विशेषज्ञों का मानना है कि 2023 के केंद्रीय बजट में सरकार ने ‘हरित विकास’ को लेकर जो घोषणाएं को हैं उससे देश को अपने अक्षय ऊर्जा लक्ष्यों को पूरा करने में सहायता मिलेगी। इस संबंध में 70,000 करोड़ रुपए तक के आवंटन की घोषणा की गई है।
भारत 2030 तक ऊर्जा उत्पादन के दौरान होने वाले उत्सर्जन में (2005 के स्तर के मुकाबले) 45% कटौती करने को प्रतिबद्ध है।
हालांकि उम्मीदों के बीच यह भी ध्यान रखना चाहिए कि पिछले कुछ बजटों में किए गए वादे और निर्धारित लक्ष्य अभी तक पूरे नहीं हो पाए हैं। इसलिए इन घोषणाओं पर प्रश्न उठने भी स्वाभाविक हैं।
बजट में ग्रीन हाइड्रोजन मिशन के 2030 तक 5 मिलियन मीट्रिक टन उत्पादन के लक्ष्य को दोहराया गया है और इसके लिए 19,744 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं। साथ ही ऊर्जा सुरक्षा और एनर्जी ट्रांजिशन में पूंजी निवेश हेतु पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय को 35,000 करोड़ रुपए दिए गए हैं।
बजट में 4 गीगावाट-ऑवर क्षमता वाले बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम (बीएएसएस) के लिए वायबिलिटी गैप फंडिंग (वीजीएफ) का भी प्रावधान है। वीजीएफ का अर्थ है ऐसी इंफ्रास्ट्रक्चर योजनाओं का वित्तपोषण करना जो आर्थिक रूप से संभव हैं लेकिन फंडिंग की कमी से जूझ रही हैं।
इलेक्ट्रिक परिवहन को लेकर की गई घोषणाओं में लिथियम-आयन बैटरी के निर्माण में उपयोग किए जाने वाले पूंजीगत माल और मशीनरी को सीमा शुल्क से मुक्त करने के कदम का स्वागत किया जा रहा है।
जानकारों का कहना है कि इन घोषणाओं से देश में ‘हरित’ रोज़गार पैदा करने में मदद मिल सकती है।
अडानी ग्रीन एनर्जी में गिरावट जारी
शॉर्टसेलर हिंडनबर्ग रिसर्च के खुलासे के बाद अडानी समूह के शेयरों में गिरावट थमने का नाम नहीं ले रही है। इस साल 24 जनवरी को हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद से अडानी ग्रीन एनर्जी (तब इस कंपनी का शेयर 1948 रुपये में खुला था) में अब तक 68 प्रतिशत तक गिरावट आ चुकी है और बुधवार को यह 621 में 5 प्रतिशत गिरकर यह 621 में बन्द करना पड़ा। साफ़ ऊर्जा या क्लीन एनर्जी एक ऐसा क्षेत्र है जहां अडानी बड़े खिलाड़ी बनने की राह पर हैं।
अडानी ग्रीन एनर्जी शेयर बाज़ार में 2018 में लिस्ट हुई थी। तब इस कंपनी के शेयर का दाम 30 रुपए के आसपास था। लेकिन 2020 के बाद से अडानी ग्रीन एनर्जी के शेयर तेज़ी से बढ़े और अप्रैल 2022 इस कंपनी का शेयर 2,800 रुपए से ऊपर चला गया था। लेकिन फ़िलहाल यह 621 रुपए पर आ गया है।
रेटिंग एजेंसी मूडीज ने अडानी ग्रीन का आउटलुक बदलकर ‘निगेटिव’ कर दिया है। यानी कंपनी के शेयरों में गिरावट जारी रहने की उम्मीद है।
अडानी ग्रीन एनर्जी भारत के साफ ऊर्जा मिशन में काफी अहम है। कंपनी की वेबसाइट के मुताबिक सौर और पवन ऊर्जा को मिलाकर उसका कुल 20,434 मेगावॉट का नवीकरणीय ऊर्जा पोर्टफोलियो है। यानी चालू और निर्माणाधीन प्रोजेक्ट इतनी क्षमता के हैं।
भारत की कुल सौर ऊर्जा क्षमता अभी 63,000 मेगावॉट है और जिसमें अडानी के 4,803 मेगावॉट के चालू सोलर प्लांट हैं यानी कुल क्षमता का करीब साढ़े सात प्रतिशत से अधिक …इसके अलावा अडानी ग्रीन 10,080 मेगावॉट के सोलर प्लांट निर्माणाधीन हैं। इसी तरह भारत की कुल पवन ऊर्जा क्षमता 42,000 मेगावॉट है। अडानी के ऑपरेशनल विन्ड प्रोजेक्ट के 647 मेगावॉट हैं। लेकिन करीब 2,054 मेगावॉट पर काम चल भी रहा है।
अडानी समूह देश के हरित ऊर्जा इंफ्रास्ट्रक्चर में 70 बिलियन डॉलर के निवेश के लिए वचनबद्ध है। लेकिन हिंडनबर्ग के आरोपों ने समूह से जुड़ी कंपनियों के भविष्य पर संदेह पैदा कर दिया है। समूह द्वारा बड़े पैमाने पर किए गए हरित ऊर्जा निवेश भी संदेह के घेरे में हैं।
