भारत में रेड सेंडर्स यानी लाल चंदन को विलुप्त होती प्रजातियों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार कन्वेंशन के तहत समीक्षा से छूट मिल गई है। इसे पूर्वी घाट के इलाकों में विशेषकर आंध्र प्रदेश में उगाया जाता है। समीक्षा में छूट से निर्यात के लिये इस प्रजाति का वृक्षारोपण करने वाले किसानों को फायदा होगा क्योंकि लाल चंदन बहुमूल्य प्रजाति है जिसकी अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में अच्छी कीमत मिलती है।
भारत 2004 से ही रेड महत्वपूर्ण व्यापार की समीक्षा (आरसीटी) समीक्षा सूची में है लेकिन पर्यावरण मंत्री भूपेन्द्र यादव ने कहा है कि नियमों के पालन और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को लगातार जानकारी उपलब्ध कराने की वजह से भारत को इस समीक्षा सूची से हटा लिया गया है।
ग्लोबल वार्मिंग की सीमा से दोगुना जीवाश्म ईंधन उत्पादन करेंगे भारत समेत 20 देश: यूएन रिपोर्ट
धरती की तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने के लिए 2030 तक जितना जीवाश्म ईंधन उत्पादन होना चाहिए, दुनिया उससे 110% अधिक उत्पादन करने की राह पर है। यूनाइटेड नेशंस एनवायरनमेंट प्रोग्राम (यूएनईपी) समर्थित विचार मंचों की ताजा रिपोर्ट में यह बात सामने आई है।
बुधवार को जारी की गई ‘प्रोडक्शन गैप रिपोर्ट‘ में 20 बड़े जीवाश्म ईंधन उत्पादक देशों के उत्पादन की समीक्षा की गई है। इन 20 में से 17 देशों ने पेरिस समझौते के अंतर्गत नेट-जीरो उत्सर्जन हासिल करने की प्रतिबद्धता जताई है।
रिपोर्ट के इस चौथे संस्करण में कहा गया है कि 2030 तक तेल और गैस के वार्षिक उत्पादन में क्रमशः 27% और 25% की वृद्धि होने का अनुमान है, जबकि 2050 तक यह वृद्धि क्रमशः 29% और 41% हो सकती है।
कोयले को लेकर रिपोर्ट में कहा गया है कि 2020 से 2030 के बीच कोयला उत्पादन 10 प्रतिशत बढ़ेगा, लेकिन इसके बाद 2050 तक इसमें 41% की गिरावट होगी। 2030 तक होनेवाली इस वृद्धि में भारत, इंडोनेशिया और रूस सबसे आगे रहेंगे। यह देश 2030 तक कोयला उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि की योजना बना रहे हैं। रिपोर्ट कहती है कि फिलहाल भारत ऊर्जा आत्मनिर्भरता और आजीविका पैदा करने के लिए कोयला उद्योग को सबसे महत्वपूर्ण मानता है।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि हालांकि भारत ने नवीकरणीय ऊर्जा के लिए महत्वाकांक्षी लक्ष्य तय किए हैं और इसके लिए महत्वपूर्ण निवेश भी किए हैं, लेकिन जीवाश्म ईंधन उत्पादन को व्यवस्थित रूप से समाप्त करने की कोई सरकारी नीति अभी तक नहीं बनी है। लेकिन इस मामले में भारत अकेला नहीं है, बल्कि रिपोर्ट के अनुसार इन 20 देशों में से किसीने 1.5 डिग्री सेल्सियस के लक्ष्य के अनुरूप तेल, गैस और कोयला उत्पादन में कटौती करने की प्रतिबद्धता नहीं जताई है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि देशों को 2040 तक कोयला उत्पादन और उपयोग को लगभग पूरी तरह से समाप्त करने का लक्ष्य रखना चाहिए, और 2050 तक तेल और गैस के उत्पादन और उपयोग में 2020 के स्तर के मुकाबले तीन-चौथाई की कटौती करनी चाहिए। अगस्त 2022 में संशोधित भारत के एनडीसी लक्ष्यों के अनुसार देश 2005 के स्तर की तुलना में 2030 तक अपने उत्सर्जन में 45% की कटौती करेगा, ऊर्जा क्षमता में गैर-जीवाश्म स्रोतों की हिस्सेदारी को 50% तक बढ़ाएगा।
चीन की मीथेन उत्सर्जन पर योजना लेकिन घटाने के लक्ष्य तय नहीं
चीनी सरकार ने एक 11 पेज की योजना प्रकाशित की है जिसका लंबे समय से इंतज़ार किया जा रहा था। यह पेपर इस बारे में है कि चीन मीथेन — जो कि एक बहुत हानिकारक ग्रीनहाउस गैस है — उत्सर्जन को कैसे नियंत्रित करेगा लेकिन चीन ने इस गैस उत्सर्जन को घटाने के कोई लक्ष्य नहीं बताए हैं। चीन ने यह घोषणा अमेरिका के साथ वार्ता से पहले प्रकाशित की है और यह कोयला खदानों, धान की खेती और लैंडफिल जैसे मीथेन उत्सर्जन स्रोतों के बारे में है।
चीन दुनिया का सबसे बड़ा ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जक है और सबसे अधिक मीथेन पैदा करता है जो मूलत: उसकी कोल इंडस्ट्री के कारण है। क्लाइमेट चेंज को नियंत्रित करने के लिए मीथेन उत्सर्जन बहुत ज़रूरी है, और दुनिया के 150 देशों ने पिछले साल मीथेन संधि पर हस्ताक्षर किए और 2020 और 2030 के बीच 30% इमीशन कट का वादा किया लेकिन चीन, भारत और रूस ने इस संधि पर दस्तखत नहीं किए हैं।
पर्यावरण मंत्रालय के पैनल में अडानी के सलाहकार को शामिल करने पर बवाल
पर्यावरण मंत्रालय के पैनल में अडानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड (एजीईएल) के एक सलाहकार को शामिल किए जाने से राजनैतिक बवाल मच गया है। विपक्षी दलों ने ‘हितों के टकराव’ की ओर इशारा करते हुए सरकार की आलोचना की है।
इस साल सितंबर में जब जलविद्युत और नदी घाटी परियोजनाओं के लिए विशेषज्ञ मूल्यांकन समिति (ईएसी) का पुनर्गठन किया गया था, तब सात गैर-संस्थागत सदस्यों में एजीईएल के प्रमुख सलाहकार जनार्दन चौधरी को भी नामित किया गया था। पर्यावरण मंत्रालय के परिवेश पोर्टल पर उपलब्ध विवरण के अनुसार, 17-18 अक्टूबर को पुनर्गठित ईएसी की पहली बैठक के दौरान महाराष्ट्र के सतारा में एजीईएल की 1,500 मेगावाट की ताराली पंपिंग भंडारण परियोजना पर चर्चा की गई थी।
चौधरी ने स्पष्ट किया कि हालांकि वह 17 अक्टूबर की बैठक में शामिल हुए थे, लेकिन उन्होंने एजीईएल की ताराली परियोजना पर केंद्रित सत्र में भाग लेने से परहेज किया। उन्होंने कहा कि वह एजीईएल के सलाहकार के रूप में काम करते हैं और कंपनी के पेरोल पर नहीं हैं। चौधरी ने यह भी कहा कि उन्होंने ईएसी में अपनी नियुक्ति से पहले मंत्रालय को कंपनी के साथ अपनी संबद्धता के बारे में बताया था। हालांकि विपक्षी दल सरकार से सवाल कर रहे हैं कि समिति में चौधरी का नामांकन किसने और क्यों किया।
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