केंद्र ने फेम-II योजना का अनुपालन किए बिना इंसेंटिव का दावा करने के लिए 7 ईवी निर्माताओं से 469 करोड़ रुपए की मांग की है।

ईवी निर्माताओं की सरकार से गुहार, अतिरिक्त सब्सिडी वापस करें ग्राहक

सब्सिडी के कथित दुरुपयोग को लेकर आलोचना का सामना कर रहे सात इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहन निर्माताओं ने सरकार से आग्रह किया है कि वह ग्राहकों से वाहनों की खरीद पर ली गई अतिरिक्त छूट वापस करने के लिए कहने की संभावना पर विचार करे।

भारी उद्योग मंत्री एमएन पांडे को लिखे एक पत्र में सोसाइटी ऑफ मैन्युफैक्चरर्स ऑफ इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (एसएमईवी) ने कहा कि जिन ग्राहकों ने अतिरिक्त सब्सिडी ली है, उन्हें उसे प्रभावित निर्माताओं को वापस करने के लिए कहा जा सकता है।

केंद्र ने फेम-II योजना के मानदंडों का अनुपालन किए बिना इंसेंटिव का दावा करने के लिए सात इलेक्ट्रिक दोपहिया निर्माताओं — हीरो इलेक्ट्रिक, ओकिनावा ऑटोटेक, एम्पीयर ईवी, रिवोल्ट मोटर्स, बेनलिंग इंडिया, एमो मोबिलिटी और लोहिया ऑटो से 469 करोड़ रुपए की मांग की है। भारी उद्योग मंत्रालय की जांच में पता चला है कि इन सात कंपनियों ने नियमों का उल्लंघन कर योजना के तहत मिलने वाले इंसेंटिव का लाभ उठाया है।

योजना के नियमों के अनुसार, यह इंसेंटिव भारत में निर्मित घटकों का उपयोग करके इलेक्ट्रिक वाहनों का निर्माण करने के लिए दिया जाना था। लेकिन जांच में पाया गया कि इन सात कंपनियों ने कथित तौर पर आयातित घटकों का उपयोग किया था।

एसएमईवी ने समूह के एजेंडे को संशोधित करने में मदद करने के लिए भाजपा के पूर्व प्रवक्ता संजय कौल को मुख्य प्रचारक के रूप में सम्मिलित किया है।

कौल ने एमएचआई को दिए गए पत्र में कहा कि यदि किसी ग्राहक को सही कीमत से अधिक सब्सिडी मिली है, तो अतिरिक्त राशि वापस करना उसके लिए अनिवार्य है, भले ही सुधार पूर्वप्रभावी हो।

दिल्ली में जारी रहेगी ईवी नीति के तहत दी जाने वाली सब्सिडी

दिल्ली के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने घोषणा की है कि नई इलेक्ट्रिक वाहन नीति स्वीकृत और अधिसूचित होने तक मौजूदा नीति के तहत दी जाने वाली सब्सिडी जारी रहेगी। मौजूदा नीति की अवधि समाप्त हो गई थी, लेकिन इसे एक और महीने के लिए बढ़ा दिया गया था।

गहलोत ने एक ट्वीट में कहा कि ‘चूंकि नई ईवी नीति बनाने की प्रक्रिया अभी चल रही है, मौजूदा नीति की सब्सिडी का लाभ नई नीति अधिसूचित होने तक जारी रहेगा’।

मौजूदा ईवी नीति अगस्त 2020 में लागू की गई थी। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, इसके तहत अब तक 1.12 लाख इलेक्ट्रिक वाहन पंजीकृत हो चुके हैं।

भारत में ईवी बिक्री का प्रतिशत अन्य देशों से बहुत पीछे

जहां एक ओर इस बात पर बहस जारी है कि क्या भारत को इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) पर दी जाने वाली सब्सिडी जारी रखनी चाहिए या नहीं, आंकड़ों से पता चला है कि देश में कुल वाहन बिक्री के मुकाबले ईवी का प्रतिशत दुनिया के कई प्रमुख देशों से काफी पीछे है। भारत को यदि 2030 तक ईवी की पैठ 30 प्रतिशत तक बढ़ाने के लक्ष्य को पूरा करना है तो सरकार को कुछ गंभीर प्रयास करने होंगे।

आईसीआरए के एक अध्ययन के अनुसार, फेम-II सब्सिडी कार्यक्रम के पांच वर्षों के बाद भी, 2022 में भारत में ईवी की पहुंच केवल 1.5 प्रतिशत रही। यह योजना मार्च 2024 में समाप्त होने वाली है। इसके दो प्रमुख कारण हैं सब्सिडी योजना में आ रही समस्याएं और विद्युतीकरण में देरी।

वहीं 2023 में समाप्त होने वाले वित्तीय वर्ष में ईवी की पहुंच 4 प्रतिशत रही।  जबकि चीन में पांच वर्षों के दौरान ईवी बिक्री 2 प्रतिशत से बढ़कर 2022 में 29 प्रतिशत हो गई। ब्रिटेन और यूरोपीय संघ में भी इसी अवधि के दौरान ईवी की बिक्री क्रमशः 23% और 21% तक पहुंच गई। 

भारत को 30% का लक्ष्य पाने के लिए लगभग आठ गुना वृद्धि की आवश्यकता होगी। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या भारत सब्सिडी वापस लेने का जोखिम उठा सकता है?

भारत में और अधिक इलेक्ट्रिक वाहन लॉन्च करेगी हुंडई

दक्षिण कोरिया के हुंडई मोटर ग्रुप ने भारत में हुंडई (005380.केएस) और किआ (000270.केएस) ब्रांडों के तहत और इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) लॉन्च करने की योजना बनाई है।

हुंडई, जो पहले से ही बिक्री के हिसाब से भारत की दूसरी सबसे बड़ी कार निर्माता है, 2032 तक पांच ईवी मॉडल लॉन्च करेगी, जिसमें पहले से ही बिकने वाले दो — कोना और इओनीक 5 स्पोर्ट यूटिलिटी वाहन (एसयूवी) शामिल होंगे। कंपनी 2027 तक अपने चार्जिंग स्टेशनों को भी बढ़ाकर 439 कर देगी।

हुंडई मोटर ग्रुप ने एक बयान में कहा कि किआ 2025 से छोटे ईवी का उत्पादन शुरू करेगी और ईवी चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास करेगी और साथ ही अपने बिक्री नेटवर्क को दोगुना करेगी, जिसका लक्ष्य घरेलू बाजार में अपनी हिस्सेदारी को वर्तमान 6.7% से बढ़ाकर 10% करना है।

+ posts

दो साल पहले, हमने अंग्रेजी में एक डिजिटल समाचार पत्र शुरू किया जो पर्यावरण से जुड़े हर पहलू पर रिपोर्ट करता है। लोगों ने हमारे काम की सराहना की और हमें प्रोत्साहित किया। इस प्रोत्साहन ने हमें एक नए समाचार पत्र को शुरू करने के लिए प्रेरित किया है जो हिंदी भाषा पर केंद्रित है। हम अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद नहीं करते हैं, हम अपनी कहानियां हिंदी में लिखते हैं।
कार्बनकॉपी हिंदी में आपका स्वागत है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.