प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों में 46% पद रिक्त, राज्य और केंद्र शासित प्रदेश चूक गए एनजीटी की समय सीमा

भारत के राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और समितियां, अपने यहां रिक्त लगभग 46% पदों को भरने के लिए राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) की 30 अप्रैल की समय सीमा को पूरा करने में विफल रहीं। इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित ख़बर के मुताबिक केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) द्वारा एनजीटी को सौंपी गई रिपोर्ट से पता चला है कि 26 राज्यों और आठ केंद्र शासित प्रदेशों में स्वीकृत 11,606 पदों में से 5,401 पद (या 46.53%) रिक्त हैं।

सीपीसीबी की स्टेटस रिपोर्ट एक सुओ मोटो मामले के तहत दायर की गई थी, जिसमें एनजीटी राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एसपीसीबी), प्रदूषण नियंत्रण समितियों (पीसीसी) और सीपीसीबी में रिक्त पदों को भरने और पर्याप्त बुनियादी ढांचे के निर्माण के मुद्दे पर विचार कर रहा है।

हलफनामे में बताया गया है कि कुछ सबसे अधिक औद्योगिक राज्य – महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश – और कुछ सबसे अधिक आबादी वाले राज्य – बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान – में प्रदूषण निगरानी निकायों में बड़ी संख्या में रिक्तियां हैं। बिहार में 90.47% रिक्त पद हैं, उसके बाद उत्तराखंड (72.62% रिक्त पद), आंध्र प्रदेश (71%), गुजरात (60.92%), कर्नाटक (62.65%), मध्य प्रदेश (63.02%) और ओडिशा (60.04%) हैं।

गुजरात में बढ़ते ई-कचरे से निपटने के लिए GEDA ने सौर अपशिष्ट पुनर्चक्रण के लिए निविदाएँ आमंत्रित कीं

गुजरात ऊर्जा विकास एजेंसी (GEDA) ने राज्य में सोलर कचरे को रिसाइकिल करने के लिए निविदाएँ आमंत्रित कीं। डाउन टु अर्थ के मुताबिक इस पहल के तहत, विभिन्न शोध संगठन सौर और इलेक्ट्रॉनिक कचरे से निकाले गए मूल्यवान पदार्थों की जांच करेंगे। उल्लेखनीय है कि गुजरात भारत में सबसे अधिक संख्या में सौर मॉड्यूल निर्माताओं का घर है और यहाँ कई बड़े पैमाने पर सौर परियोजनाएँ हैं।

GEDA ने तकनीकी और वित्तीय रूप से सक्षम फर्मों को सौर पैनलों और ई-कचरे में पाए जाने वाले सिलिकॉन, तांबा, चांदी, एल्यूमीनियम और दुर्लभ धातुओं जैसे रिसाइकिल किये जाने योग्य पदार्थों पर व्यवहार्यता रिपोर्ट और शोध अध्ययन प्रस्तुत करने के लिए आमंत्रित किया है।

इस योजना के तहत सेपरेशन तकनीकों का परीक्षण करने के लिए बड़े पैमाने पर कचरे, विशेष रूप से क्षतिग्रस्त सौर मॉड्यूल का नमूना लेना शामिल होगा। अध्ययन सुरक्षित विघटन, विनियामक अनुपालन, पर्यावरण मानकों और श्रमिक सुरक्षा प्रोटोकॉल पर दिशा-निर्देशों में भी योगदान देगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि इसके अतिरिक्त, एक नियामक निकाय मौजूदा राष्ट्रीय और राज्य कानूनों का आकलन करेगा, गुजरात में सोलर वेस्ट रिसाइकिलिंग के बुनियादी ढांचे को सक्षम करने के लिए नीतिगत बदलावों की सिफारिश करेगा। 

केरल तट पर डूबा लाइबेरियन जहाज, खतरनाक रसायनों से पर्यावरण पर खतरा

केरल तट के पास 24 मई 2025 को लाइबेरिया का मालवाहक जहाज एमएससी एल्सा-3 के डूबने से पर्यावरणीय संकट उत्पन्न हो गया है

जहाज पर 643 कंटेनर थे, जिनमें 13 में खतरनाक रसायन और 12 में कैल्शियम कार्बाइड था, साथ ही 84.44 मीट्रिक टन डीजल और 367.1 मीट्रिक टन फर्नेस ऑयल भी था।

डूबने के चार दिन बाद, छोटे प्लास्टिक नर्डल्स और अन्य अपशिष्ट केरल और तमिलनाडु के तटों पर बहकर आने लगे हैं। ये नर्डल्स समुद्री जीवन के लिए खतरनाक हैं, क्योंकि वे मछली के अंडों जैसे दिखते हैं और समुद्री जीव इन्हें निगल सकते हैं।

केरल सरकार ने सफाई अभियान शुरू किया है, जिसमें ड्रोन सर्वे और स्वयंसेवकों की मदद से तटीय क्षेत्रों से अपशिष्ट एकत्र किया जा रहा है।

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