यूक्रेन पर रूसी सैन्य आक्रमण की त्वरित प्रतिक्रिया पर चर्चा करने के लिए यूरोपीय संघ के 27 देशों ने फ्रांस के वर्साय में बैठक की, जहां प्रस्ताव रखा गया कि 2027 तक रूसी तेल और गैस के आयात पर संघ की निर्भरता को समाप्त किया जाए। इसके बजाय अन्य देशों से अधिक एलएनजी आयात की जाएगी और हाइड्रोजन के उपयोग में वृद्धि की जाएगी। हालांकि इस प्रस्ताव का उद्देश्य है कि ‘जितनी जल्दी हो सके’ यह बदलाव लाया जाए, लेकिन संभावना है कि संघ सदस्य देशों के व्यक्तिगत ‘ऊर्जा मिश्रण’ चयन पर भी विचार करेगा। इसलिए इस बदलाव के लिए कोई निश्चित तिथि अभी तक निर्धारित नहीं की गई है।
वहीं यूक्रेन का कहना है कि चूंकि यूरोपीय संघ रूस को हर दिन ईंधन के लिए करोड़ों डॉलर का भुगतान करता है, इसलिए 2027 तक आयात समाप्त करने का निर्णय तात्कालिक दबाव डालने के लिए पर्याप्त नहीं है। यूक्रेन ने रूसी लकड़ी और लकड़ी के उत्पादों पर भी रोक लगाने का आह्वान किया जिससे प्रतिबंधों का प्रभाव शीघ्र हो सके।
रूस से अधिक आयात करते हुए घरेलू कोयला उत्पादन को बढ़ावा देगा भारत
निजी खनिकों की भूमिका को और मजबूत करते हुए भारत सरकार ने 8 मार्च को घोषणा की कि वह आयातित आपूर्ति पर देश की निर्भरता को कम करने के प्रयास में 2030 तक 350-400 मिलियन टन कोयले का उत्पादन करेंगे। भारत के कोयला आयात का 90% ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका और इंडोनेशिया से आता है। यह घोषणा सरकार के ऊर्जा आत्मनिर्भरता के लक्ष्य की दिशा में एक और कदम है। यह कोल इंडिया के 2030 तक 1 बिलियन टन से अधिक उत्पादन के लक्ष्य में भी सहायक होगी। दिलचस्प बात यह है कि कोल इंडिया ने ‘3-4 वर्षों’ में नेट-जीरो उत्सर्जन का लक्ष्य भी रखा है, हालांकि इसमें कोयला को जलाने से होने वाले उत्सर्जन शामिल नहीं है।
इसके अलावा, भारत जल्द ही रूस से और कोयला आयात कर सकता है क्योंकि रूस अंतरराष्ट्रीय बाजार में अपने उत्पादों को बेचने के लिए संघर्ष कर रहा है। प्रतिबंधों के कारण अधिकांश पश्चिमी अर्थव्यवस्थाओं से कट जाने के बाद, रूस चीन और भारत को विकल्प के रूप में देख रहा है, और कथित तौर पर एक रूबल-रुपया व्यापार तंत्र स्थापित करने पर विचार कर रहा है ताकि अंतरराष्ट्रीय स्विफ्ट भुगतान तंत्र से बाहर हो चुके रूसी बैंकों को भुगतान का विकल्प दिया जा सके।
भारत: एनटीपीसी विंध्याचल अद्वितीय कार्बन कैप्चर प्लांट स्थापित कर करेगा मेथनॉल का उत्पादन
भारत का सबसे बड़ा थर्मल पावर प्लांट एनटीपीसी विंध्याचल 2023 तक अपनी तरह का पहला कार्बन कैप्चर प्लांट स्थापित करेगा, जो रिलीज़ होने वाली सीओ2 को कैप्चर करेगा और उसे हाइड्रोजन से मिलाकर मेथनॉल का निर्माण करेगा। इस नई परियोजना को मध्य प्रदेश में 4,783 मेगावाट के विंध्याचल संयंत्र में लगाया जाएगा — यह सौर और जल विद्युत का भी उत्पादन करता है। एनटीपीसी के पारिस्थितिक पदचिह्न को कम करने के प्रयासों के तहत, बिजली संयंत्र के आसपास के क्षेत्र में 2.5 मिलियन पौधे लगाए गए हैं। इसके अलावा, नीति आयोग ने ‘मेथनॉल अर्थव्यवस्था’ विज़न के तहत देश के लिए मेथनॉल का उपयोग करने के लक्ष्य निर्धारित किए हैं, और भारत के तेल आयात को कम करने के लिए परिवहन और ऊर्जा अनुप्रयोगों दोनों के लिए मेथनॉल ईंधन का उपयोग करने की योजना बनाई है।
ओजीसीआई 2030 तक आशुलोपी उत्सर्जन ‘नियर जीरो’ करने के लिए प्रतिबद्ध है
दुनिया के सबसे बड़े तेल और गैस ड्रिलर्स के संघ ऑयल एंड गैस क्लाइमेट इनिशिएटिव की सदस्य कंपनियों ने 2030 तक अपने आशुलोपी मीथेन उत्सर्जन को ‘नियर जीरो’ तक घटाने की प्रतिबद्धता जताई है। यह घोषणा सीओपी26 शिखर सम्मेलन की मांगों की दिशा में एक कदम है, जिसमें दशक के अंत तक मीथेन उत्सर्जन में 30% की कमी करने को कहा गया था। ओजीसीआई के अध्यक्ष ने माना है कि उद्योग द्वारा जलवायु लक्ष्यों को पूरा करने के लिए उत्सर्जन में कटौती एक अच्छा अल्पकालिक समाधान है और सदस्य (एक्सॉनमोबिल और शेल सहित) अपना वार्षिक मीथेन उत्सर्जन भी रिपोर्ट करेंगे — जो आईईए के अनुसार रिपोर्ट किए गए आंकड़ों की तुलना में 70% अधिक है।
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