कोयला मंत्रालय ने कहा है कि थर्मल पावर संयंत्रों में आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए कोयले का उत्पादन बढ़ाया जाएगा। इस बढ़ोत्तरी के लिए नए ब्लॉक खोले जाएंगे, मौजूदा खदानों की क्षमता बढ़ाई जाएगी और कैप्टिव, कमर्शियल खदानों से उत्पादन बढ़ाया जाएगा।
कोयला मंत्रालय ने एक बयान में कहा, “वर्ष 2027 और 2030 के लिए निर्धारित उत्पादन देश में ताप विद्युत संयंत्रों की संभावित घरेलू आवश्यकता से कहीं अधिक होगा।” देश में फिलहाल प्रति वर्ष लगभग एक बिलियन टन कोयले का उत्पादन होता है। मंत्रालय की योजना इसे 2027 तक बढ़ाकर 1.4 बिलियन टन और 2030 तक 1.5 बिलियन टन करने की है। मंत्रालय ने कहा है कि 2030 तक अतिरिक्त 80 गीगावॉट थर्मल क्षमता जोड़ने के लिए अधिक कोयले की जरूरत होगी।
वहीं सितंबर में भारत ने 20.61 मिलियन टन कोयले का आयात किया, जो पिछले साल के सितंबर से 4.3% अधिक है। केंद्र सरकार ने इस महीने की शुरुआत में कहा था कि सितंबर के दौरान घरेलू कोयला उत्पादन में भी वृद्धि हुई जिसके कारण कोयला क्षेत्र में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
जीवाश्म ईंधन का उपयोग बंद न करने से खतरे में पड़ेंगीं और जिंदगियां: वैज्ञानिक
सौ से अधिक वैज्ञानिकों और चिकित्सकों की एक नई रिपोर्ट में पाया गया है कि जीवाश्म ईंधन को चरणबद्ध तरीके से समाप्त (फेजआउट) किए बिना जलवायु संकट अधिक से अधिक लोगों के जीवन को खतरे में डालेगा। लैंसेट काउंटडाउन रिपोर्ट में कहा गया है कि क्लाइमेट एक्शन में देरी से 2050 तक गर्मी के कारण हुई मौतों में लगभग पांच गुना वृद्धि होगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया भर में मनुष्यों का स्वास्थ्य अब “जीवाश्म ईंधन की दया पर निर्भर है”।
रिपोर्ट के लेखकों का कहना है कि स्वास्थ्य पर बढ़ते जोखिम और जलवायु परिवर्तन अनुकूलन (अडॉप्टेशन) की बढ़ती लागत के बावजूद, सरकारें, बैंक और कंपनियां अभी भी जीवाश्म ईंधन के उपयोग और विस्तार की अनुमति दे रही हैं, जिससे लोगों का स्वास्थ्य खराब हो रहा है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि दुनिया जीवाश्म ईंधन पर निर्भर रही, तो परिणाम न केवल मानव स्वास्थ्य के लिए बल्कि अर्थव्यवस्था के लिए भी विनाशकारी हो सकते हैं।
अमेरिका में लगभग प्रतिदिन हो रही हैं जीवाश्म ईंधन उद्योग से जुड़ी घातक रासायनिक दुर्घटनाएं: शोध
गार्डियन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका में लगभग रोज़ खतरनाक रासायनिक दुर्घटनाएं हो रही हैं, जिससे लोग आग, विस्फोट, और रिसाव के ज़रिए खतरनाक विषाक्त पदार्थों के संपर्क में आ रहे हैं। रिपोर्ट के अनुसार, अधिकांश घटनाएं जीवाश्म ईंधन उद्योग से जुड़ी हैं, जैसे परिवहन, जीवाश्म ईंधन का उत्पादन और निस्तारण आदि।
फरवरी में एक अध्ययन में पाया गया था कि इस तरह की घटनाएं लगभग दो दिन में एक हो रही थीं। जबकि नई रिपोर्ट में पाया गया है कि जनवरी 2021 से 15 अक्टूबर 2023 तक खतरनाक रासायनिकों से जुड़ी 829 ऐसी घटनाएं हुईं, यानि लगभग 1.2 दिनों पर एक घटना।
दो साल पहले, हमने अंग्रेजी में एक डिजिटल समाचार पत्र शुरू किया जो पर्यावरण से जुड़े हर पहलू पर रिपोर्ट करता है। लोगों ने हमारे काम की सराहना की और हमें प्रोत्साहित किया। इस प्रोत्साहन ने हमें एक नए समाचार पत्र को शुरू करने के लिए प्रेरित किया है जो हिंदी भाषा पर केंद्रित है। हम अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद नहीं करते हैं, हम अपनी कहानियां हिंदी में लिखते हैं।
कार्बनकॉपी हिंदी में आपका स्वागत है।
आपको यह भी पसंद आ सकता हैं
-
कोयले का प्रयोग बंद करने के लिए भारत को चाहिए 1 ट्रिलियन डॉलर
-
भारत ने 10 लाख वर्ग किलोमीटर के ‘नो-गो’ क्षेत्र में तेल की खोज के हरी झंडी दी
-
ओडिशा अपना अतिरिक्त कोयला छूट पर बेचना चाहता है
-
विरोध के बाद यूएन सम्मेलन के मसौदे में किया गया जीवाश्म ईंधन ट्रांज़िशन का ज़िक्र
-
रूस से तेल आयात के मामले में भारत ने चीन को पीछे छोड़ा