अडानी ग्रीन एनर्जी के क्षेत्र में बड़े खिलाड़ी बनने की राह में हैं, लेकिन उनकी कंपनी के शेयरों में 24 जनवरी के बाद से अब तक पचास प्रतिशत से अधिक गिरावट होने से बड़ा झटका लगा है।
शॉर्टसेलर हिंडनबर्ग रिसर्च के खुलासे के बाद अडानी की सभी कंपनियों के शेयर स्टॉक मार्केट में औंधे मुंह गिरे हैं। सोमवार को भी अडानी की बाकी कंपनियों के अलावा साफ ऊर्जा या क्लीन एनर्जी के क्षेत्र में भी अडानी के शेयर धड़ाम से गिरे। यह एक ऐसा क्षेत्र है जहां अडानी क्लीन एनर्जी के फील्ड में बड़े खिलाड़ी बनने जा रहे हैं।
अडानी ग्रीन एनर्जी का बुरा हाल
अडानी ग्रीन के एक शेयर की कीमत सोमवार को 900 रुपए से कम हो गई। कंपनी के शेयरों में लगातार लोअर सर्किट लग रही है। हिंडनबर्ग रिपोर्ट के बाद इस शेयर की कीमत औसतन हर रोज़ 10 प्रतिशत गिरी।
अडानी ग्रीन एनर्जी शेयर बाज़ार में 2018 में लिस्ट हुई थी। तब इस कंपनी के शेयर का दाम 30 रुपए के आसपास था। लेकिन 2020 के बाद से अडानी ग्रीन एनर्जी के शेयर तेज़ी से बढ़े और अप्रैल 2022 इस कंपनी का शेयर 2,800 रुपए से ऊपर चला गया था।
एक समय तो बाज़ार में इस कंपनी की कीमत साढ़े चार लाख करोड़ हो गई थी। इस साल 24 जनवरी को ही इसके शेयर की कीमत 3 लाख करोड़ थी जो अभी घटकर 1.5 लाख करोड़ से कम हो गई है।
साफ ऊर्जा में ऊंचे इरादे
आखिर अडानी ग्रीन एनर्जी भारत के साफ ऊर्जा मिशन में क्यों अहम है। इस कंपनी की वेबसाइट के मुताबिक सौर और पवन ऊर्जा को मिलाकर उसका कुल 20,434 मेगावॉट का रिन्यूएबन एनर्जी पोर्टफोलियो है। यानी चालू और निर्माणाधीन प्रोजेक्ट इतनी क्षमता के हैं।
भारत की कुल सौर ऊर्जा क्षमता अभी 63,000 मेगावॉट है और जिसमें अडानी के 4,803 मेगावॉट के चालू सोलर प्लांट हैं यानी कुल क्षमता का करीब साढ़े सात प्रतिशत से अधिक… इसके अलावा अडानी ग्रीन 10,080 मेगावॉट के सोलर प्लांट निर्माणाधीन हैं।
इसी तरह भारत की कुल पवन ऊर्जा क्षमता 42,000 मेगावॉट है। अडानी के ऑपरेशनल विन्ड प्रोजेक्ट के 647 मेगावॉट हैं। लेकिन करीब 2,054 मेगावॉट पर काम चल भी रहा है।
अडानी का साफ ऊर्जा कारोबार 12 राज्यों की 91 लोकेशन्स में फैला हुआ है। कंपनी का दावा है कि उसके साफ ऊर्जा प्रयासों से 5.2 मिलियन टन कार्बन डाइ ऑक्साइड का उत्सर्जन कम हो रहा है।
ग्रीन के साथ कोयले के भी खिलाड़ी
महत्वपूर्ण है कि 2030 तक भारत का लक्ष्य है कि वह 450 गीगावॉट यानी साढ़े चार लाख मेगावॉट साफ ऊर्जा के संयंत्र स्थापित करे।
भारत चाहता है कि 2030 तक उसकी कुल ऊर्जा में 50 प्रतिशत साफ ऊर्जा का हिस्सा हो। इसी अवसर को देखते हुए अडानी ने ग्रीन एनर्जी यानी क्लीन एनर्जी के कारोबार में कदम रखा और उसके शेयर आसमान छूने लगे, लेकिन मौजूदा हालात बताते हैं कि भारत का क्लीन एनर्जी मिशन जैसा भी चले अडानी ग्रीन एनर्जी की हवा निकल गई है।
महत्वपूर्ण यह है कि साफ ऊर्जा के कारोबारी अडानी कोयले के कारोबार में भी सबसे बड़ी कंपनियों के मालिक है। आज कोल इंडिया के बाद उन्हीं के पास खदानों के रूप में कोयले का सबसे बड़ा भंडार है।
अडानी इंटरप्राइजेज देश की सबसे बड़ी कोयला कारोबारी है। पिछले साल अप्रैल से जून तक भारत के कोयला आयात में अडानी की सहायक कंपनियों का हिस्सा 35 प्रतिशत था, जबकि जून 2021 से जून 2022 तक इनकी हिस्सेदारी 30 फीसदी थी।
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