केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण और वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी आम बजट पेश करने से पहले राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के साथ। फोटो: @rashtrapatibhvn/X

पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन की नज़र से बजट की प्रमुख बातें

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने अपने तीसरे कार्यकाल का पहला बजट मंगलवार को पेश किया। साल 2024-25 का आम बजट पेश करते हुए वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने भाषण में जलवायु परिवर्तन के कुछ पहलुओं — जैसे रेसिलिएंस और अडॉप्टेशन — को छुआ। 

वित्तमंत्री ने बिहार, असम, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और सिक्किम में आकस्मिक बाढ़, बादल फटने और भूस्खलन से हुए नुकसान का ज़िक्र करते हुए इन क्षेत्रों में पुनर्वास और पुनर्निर्माण कार्यों के लिए सहायता देने का वादा किया, लेकिन यह सहायता कैसी होगी, इसका विवरण भाषण में नहीं था।

पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना और पंप स्टोरेज का इस बार भी उल्लेख हुआ, जो दर्शाता है कि नई सरकार में ऊर्जा बदलाव के संबंध में भारत की नीतियों में अधिक परिवर्तन नहीं होगा।

पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन के नज़रिए से के बजट की कुछ महत्वपूर्ण बातें इस प्रकार हैं:

जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से लड़ने में धन की बेहतर उपलब्धता के लिए सरकार क्लाइमेट फाइनेंस की एक (टेक्सोनॉमी) वर्गीकरण विकसित करेगी। इससे जलवायु परिवर्तन के साथ अनुकूलन (अडॉप्टेशन) और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने के लिए धन की उपलब्धता में सुधार होगा।

केंद्र सरकार ने पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को कुल 3,330 करोड़ का बजट आवंटित किया है जो पिछले साल के दिए गए बजट से करीब 250 करोड़ अधिक है।

सरकार ने प्रदूषण नियंत्रण के लिए 858.5 करोड़ रुपए आवंटित किए हैं। पिछले वित्त वर्ष में, इसके लिए 756 करोड़ रुपए आवंटित किए गए थे।

वित्त मंत्री ने घोषणा की कि सरकार उचित ऊर्जा बदलाव के तरीकों पर एक नीति दस्तावेज़ तैयार करेगी, जिसका उद्देश्य होगा रोजगार और सस्टेनेबिलिटी के साथ विकास का संतुलन। उन्होंने अपने बजट भाषण में कहा कि भारत की एनर्जी ट्रांज़िशन योजना छोटे मॉड्यूलर परमाणु रिएक्टरों, पंप-भंडारण परियोजनाओं और अधिक कुशल थर्मल संयंत्रों को विकसित करने पर केंद्रित होगी। उन्होंने कहा कि सरकार भारत के ऊर्जा मिश्रण में परमाणु ऊर्जा की हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए छोटे मॉड्यूलर रिएक्टर (एसएमआर) विकसित करने और उन्नत प्रौद्योगिकियों पर शोध करने के लिए निजी कंपनियों के साथ सहयोग करेगी।

बजट भाषण में ऐसे उद्योगों के लिए एक रोडमैप बनाने का उल्लेख किया गया जिनमें उत्सर्जन में कटौती करना मुश्किल है। उन्हें ऊर्जा दक्षता लक्ष्य की बजाय “उत्सर्जन लक्ष्य” दिए जाएंगे।

बजट में कृषि अनुसंधान और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने और राष्ट्रीय सहयोग नीति सहित कई उपायों की घोषणा की गई है। वित्तमंत्री सीतारमण ने कहा कि सरकार उत्पादकता बढ़ाने और जलवायु अनुकूल किस्मों को विकसित करने पर ध्यान केंद्रित करने के लिए कृषि अनुसंधान सेटअप की व्यापक समीक्षा करेगी।

सीतारमण ने कहा कि सौर ऊर्जा ट्रांज़िशन “जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में महत्वपूर्ण” है। उन्होंने देश में सोलर सेल और पैनलों के निर्माण में उपयोग के लिए छूट प्राप्त पूंजीगत वस्तुओं की सूची में विस्तार करने का प्रस्ताव रखा।

सरकार ने तांबे और लिथियम जैसे महत्वपूर्ण खनिजों के घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने, उनकी रीसाइकिलिंग के साथ-साथ विदेशों में ऐसी संपत्तियों के अधिग्रहण के लिए एक मिशन शुरू करने का प्रस्ताव रखा है। यह खनिज पवन टरबाइन और बिजली नेटवर्क से लेकर इलेक्ट्रिक वाहनों जैसी तेजी से बढ़ती स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियों के लिए आवश्यक हैं।

निकल और कोबाल्ट जैसे 25 महत्वपूर्ण खनिजों पर सीमा शुल्क में पूरी तरह छूट देने का निर्णय लिया गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे ईवी बैटरी निर्माण की लागत कम होगी और इलेक्ट्रिक वाहनों के दाम घटेंगे। 

सरकार ने इलेक्ट्रिक मोबिलिटी प्रमोशन स्कीम (ईएमपीएस) की भी घोषणा की, जिसके लिए अप्रैल से जुलाई के बीच 493.55 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे और 3.72 लाख इलेक्ट्रिक वाहनों को समर्थन दिया जाएगा।

जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग के लिए आवंटित कुल बजट बढ़कर 30,233.83 करोड़ रुपए हो गया है। प्रमुख सिंचाई परियोजनाओं और नमामि गंगे मिशन- II के लिए आवंटन में इज़ाफ़ा हुआ है।

प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना और राष्ट्रीय नदी संरक्षण योजना को क्रमशः 9,339.37 करोड़ रुपए और 592.11 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं, जो पिछले वित्तीय वर्ष से काफी अधिक है।

पेयजल एवं स्वच्छता विभाग को 77,390.68 करोड़ रुपए का बजटीय आवंटन मिला है, जो बजट 2023-2024 में घोषित 77,032.65 करोड़ रुपए के संशोधित अनुमान से केवल 0.5 प्रतिशत अधिक है। पेयजल और स्वच्छता विभाग के लिए इस वित्तीय वर्ष के आवंटन का एक बड़ा हिस्सा जल जीवन मिशन (जेजेएम) के लिए दिया गया है।

केंद्र सरकार राज्यों और बहुपक्षीय विकास बैंकों के साथ मिलकर 100 बड़े शहरों में जल आपूर्ति, सीवेज उपचार और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन परियोजनाओं और सेवाओं को बढ़ावा देगी।

सरकार ने इस वित्तीय वर्ष के लिए आठ सरकारी बिजली कंपनियों द्वारा अंतरिम दस्तावेज़ में प्रस्तावित 67,286.01 करोड़ रुपए के पूंजी निवेश में लगभग 14 प्रतिशत की वृद्धि बरकरार रखी है।

हालांकि सरकार ने राज्य के स्वामित्व वाले रिटेल तेल विक्रेताओं को दी जाने वाली 30,000 करोड़ रुपये के इक्विटी निवेश की योजना को रद्द कर दिया है।

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