केंद्र सरकार ने बिजली क्षेत्र के एक विवादित बिल – इलैक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट बिल 2021 – को लोकसभा में पेश करने के बाद संसद की स्थायी समिति (स्टैंडिंग कमेटी) को भेज दिया। इस बिल में वितरण क्षेत्र में बड़े बदलाव सुझाये गये हैं लेकिन मज़दूर संगठनों और विपक्षी नेताओं ने आरोप लगाया कि सरकार बिल के बहाने निजीकरण का रास्ता खोल रही है। विपक्ष ने कहा कि बिल संघीय ढांचे के खिलाफ है और बिजली का विषय समवर्ती सूची में होने के बावजूद केंद्र सरकार राज्यों की शक्तियों को कम करके सारी ताकत अपने हाथ ले लेना चाहती है।
कैबिनेट ने नये एनडीसी को स्वीकृति दी
कैबिनेट ने पेरिस समझौते के तहत भारत के नये एनडीसी (जलवायु परिवर्तन से लड़ने के लिये तय लक्ष्य) का अनुमोदन कर दिया है। भारत ने ग्लोबल वॉर्मिंग से लड़ने के लिये तय एनडीसी अपडेट किये हैं जिनके मुताबिक 2030 तक भारत अपनी कार्बन उत्सर्जन तीव्रता को 2005 के स्तर से 45% कम करेगा। पहले यह लक्ष्य 33-35% कम करने का था।
भारत ने यह भी घोषणा की है वह 2030 तक अपनी कुल बिजली उत्पादन का 50% गैर-जीवाश्म ईंधन से बनाने की क्षमता हासिल कर लेगा। पहले के एनडीसी में यह लक्ष्य 40% रखा गया था। महत्वपूर्ण है कि प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले साल ग्लोसगो सम्मेलन में जलवायु परिवर्तन से लड़ने के दिशा में जिन पांच लक्ष्यों को ऐलान किया था उनमें यह दो टारगेट भी शामिल हैं। प्रधानमंत्री ने 2030 तक 500 गीगावॉट साफ ऊर्जा का क्षमता स्थापित करने के लक्ष्य और 1 बिलियन टन कार्बन उत्सर्जन कम करने की बात भी कही थी जिसे आधिकारिक लक्ष्यों में शामिल नहीं किया गया है। साल 2070 तक नेट ज़ीरो इमीशन का लक्ष्य पाना भी आधिकारिक एनडीसी टार्गेट में नहीं है।
नेट-ज़ीरो के लिये अगले 50 साल में चाहिये 20 लाख करोड़ डॉलर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2070 तक जिस नेट ज़ीरो क्लाइमेट लक्ष्य को हासिल करने की घोषणा पिछले साल ग्लोसगो सम्मेलन के दौरान की उसके लिये आर्थिक मोर्चे पर भारत को भारी कीमत अदा करनी होगी। रिसर्च फर्म यूबीएस के मुताबिक भारत को अगले 50 साल में 20 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर के बराबर रकम खर्च करनी होगी यानी करीब 1,600 लाख करोड़ रुपये।
रिपोर्ट में सोलर सेल, बैटरी और इलैक्ट्रोलाइज़र उत्पादन को लेकर भारत की क्षमता पर सकारात्मक अनुमान है। रिपोर्ट में भारत में 4 जी के फैलाव की मिसाल दी गई है और कहा गया है कि चीन से काफी देर में रिन्यूएबल के बाज़ार में आने के बाद भी भारत ने अपनी स्वावलम्बी क्षमता दिखाई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि सेक्टर को सही नीतियें, आर्थिक प्रोत्साहन और कॉर्पोरेट बैंकिग के सहयोग की ज़रूरत होगी।
अमेरिका क्लाइमेट और एनर्जी क्षेत्र में $369 बिलियन के लिये बनायेगा कानून
अमेरिका ने जलवायु परिवर्तन और साफ ऊर्जा के लिये 36900 करोड़ डॉलर (369 बिलयन) खर्च करने के लिये कानून बनाने का फैसला किया है। डेमोग्रेट सांसदों का कहना है कि इससे 2030 के लिये तय क्लाइमेट टार्गेट का 80% काम पूरा करने में मदद मिलेगी। सीनेटर जो मेंचिन (जो कि कोयला प्रचुर राज्य पश्चिम वर्जीनिया के हैं) के यू-टर्न के बाद अब इस कानून का पास होना तय माना जा रहा है।
इस कानून के तहत कॉर्पोरेशन टैक्स के ज़रिये पैसा इकट्ठा किया जायेगा। इससे स्कूलों, बंदरगाहों और कूड़ा निस्तारण कंपनियों को ज़ीरो इमीशन वाहन के लिये कर्ज़ और ग्रांट मिलेगी। कार निर्माताओं को क्लीन कार फैक्ट्रियां स्थापित करने के लिये 20 बिलयन डॉलर तक के कर्ज़ मिलेंगी।
दो साल पहले, हमने अंग्रेजी में एक डिजिटल समाचार पत्र शुरू किया जो पर्यावरण से जुड़े हर पहलू पर रिपोर्ट करता है। लोगों ने हमारे काम की सराहना की और हमें प्रोत्साहित किया। इस प्रोत्साहन ने हमें एक नए समाचार पत्र को शुरू करने के लिए प्रेरित किया है जो हिंदी भाषा पर केंद्रित है। हम अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद नहीं करते हैं, हम अपनी कहानियां हिंदी में लिखते हैं।
कार्बनकॉपी हिंदी में आपका स्वागत है।
आपको यह भी पसंद आ सकता हैं
-
बाकू सम्मेलन: राजनीतिक उठापटक के बावजूद क्लाइमेट-एक्शन की उम्मीद कायम
-
क्लाइमेट फाइनेंस पर रिपोर्ट को जी-20 देशों ने किया कमज़ोर
-
महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में खनन के लिए काटे जाएंगे 1.23 लाख पेड़
-
अगले साल वितरित की जाएगी लॉस एंड डैमेज फंड की पहली किस्त
-
बाकू वार्ता में नए क्लाइमेट फाइनेंस लक्ष्य पर नहीं बन पाई सहमति