उद्योगों के लिए इमीशन टार्गेट: सरकार ने जारी किया ड्राफ्ट नोटिफिकेशन 

मोंगाबे में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफसीसी) ने उच्च-उत्सर्जकों के लिए उत्सर्जन तीव्रता लक्ष्य निर्धारित करने के लिए एक ड्राफ्ट नोटिफिकेशन जारी किया है, जो देश के पहले अनुपालन-आधारित कार्बन बाजार को अंतिम रूप देने की दिशा में एक कदम है, जिसे 2026 में लॉन्च किए जाने की उम्मीद है। 

अधिसूचना में सूचीबद्ध औद्योगिक इकाइयों के लिए कम उत्सर्जन लक्ष्य को पूरा करना अनिवार्य कर दिया गया है। जो इकाइयाँ दिए गए लक्ष्य से अधिक उत्सर्जन घटाती हैं, वे क्रेडिट पाने की हकदार होंगी जिन्हें वो कार्बन बाज़ार में बेच सकती हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि जो इकाइयाँ अपने लक्ष्यों को पूरा नहीं कर पातीं, वे अपने लक्ष्यों को पूरा करने के लिए ये क्रेडिट खरीद सकती हैं।

यदि उद्योग नियमों का पालन करने में विफल रहते हैं, तो केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) द्वारा जुर्माना लगाया जाएगा। रिपोर्ट में आगे कहा गया है, “वर्तमान स्थिति के अनुसार, 282 औद्योगिक इकाइयों को इन नए लक्ष्यों को पूरा करना अनिवार्य है, जो एल्युमीनियम, सीमेंट, क्लोर-अल्कली और पल्प और पेपर क्षेत्रों में हैं। सीमेंट क्षेत्र – जो भारत के कार्बन उत्सर्जन का 5.8% हिस्सा है – में लक्ष्य को पूरा करने वाले सबसे अधिक उद्योग (186) हैं।”

सरकार बाद में उर्वरक, लोहा, इस्पात, पेट्रोकेमिकल्स और पेट्रोलियम रिफाइनरी क्षेत्रों को भी इसमें शामिल करने की योजना बना रही है। बाध्य उद्योगों की सूची से बिजली क्षेत्र स्पष्ट रूप से गायब है, जो भारत का सबसे बड़ा उत्सर्जक है, जो 39.2% कार्बन उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार है।

दिल्ली के 37 में 12 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट मानकों को पूरा करने में फेल 

दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) के बारह सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) निर्धारित मानकों को पूरा नहीं कर रहे हैं। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में दिल्ली जल बोर्ड के कुल 37 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) हैं। डाउन टु अर्थ मैग्ज़ीन में प्रकाशित ख़बर में कहा गया है कि डीजेबी द्वारा राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण को सौंपे गए आंकड़ों के अनुसार, इनमें से 25 सभी निर्धारित मानकों को पूरा कर रहे हैं और पूरी क्षमता से चल रहे हैं। 

रिपोर्ट में कहा गया है कि दिल्ली जल बोर्ड द्वारा अपनी वेबसाइट पर अपडेट किए गए डेटा की दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) द्वारा लगातार निगरानी की जाती है। एनजीटी के 22 नवंबर, 2024 के आदेश के अनुपालन में दायर हलफनामे में डीजेबी ने 8 मई, 2025 को यह बात कही। ट्रिब्यूनल यमुना नदी के किनारे डीजेबी द्वारा स्थापित एसटीपी के ठीक से काम न करने की शिकायतों की जांच कर रहा है।

जंगलों की आग का धुंआं शहरी वायु प्रदूषण से अधिक ख़तरनाक, एक अरब घरों में इसका प्रभाव 

एक नए शोध के अनुसार, 2005 से अब तक हर साल जंगल की आग से होने वाला जहरीला प्रदूषण एक अरब से ज़्यादा लोगों के घरों में प्रवेश कर चुका है। वैज्ञानिकों ने कहा कि जलवायु संकट गर्मी और सूखे को बढ़ाकर जंगल की आग के जोखिम को बढ़ा रहा है, जिससे जंगल की आग के धुएं का मुद्दा एक “जटिल वैश्विक मुद्दा” बन गया है।

