मणिपुर में बीजेपी सरकार ने लोकटक झील पर और उसके आसपास 2,000 करोड़ के प्रोजेक्ट को पास कराने के लिये पर्यावरण (सुरक्षा) कानून 1986 का उल्लंघन किया। लोकटक भारत की सबसे बड़ी झीलों में से एक है। वेबसाइट द वायर में छपी ख़बर के मुताबिक सरकार यहां इको टूरिज्म और इनलैंड-वॉटरवेज़ के नाम पर नेगा प्रोजेक्ट लाने की कोशिश कर रही है। विशेषज्ञों ने इन प्रोजेक्ट के खिलाफ राय दी है जिससे न केवल इकोसिस्टम को ख़तरा है बल्कि 3 लाख लोगों की रोज़ी रोटी पर भी असर पड़ेगा जिनमें से अधिकांश आदिवासी हैं। मणिपुर में अभी हाल ही में दो चरण में मतदान हुआ है और इसी दौरान यह बात पता चली है।
ऑइल पाम को बढ़ावा देने के लिये सरकार मलेशिया से टेक्नोलॉजी सपोर्ट लेगी
भारत देश में पाम ऑइल की खेती को बढ़ाने के लिये मलेशिया से टेक्निकल मदद लेगी। भारत ताड़ के तेल के आयात को घटाने की कोशिश कर रहा है। इंडोनेशिया के बाद दुनिया में मलेशिया इस तेल का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। केंद्र सरकार ने ताड़ के तेल के लिये – नेशनल मिशन फॉर एडिबल ऑइल – ऑइल पाम (एनएमईओ -ओपी) – कार्यक्रम शुरु किया है। विशेषज्ञों ने पर्यावरण के लिये नुकसानदेह बताते हुये इस कदम की आलोचना की है।
जीएसटी काउंसिल की तर्ज पर राज्यों ने की पर्यावरण काउंसिल की मांग
भारत में राज्य सरकारें जीएसटी काउंसिल की तरह ही अब एक इन्वायरेंमेंट काउंसिल बनाने की मांग कर रही हैं ताकि हर स्तर पर पर्यावरण कार्रवाई (इन्वायरेंमेंट एक्शन) का पता लगाया जा सके। राज्यों ने यह विचार वर्ल्ड सस्टेनेबल डेवलपमेंट समिट के दौरान रखा। उनका कहना था कि क्लाइमेट एक्शन को लागू करने का जिम्मा राज्यों पर आता है इसलिये एक ऐसी कमेटी का होना ज़रूरी है जिसमें केंद्र सरकार और केंद्र शासित प्रदेशों के अधिकारी भी हों। महाराष्ट्र के पर्यावरण मंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा कि इस तरह से केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित नीति को बेहतर तरीके से लागू किया जा सकेगा।
फेसबुक क्लाइमेट चेंज को न मानने वालों की पोस्ट को लेबल करने में हुआ असफल
हालांकि फेसबुक ने झूठे दावों से निपटने और लोगों को शिक्षित करने के लिये एक सेक्शन डिज़ाइन किया है फिर भी एक नये अध्ययन में यह निष्कर्ष निकाला गया है कि फेसबुक बड़ी संख्या में ऐसी हाई प्रोफाइल अकांउट्स से की गई पोस्ट को लेबल करने में नाकाम रहा जो क्लाइमेट चेंज को लेकर संशय पैदा करने वाली थी। सेंटर फॉर काउंटरिंग डिजिटल हेट (सीसीडीएच) ने ऐसे 184 लेखों का आंकलन किया जो जलवायु परिवर्तन को लेकर संशय पैदा करने वाले थे और सोशल मीडिया में जिन पर करीब 10 लाख से अधिक लाइक, कमेंट और शेयर किये गये।
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