित जहाजों की तैनाती में देखा गया है, मंत्रालय ने कहा।
बयान में इस सुझाव का ज़िक़्र किया गया है कि अंतर्देशीय जहाजों के ग्रीन ट्रांज़िशन की दिशा में ऐसी प्रणाली पर विचार किया जाए जिससे मेथनॉल इंजन स्वदेश में विकसित किए जा सकें।
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