अंग्रेज़ी अख़बार गार्डियन के मुताबिक ने कहा कि जंगल की आग से पैदा होने वाले छोटे कण हज़ारों मील की दूरी तय कर सकते हैं और शहरी वायु प्रदूषण की तुलना में ज़्यादा ज़हरीले माने जाते हैं, क्योंकि उनमें सूजन पैदा करने वाले रसायनों की सांद्रता ज़्यादा होती है। आउटलेट के अनुसार, जंगल की आग के प्रदूषण से समय से पहले मृत्यु, दिल और सांस की बीमारियों का बिगड़ना और समय से पहले जन्म होने की संभावना बढ़ गई है।

रिपोर्ट में बताया गया है कि पिछले अध्ययनों में जंगल की आग के धुएं के संपर्क में आने वाले लोगों के बारे में बताया गया था, लेकिन लोग अपना ज़्यादातर समय घर के अंदर ही बिताते हैं, खास तौर पर जंगल की आग से बचने के लिए। नया विश्लेषण जंगल की आग के प्रदूषण में घर के अंदर होने वाले बदलावों का पहला वैश्विक अध्ययन है जिसमें हाइ रेजल्यूशन तकनीक प्रयोग में लाई गई।

निर्माण और डिमॉलिशन के लिए रिसाइकिलिंग अनिवार्य, निर्माता होगा ज़िम्मेदार 

पर्यावरण मंत्रालय ने निर्माण और डिमॉविशन सेक्टर में अनिवार्य रिसाइकिलिंग लक्ष्य के लिए एक्सटेंडेड प्रोड्यूसर रिस्पॉन्सिबिलिटी (ईपीआर) के नियम बनाये हैं।   

नए अधिसूचित पर्यावरण (कंस्ट्रक्शन और डिमॉविशन) अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2025 के तहत, अधिकारियों को अब सभी निर्माण परियोजनाओं के लिए अनुमोदन में वेस्ट रिसाइकिलिंग के प्रावधानों को शामिल करना आवश्यक है। नियमों में अनिवार्य किया गया है कि निर्माण, पुनर्निर्माण और विध्वंस परियोजनाओं में ईपीआर लक्ष्यों को अपशिष्ट प्रबंधन योजना के माध्यम से विनियमित किया जाना चाहिए।

ईपीआर लक्ष्यों की गणना करते समय, सीमेंट कंक्रीट, ईंटें, प्लास्टर, पत्थर, मलबे और चीनी मिट्टी जैसे मलबे पर विचार किया जाएगा। हालाँकि, पुनः उपयोग योग्य या पुनः बिक्री योग्य सामग्री, जैसे लोहा, लकड़ी, प्लास्टिक, धातु और कांच, को ईपीआर लक्ष्यों में नहीं गिना जाएगा।

नए नियमों के अनुसार 20,000 वर्ग मीटर या उससे अधिक निर्मित क्षेत्र वाली परियोजनाओं और सड़क निर्माण परियोजनाओं के लिए प्रोसेस्ड अपशिष्ट (वेस्ट) का उपयोग करना अनिवार्य है। इन नियमों का ठीक से पालन हो इसके लिए स्थानीय प्राधिकरण जिम्मेदार होंगे।

Website | + posts

दो साल पहले, हमने अंग्रेजी में एक डिजिटल समाचार पत्र शुरू किया जो पर्यावरण से जुड़े हर पहलू पर रिपोर्ट करता है। लोगों ने हमारे काम की सराहना की और हमें प्रोत्साहित किया। इस प्रोत्साहन ने हमें एक नए समाचार पत्र को शुरू करने के लिए प्रेरित किया है जो हिंदी भाषा पर केंद्रित है। हम अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद नहीं करते हैं, हम अपनी कहानियां हिंदी में लिखते हैं।
कार्बनकॉपी हिंदी में आपका स्वागत है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.