भारत की ग्रीनहाउस उत्सर्जन दर 14 वर्षों में 33% घटी है। विभिन्न देशों की तरह भारत भी थर्ड नेशनल कम्युनिकेशन (टीएनसी) रिपोर्ट तैयार कर रहा है, जिसके द्वारा एक देश उत्सर्जन कम करने के अपने प्रयासों से यूएनएफसीसीसी, यानि जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन को अवगत कराता है।
रॉयटर्स ने टीएनसी रिपोर्ट के लिए किए जा रहे नवीनतम आकलन से परिचित अधिकारियों के हवाले से बताया कि उत्सर्जन की दर में उम्मीद से कहीं अधिक तेजी से आई इस कमी के पीछे देश में नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन और वन क्षेत्र में वृद्धि का प्रमुख योगदान है।
टीएनसी रिपोर्ट के निष्कर्षों से पता चलता है कि भारत 2030 तक एमिशन इंटेंसिटी को (2005 के स्तर से) 45% तक कम करने की प्रतिबद्धता को पूरा करने की राह पर है। भारत की एमिशन इंटेंसिटी रेट — यानि सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की प्रत्येक इकाई वृद्धि के लिए उत्सर्जित ग्रीनहाउस गैस की कुल मात्रा — 2005 से 2019 तक 33% गिर गई।
भारत ने 2016-2019 के दौरान सालाना 3% की औसत दर से उत्सर्जन में कटौती की; 2014-2016 की अवधि में यह दर लगभग 1.5% थी। यह अब तक की सबसे तेज़ कटौती थी, जिसका मुख्य कारण है सरकार द्वारा नवीकरणीय ऊर्जा पर दिया गया जोर, हालांकि अभी भी ऊर्जा मिश्रण में जीवाश्म ईंधन का हिस्सा कहीं अधिक है।
कोल इंडिया के मुनाफे में 10% की गिरावट
कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) ने पिछली तिमाही के दौरान कुल मुनाफा 7,941.40 करोड़ रुपए दर्ज किया, जो पिछले साल की दूसरी तिमाही के कुल मुनाफे के मुकाबले 10.1 प्रतिशत कम है। पिछले साल इसी अवधि के दौरान कंपनी को 8,834.22 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ हुआ था। हालांकि कंपनी की कुल आय 37,521.03 करोड़ रुपए रही, जो पिछले साल की इसी अवधि के मुकाबले 4 फीसदी अधिक है।
पिछली तिमाही के दौरान, कंपनी का कुल कोयला उत्पादन 175.47 मीट्रिक टन था, जो वित्त वर्ष 2022-23 की अप्रैल-जून की तिमाही के दौरान 159.75 मीट्रिक टन था।
कंपनी की कुल स्टैंडअलोन आय 1,140.50 करोड़ रुपए हो गई, जो पिछले साल की इसी अवधि में 357.23 करोड़ रुपए थी। हालांकि कंपनी के खर्चे 11.67 फीसदी बढ़कर 26,785.68 करोड़ रुपए हो गए। इनमें से अधिकांश व्याय कर्मचारी लाभ और संविदात्मक भुगतान में हुआ।
जीवाश्म ईंधन का प्रयोग बंद करके प्रदूषण 40% कम कर सकता है भारत: गडकरी
केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने कहा है कि भारत पेट्रोल, डीजल आदि जीवाश्म ईंधनों का प्रयोग न करके प्रदूषण को 40% तक कम कर सकता है। उन्होंने कहा कि हम हर साल 16 लाख करोड़ रुपए का कच्चा तेल और 12 लाख करोड़ रुपए का कोयला आयात करते हैं।
इससे न केवल देश की अर्थव्यवस्था पर प्रभाव पड़ता है बल्कि बड़े पैमाने पर प्रदूषण भी होता है।
उन्होंने कहा कि हमें हरित और साफ ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए नई तकनीकें विकसित करनी होंगी। गडकरी ने कहा कि नई तकनीक जरूरत पर आधारित होनी चाहिए, आर्थिक रूप से व्यवहार्य होनी चाहिए और उसके लिए कच्चा माल उपलब्ध होना चाहिए।
दो साल पहले, हमने अंग्रेजी में एक डिजिटल समाचार पत्र शुरू किया जो पर्यावरण से जुड़े हर पहलू पर रिपोर्ट करता है। लोगों ने हमारे काम की सराहना की और हमें प्रोत्साहित किया। इस प्रोत्साहन ने हमें एक नए समाचार पत्र को शुरू करने के लिए प्रेरित किया है जो हिंदी भाषा पर केंद्रित है। हम अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद नहीं करते हैं, हम अपनी कहानियां हिंदी में लिखते हैं।
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