प्लास्टिक उत्पादन 40% घटाने के समझौते पर विचार कर रहे विभिन्न देश

प्लास्टिक पर अंतरसरकारी वार्ता समिति के चौथे सत्र (आईएनसी-4) में पहली बार 15 सालों में प्लास्टिक के वैश्विक उत्पादन को 40% तक कम करने का प्रस्ताव रखा गया। ओटावा में आयोजित इस संयुक्त राष्ट्र वार्ता में प्लास्टिक कचरे में कटौती के लिए एक संधि पर चर्चा की गई।

द गार्डियन की रिपोर्ट के अनुसार, दो देशों — रवांडा और पेरू — ने प्लास्टिक के उत्पादन से होने वाले भारी कार्बन उत्सर्जन सहित इसके हानिकारक प्रभावों को कम करने के लिए उत्पादन को सीमित करने का पहला ठोस प्रस्ताव रखा।

इस प्रस्ताव को महत्वाकांक्षी रूप से “नॉर्थ स्टार” कहा जा रहा है, जिसके तहत दुनिया भर में प्राइमरी प्लास्टिक पॉलिमर के उत्पादन में 2025 के मुकाबले 2040 तक 40% की कटौती की जाएगी।

इस बीच, भारत ने साफ कर दिया है कि प्लास्टिक प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए कानूनी रूप से बाध्यकारी एक वैश्विक समझौते का समर्थन वह तभी करेगा जब यह आम सहमति के माध्यम से लाया जाता है, न कि दो-तिहाई बहुमत के समर्थन से।

ओटावा की बैठक नवंबर में बुसान में होने वाले पांचवें सत्र (आईएनसी-5) से पहले, अंतर-सत्रीय कार्य पर समझौते के उन्नत मसौदे के साथ संपन्न हुई

पानी में मिले ऐसे तत्व जो बन सकते हैं दिल की बीमारी का कारण

एक नए अध्ययन में पीने के पानी में ऐसे जहरीले तत्व का पता चला है जो छानने और उबालने के बावजूद समाप्त नहीं होते हैं। डाइहैलोजेनेटेड नाइट्रोफेनोल्स (2,6-डीएचएनपी) नाम के इस पदार्थ की वजह से दिल पर असर पड़ सकता है। जेब्राफिश नाम की एक मछली पर किए गए एक अध्ययन में यह बात पता चली है। जेब्राफिश में इंसानों जैसी कई समानताएं होती हैं, जिस वजह से इन पर मेडिकल रिसर्च किया जाता है।

अध्ययन में पाया गया कि पानी एक लीटर में डाइहैलोजेनेटेड नाइट्रोफेनोल्स की 19 माइक्रोग्राम की मात्रा मिलने से जेब्राफिश के भ्रूण पर गंभीर कार्डियोटॉक्सिक असर पड़ सकता है। दरअसल 2,6-डीएचएनपी, कीटाणुशोधन उत्पाद (डीबीपी) का एक समूह है, जो सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए खतरे की घंटी बजा रहा है। जो कई अन्य प्रदूषकों की तुलना में अधिक कठोर और जहरीले होते हैं, जिनसे छुटकारा पाना आसान नहीं होता।

तापमान के साथ बढ़ रहा है एनसीआर में ग्राउंड लेवल ओजोन का स्तर: सीपीसीबी

दिल्ली-एनसीआर का तापमान 40 डिग्री सेल्सियस पहुंचने के साथ, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने एनसीआर के कई हिस्सों में बढ़ते ग्राउंड लेवल ओजोन के लिए अलर्ट जारी किया है। सीपीसीबी डेटा के अनुसार, एनसीआर ने आठ घंटों के लिए 100 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर के राष्ट्रीय परिवेशी वायु गुणवत्ता मानक को पार किया। ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, सुबह 11 बजे से शाम 6 बजे के बीच इसके स्तर में अधिकतम वृद्धि दर्ज की गई। 

प्राधिकरण ने छह प्रमुख वायु गुणवत्ता मॉनिटरिंग स्टेशनों की पहचान की है। इसके अतिरिक्त, इसने हरियाणा और यूपी के अधिकारियों को गुरुग्राम, फरीदाबाद, नोएडा और गाजियाबाद में अपने मॉनिटरिंग स्टेशनों को टैप करने और संवेदनशील स्टेशनों की पहचान करने के लिए कहा है, क्योंकि बढ़ते तापमान के साथ ओजोन का स्तर और बढ़ने की भविष्यवाणी की गई है।

ग्राउंड लेवल के पास ओजोन की बढ़े स्तर से सांस की नली में जलन हो सकती है, फेफड़ों की बीमारी भी बढ़ सकती है, और श्वसन प्रणाली में संक्रमण से लड़ने की प्रतिरक्षा क्षमता कम होती है।

गंगा प्रदूषण: अधूरी रिपोर्ट सौंपने पर एनजीटी ने झारखंड के 4 जिलाधिकारियों पर लगाया जुर्माना

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने गंगा के प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण के संबंध में ‘अधूरी रिपोर्ट’ प्रस्तुत करने के लिए झारखंड के चार जिलाधिकारियों पर 10,000 रुपए का जुर्माना लगाया है

एनजीटी ने गंगा और उसकी सहायक नदियों में प्रदूषण को कम करने के मामला में झारखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड से विशेष जानकारी मांगी थी।

“इन चार जिलाधिकारियों ने ट्रिब्यूनल के पहले के आदेश का स्पष्ट रूप से पालन नहीं किया है, और अधूरी रिपोर्ट जमा की है। इसलिए, हम इन चार जिला मजिस्ट्रेटों में से हर एक को 10,000 रुपए जमा करने के लिए चार सप्ताह का समय देते हैं,” ट्रिब्यूनल ने कहा।

एनजीटी मामले को अगली सुनवाई 19 जुलाई को करेगी।

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