साल 2020 और 2021 में घटी प्राकृतिक आपदाओं के ₹ 1705.52 करोड़ के दावों का अब तक भुगतान नहीं हुआ है। यह बात बीमा रेग्युलेटरी अथॉरिटी (आईआरडीए) की सालाना रिपोर्ट में सामने आई है। चक्रवाती तूफान अम्फन, निसर्ग और महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में आई बाढ़ में हुये नुकसान की भरपाई के लिये बीमा कंपनियों के सामने दावे पेश किये गये थे
रिपोर्ट बताती है कि अब तक केवल 29.72% (₹760.68 करोड़) के दावों का भुगतान हुआ है। यह आंकड़े महत्वपूर्ण हैं क्योंकि आईपीसीसी वर्किंग ग्रुप – 2 की ताज़ा रिपोर्ट में बीमा को जलवायु संकट से निपटने में अडाप्टेशन (अनुकूलन) के लिये महत्वपूर्ण माना गया है।
एसडीजी लक्ष्य: बिहार, झारखंड की हालत सबसे ख़राब, केरल सबसे ऊपर
भारत के तीन राज्यों बिहार, झारखंड और असम ने पिछले साल सस्टेनेबल डेवलपमेंट लक्ष्यों (एसडीजी) को लेकर सबसे कम कामयाबी हासिल की है जबकि केरल इस मामले में सबसे आगे है। केरल जिसने कई एसडीजी मानकों में खराब प्रदर्शन किया लेकिन क्लाइमेट एक्शन के मामले में वह शीर्ष में रहा। पर्यावरण मंत्री भूपेन्द्र यादव द्वारा जारी एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई। इस रिपोर्ट में देश के सभी 28 राज्यों को 17 में से 15 एसडीजी पर आंका गया और उन्हें 1 से 100 के स्केल पर रेटिंग दी गई। केरल 75 अंकों के साथ सबसे ऊपर रहा जबकि बिहार 52 पॉइन्ट्स के साथ सबसे नीचे रहा।
वादे से काफी कम क्लाइमेट फाइनेंस किया अमेरिका ने
अमेरिकी कांग्रेस ने इंटरनेशनल क्लाइमेट फाइनेंस के तहत एक बिलयन डॉलर (100 करोड़ अमेरिकी डॉलर) रकम मंज़ूर की है। वर्ल्ड रिसोर्सेस इंस्टिट्यूट के मुताबिक यह ट्रम्प प्रशासन द्वारा मंज़ूर रकम से 387 मिलियन अधिक है। हालांकि बाइडेन ने 2024 तक 11.4 बिलियम डालर देने की बात कही है थी। मौजूदा रकम के हिसाब से 2050 तक ही यह 11.4 बिलयन डॉलर का वादा पूरा हो पायेगा।
अमेरिकी कांग्रेस में पास किये गये बिल के मुताबिक 270 मिलियन डॉलर द्विपक्षीय क्लाइमेट फाइनेंस के लिये दिये गये हैं लेकिन संयुक्त राष्ट्र द्वारा बनाये गये ग्रीन क्लाइमेट फंड के लिये कुछ नहीं किया गया है।
दो साल पहले, हमने अंग्रेजी में एक डिजिटल समाचार पत्र शुरू किया जो पर्यावरण से जुड़े हर पहलू पर रिपोर्ट करता है। लोगों ने हमारे काम की सराहना की और हमें प्रोत्साहित किया। इस प्रोत्साहन ने हमें एक नए समाचार पत्र को शुरू करने के लिए प्रेरित किया है जो हिंदी भाषा पर केंद्रित है। हम अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद नहीं करते हैं, हम अपनी कहानियां हिंदी में लिखते हैं।
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