संयुक्त राष्ट्र क्लाइमेट वार्ता के दौरान भारत ‘क्लाइमेट जस्टिस’ और ‘इक्विटी’ के सिद्धांतों पर जोर देते हुए ग्लोबल साउथ को फायदा पहुंचाने का समर्थन करेगा; और अपने जी20 के एजेंडे को लेकर आगे बढ़ेगा।
जीवाश्म ईंधन का वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में 75 प्रतिशत से अधिक योगदान है, और पूरी दुनिया में इसे फेजआउट करने का दबाव बढ़ रहा है। उम्मीद की जा रही है कि इस सम्मलेन में फेजआउट को लेकर चर्चा होगी। हालांकि खबरों के अनुसार भारत नहीं चाहता कि इस तरह की कोई घोषणा को कॉप की प्रस्तावना में सम्मिलित किया जाए। भारत की 70% बिजली अभी भी कोयले से उत्पन्न होती है और इसका उत्सर्जन अभी अपनी चरम सीमा पर नहीं पहुंचा है।
हालांकि भारत वैश्विक अक्षय ऊर्जा क्षमता को तीन गुना बढ़ाने का समर्थन करता है, लेकिन इसका मानना है कि नवीकरणीय ऊर्जा से जुड़े घोषणापत्र में जीवाश्म ईंधन का उल्लेख नहीं होना चाहिए। भारत कॉप28 के लिए प्रस्तावित ग्लोबल कूलिंग प्लेज पर भी हस्ताक्षर करने का इच्छुक नहीं है। इस प्रतिज्ञा के अनुसार, 2050 तक सभी क्षेत्रों में कूलिंग से संबंधित उत्सर्जन को (2022 के स्तर की तुलना में) 68% तक कम करना होगा।
जीवाश्म ईंधन का “अंधाधुंध” प्रयोग बंद करने का अमेरिका करेगा समर्थन
अमेरिकी जलवायु दूत जॉन केरी ने कहा है कि अमेरिका संयुक्त राष्ट्र जलवायु शिखर सम्मेलन (कॉप28) के दस्तावेज़ में जीवाश्म ईंधन के “अंधाधुंध” प्रयोग को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने की भाषा का समर्थन करेगा। केरी ने कहा कि 2050 तक नेट-जीरो प्राप्त करने के लिए जीवाश्म ईंधन के “अंधाधुंध” प्रयोग में तेजी से कटौती की जाएगी। हालांकि उन्होंने इस फेजआउट के लिए कोई समयसीमा नहीं बताई।
केरी ने कहा, “हमने पहले भी जीवाश्म ईंधन के अंधाधुंध प्रयोग को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने का समर्थन किया है है, और इसका समर्थन करना जारी रखेंगे। हमने जी7 में इसका समर्थन किया था और हम अब भी इसका समर्थन करते हैं। हमारे लिए यह समझना कठिन है कि हम जिस दुनिया में रह रहे हैं, वहां जीवाश्म ईंधन के बेरोकटोक प्रयोग की इजाजत कैसे दी जा सकती है, जबकि हम खतरों के बारे में जानते हैं।”
इस साल जीवाश्म ईंधन से मिली दुनिया की 60% बिजली
दुनिया की सभी प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ाने के प्रयासों के बीच, ताजा आंकड़े बताते हैं कि इस साल अब तक दुनिया भर में 60% बिजली का उत्पादन जीवाश्म ईंधन द्वारा किया गया था। थिंकटैंक एम्बर के आंकड़ों के अनुसार, इस साल कई प्रमुख देशों ने अपनी आधी से अधिक बिजली जीवाश्म ईंधन से प्राप्त की है, जिनमें संयुक्त राज्य अमेरिका (59%), चीन (65%), भारत (75%), जापान (63%), पोलैंड (73%) और तुर्की (57%) प्रमुख हैं।
एम्बर के डेटा से पता चलता है कि पिछले आठ महीनों में पूरी दुनिया में किसी भी अन्य स्रोत की तुलना में कोयले से अधिक बिजली पैदा की गई। अगस्त के दौरान दुनिया भर में लगभग 36% बिजली कोयला संयंत्रों से प्राप्त की गई, जो 2022 की इसी अवधि की तुलना में थोड़ा ही कम है।
कुल बिजली उत्पादन मिश्रण में कोयले की हिस्सेदारी 2019 में यूरोप में लगभग 16% और उत्तरी अमेरिका में 21% थी, जो इस साल घटकर यूरोप और उत्तरी अमेरिका दोनों में लगभग 14% हो गई है। एशिया में कोयले की हिस्सेदारी लगभग 56% थी, जो काफी हद तक अपरिवर्तित रही है।
दो साल पहले, हमने अंग्रेजी में एक डिजिटल समाचार पत्र शुरू किया जो पर्यावरण से जुड़े हर पहलू पर रिपोर्ट करता है। लोगों ने हमारे काम की सराहना की और हमें प्रोत्साहित किया। इस प्रोत्साहन ने हमें एक नए समाचार पत्र को शुरू करने के लिए प्रेरित किया है जो हिंदी भाषा पर केंद्रित है। हम अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद नहीं करते हैं, हम अपनी कहानियां हिंदी में लिखते हैं।
कार्बनकॉपी हिंदी में आपका स्वागत है।
आपको यह भी पसंद आ सकता हैं
-
ट्रम्प ने फिर शुरु की तेल और गैस कारोबार में तेज़ी की मुहिम
-
जीवाश्म ईंधन कंपनियों से 75 बिलियन डॉलर वसूलेगा न्यूयॉर्क
-
भारत के नेट जीरो लक्ष्य पर कोयला आधारित स्टील निर्माण का खतरा: रिपोर्ट
-
छत्तीसगढ़: जनजाति आयोग की रिपोर्ट में कोयला खनन के लिए अनुमति में फर्ज़ीवाड़े का आरोप
-
कोयले का प्रयोग बंद करने के लिए भारत को चाहिए 1 ट्रिलियन डॉलर