कोयला पावर प्लांट, प्रदूषित करने वाले उद्योग और ईंट भट्टे भले ही ग्रामीण क्षेत्रों में लगते हों पर सरकार को लगता है कि वायु प्रदूषण शहरी मुद्दा है और वह शहरी क्षेत्र में इसकी मॉनिटरिंग पर ध्यान केंद्रित कर रही है। जानकारों ने सरकार की इस समझ को गलत बताया है। पूरे देश में 465 शहरों में लगाये गये 1,243 एयर क्वॉलिटी मॉनिटरिंग स्टेशनों में से केवल 26 ही ग्रामीण इलाकों में हैं। कुल 24 पंजाब में हैं और दो दादरा और नगर हवेली और दमन और दीव में प्रयोग के तौर पर लगाये गये हैं। सरकार का कहना है कि उसने हिमाचल प्रदेश (5), केरल (2), मिज़ोरम (5), ओडिशा (2), त्रिपुरा (1) और उत्तर प्रदेश (2) के लिये 17 मॉनिटरिंग स्टेशन मंज़ूर किये है।
जानकार कहते हैं कि सरकार अगर ग्रामीण इलाकों को मॉनिटर नहीं कर रही तो इसका मतलब यह नहीं है कि वहां प्रदूषण नहीं है। सैटेलाइट तस्वीरें और डाटा बताते हैं कि गांवों में भी प्रदूषण शहरों जैसी ही समस्या है। वैज्ञानिकों का कहना है कि वायु प्रदूषण एक क्षेत्रीय मुद्दा है और गांव व शहर दोनों ही इससे प्रभावित होते हैं।
नया ग्रेडेड एक्शन प्लान दिल्ली-एनसीआर में 1 अक्टूबर से लागू होगा
वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) के मुताबिक दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण नियंत्रण के लिये नया ग्रेडेड एक्शन प्लान 1 अक्टूबर से लागू होगा। परिवर्तित एक्शन प्लान एयर क्वॉलिटी (पूर्वानुमान के आधार पर ) एक स्तर से अधिक खराब होने के 3 दिन पहले ही लागू कर दिया जायेगा। पहले यह एक्शन प्लान वायु गुणवत्ता के एक स्तर पर पहुंच जाने पर लगाया जाता था।
नये प्लान के तहत एयर क्वॉलिटी बहुत खराब (सीवियर) होने पर निर्माण कार्य पर रोक (रेलवे, राष्ट्रीय सुरक्षा, अस्पताल, मेट्रो और सड़क जैसे रेखीय प्रोजेक्ट्स को छोड़कर) लगेगी। पहले यह रोक वायु गुणवत्ता ‘सीवियर +’ श्रेणी में होने पर लगती थी। निर्माण कार्य में हाइवे, रोड, फ्लाईओवर आदि पर रोक हवा के ‘सीवियर +’ होने पर लगेगी।
फसल ना जलने के लिए 2,500 नकद रुपये प्रति एकड़ देने का प्रस्ताव
दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल के मुताबिक, पंजाब सरकार ने पराली यानी फसल अवशेष नहीं जलाने पर पंजाब के किसानों को 2,500 रुपये प्रति एकड़ नकद प्रोत्साहन देने का प्रस्ताव किया है। प्रस्ताव में कहा गया है कि नकद प्रोत्साहन का योगदान पंजाब, दिल्ली और केंद्र सरकार द्वारा मिलकर किया जाएगा। केजरीवाल के अनुसार पंजाब सरकार ने प्रस्ताव दिया है कि वह 500 रुपये देगी, दिल्ली सरकार 500 रुपये देगी और केंद्र सरकार 1,500 रुपये देगी।
हर साल अक्टूबर के महीने में पराली जलाने से हवा में प्रदूषण काफी बढ़ जाता है। इसी समय दीपावली के कारण एयर क्वॉलिटी काफी ख़राब होती है। सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फोरकास्टिंग एंड रिसर्च (सफर) के अनुसार, पिछले साल दिल्ली में मिले PM2.5 में पराली जलाने का योगदान 48 फीसदी था |
बच्चों को वायु प्रदूषण का ख़तरा वयस्कों से अधिक
एक अमेरिकी शोध में पाया गया है कि अधिक वायु प्रदूषण वाले क्षेत्र में वयस्कों के मुकाबले बच्चों पर अधिक प्रभाव पड़ता है। यह बात ख़ून के नमूनों की जांच के आधार पर कही गई है। इस जांच में बच्चों के शरीर में सूजन और जलन के बढ़े हुये संकेत पाये गये। वैज्ञानिकों का कहना था कि जंगलों में आग के दौरान फैले प्रदूषण का निश्चित प्रभाव बच्चों में पड़ा जिनके शरीर के हृदय, गुर्दा और फेफड़े जैसे महत्वपूर्ण ऑर्गन वयस्कों की तुलना में छोटे होते हैं और दमा, फेफड़ों में संक्रमण और रक्त चाप से लड़ने की कम शक्ति होती है। इसका असर स्कूल में बच्चों के प्रदर्शन और उनकी स्मरण शक्ति पर भी पड़ता है।
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