अक्षय ऊर्जा निवेश के लिए भारत सबसे उपयुक्त: मोदी
वैश्विक ऊर्जा निवेशकों को आमंत्रित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में निवेश के लिए भारत सबसे उपयुक्त स्थान है।
इंडिया एनर्जी वीक 2023 के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने निवेशकों से आग्रह किया कि भारत के ऊर्जा क्षेत्र से जुड़ी संभावनाओं को जानकर इसका हिस्सा बनें।
मोदी ने हालिया बजट में नवीकरणीय ऊर्जा, ऊर्जा दक्षता, सतत परिवहन और हरित प्रौद्योगिकी पर सरकार की घोषणाओं का विस्तृत विवरण दिया। उन्होंने कहा कि एनर्जी ट्रांजिशन और नेट-जीरो उद्देश्यों को आगे बढ़ाने के लिए 35,000 करोड़ रुपए के पूंजी निवेश का प्रावधान रखा गया है।
उन्होंने यह भी कहा कि दस लाख करोड़ रुपए का कुल पूंजीगत व्यय हरित हाइड्रोजन, सौर, सड़क आदि से जुड़े इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा देगा।
उन्होंने कहा कि पिछले नौ वर्षों में भारत की नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता 70 गीगावाट से बढ़कर लगभग 170 गीगावाट हो गई है, तथा सौर ऊर्जा में 20 गुना वृद्धि हुई है। मोदी ने कहा कि पवन ऊर्जा क्षमता में भारत चौथे स्थान पर है।
यूरोप में पवन और सौर बिजली उत्पादन में रिकॉर्ड वृद्धि
एक नए विश्लेषण से पता चला है कि 2022 में पहली बार यूरोपीय संघ की बिजली आपूर्ति में पवन और सौर ऊर्जा स्रोतों का योगदान किसी भी अन्य स्रोत की तुलना में अधिक था।
क्लाइमेट थिंकटैंक एम्बर की एक रिपोर्ट के अनुसार, यूरोपीय संघ की बिजली का पांचवा हिस्सा पवन और सौर स्रोतों से आया, जो कि एक रिकॉर्ड है।
विश्लेषण में कहा गया है कि 2022 में पवन और सौर ऊर्जा में वृद्धि से यूरोप को रूसी गैस आपूर्ति पर प्रतिबंध, सूखे के कारण पनबिजली में गिरावट और अप्रत्याशित परमाणु आउटेज के ‘तिहरे संकट’ से बचने में मदद मिली।
पनबिजली और परमाणु ऊर्जा में लगभग 83% गिरावट को पवन तथा सौर ऊर्जा और बिजली की गिरती मांग ने बराबर किया। बाकी हिस्सा कोयले से मिला। हालांकि रूस से जीवाश्म ईंधन आपूर्ति में गिरावट के बीच कोयले के उपयोग में जितनी वृद्धि अपेक्षित थी उतनी नहीं हुई।
2022 में पूरे यूरोपीय संघ में सौर उत्पादन में रिकॉर्ड 24% की वृद्धि हुई। लगभग 20 देशों ने बिजली का रिकॉर्ड हिस्सा सौर ऊर्जा से प्राप्त किया।
पवन और सौर ऊर्जा में इस साल भी विकास जारी रहने की उम्मीद है, साथ ही पनबिजली और परमाणु ऊर्जा उत्पादन में सुधार होने की संभावना है। मौजूदा विश्लेषण में कहा गया है कि इन दोनों के फलस्वरूप 2023 में जीवाश्म ईंधन से बिजली उत्पादन में 20% की अभूतपूर्व गिरावट आ सकती है।
दो साल पहले, हमने अंग्रेजी में एक डिजिटल समाचार पत्र शुरू किया जो पर्यावरण से जुड़े हर पहलू पर रिपोर्ट करता है। लोगों ने हमारे काम की सराहना की और हमें प्रोत्साहित किया। इस प्रोत्साहन ने हमें एक नए समाचार पत्र को शुरू करने के लिए प्रेरित किया है जो हिंदी भाषा पर केंद्रित है। हम अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद नहीं करते हैं, हम अपनी कहानियां हिंदी में लिखते हैं।
कार्बनकॉपी हिंदी में आपका स्वागत है।
आपको यह भी पसंद आ सकता हैं
-
बायोमास के लिए काटे जा रहे हैं इंडोनेशिया के जंगल
-
रिकॉर्ड वृद्धि के बावजूद 2030 तक तीन गुनी नहीं हो पाएगी अक्षय ऊर्जा क्षमता: इरेना
-
रूफटॉप सोलर न लगाने पर चंडीगढ़ के हजारों घरों को नोटिस
-
सोलर उपायों को तरजीह देते हैं भारत के अधिकांश युवा: सर्वे
-
रूफटॉप सोलर की मांग बढ़ने से इनवर्टर की कमी, बढ़ सकते हैं दाम