किसी भी देश ने 1.5 डिग्री सेल्सियस के लक्ष्य के अनुरूप तेल, गैस और कोयला उत्पादन में कटौती करने की प्रतिबद्धता नहीं जताई है।

ग्लोबल वार्मिंग की सीमा से दोगुना जीवाश्म ईंधन उत्पादन करेंगे भारत समेत 20 देश: यूएन रिपोर्ट

धरती की तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने के लिए 2030 तक जितना जीवाश्म ईंधन उत्पादन होना चाहिए, दुनिया के 20 देश उससे 110% अधिक उत्पादन करने की राह पर हैं। यूनाइटेड नेशंस एनवायरनमेंट प्रोग्राम (यूएनईपी) समर्थित विचार मंचों की ताजा रिपोर्ट में यह बात सामने आई है।

बुधवार को जारी की गई ‘प्रोडक्शन गैप रिपोर्ट’ में 20 बड़े जीवाश्म ईंधन उत्पादक देशों के उत्पादन की समीक्षा की गई है। इन 20 में से 17 देशों ने पेरिस समझौते के अंतर्गत नेट-जीरो उत्सर्जन हासिल करने की प्रतिबद्धता जताई है।

रिपोर्ट के इस चौथे संस्करण में कहा गया है कि 2030 तक तेल और गैस के वार्षिक उत्पादन में क्रमशः 27% और 25% की वृद्धि होने का अनुमान है, जबकि 2050 तक यह वृद्धि क्रमशः 29% और 41% हो सकती है।

कोयले को लेकर रिपोर्ट में कहा गया है कि 2020 से 2030 के बीच कोयला उत्पादन 10 प्रतिशत बढ़ेगा, लेकिन इसके बाद 2050 तक इसमें 41% की गिरावट होगी। 2030 तक होनेवाली इस वृद्धि में भारत, इंडोनेशिया और रूस सबसे आगे रहेंगे। यह देश 2030 तक कोयला उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि की योजना बना रहे हैं। रिपोर्ट कहती है कि फिलहाल भारत ऊर्जा आत्मनिर्भरता और आजीविका पैदा करने के लिए कोयला उद्योग को सबसे महत्वपूर्ण मानता है

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि हालांकि भारत ने नवीकरणीय ऊर्जा के लिए महत्वाकांक्षी लक्ष्य तय किए हैं और इसके लिए महत्वपूर्ण निवेश भी किए हैं, लेकिन जीवाश्म ईंधन उत्पादन को व्यवस्थित रूप से समाप्त करने की कोई सरकारी नीति अभी तक नहीं बनी है। लेकिन इस मामले में भारत अकेला नहीं है, बल्कि रिपोर्ट के अनुसार इन 20 देशों में से किसीने 1.5 डिग्री सेल्सियस के लक्ष्य के अनुरूप तेल, गैस और कोयला उत्पादन में कटौती करने की प्रतिबद्धता नहीं जताई है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि देशों को 2040 तक कोयला उत्पादन और उपयोग को लगभग पूरी तरह से समाप्त करने का लक्ष्य रखना चाहिए, और 2050 तक तेल और गैस के उत्पादन और उपयोग में 2020 के स्तर के मुकाबले तीन-चौथाई की कटौती करनी चाहिए। अगस्त 2022 में संशोधित भारत के एनडीसी लक्ष्यों के अनुसार देश 2005 के स्तर की तुलना में 2030 तक अपने उत्सर्जन में 45% की कटौती करेगा, ऊर्जा क्षमता में गैर-जीवाश्म स्रोतों की हिस्सेदारी को 50% तक बढ़ाएगा।

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