जंगलों की आग: पूरी दुनिया में जंगलों की आग कार्बन उत्सर्जन को बढ़ा रही है। दूसरी ओर गर्म होती धरती के कारण भी आग की घटनाये बढ़ रही हैं। फोटो: University of Nevada

जंगलों की आग से हुआ कार्बन इमीशन जर्मनी से होने वाले उत्सर्जन से दोगुना

इस साल साइबेरिया, अमेरिका और टर्की समेत पूरी दुनिया में रिकॉर्ड संख्या में विनाशकारी आग की घटनायें देखी गईं। यूरोपियन यूनियन की कॉपरनिक्स एटमॉस्फियर मॉनिटरिंग सर्विस के मुताबिक 2021 में इनसे  176 करोड़ टन कार्बन इमीशन हुआ जो कि जर्मनी के सालाना इमीशन के बराबर है और पूरे यूरोपीय यूनियन के कुल इमीशन का आधा है। इस रिपोर्ट में जंगल की आग के दोहरे प्रभाव को रेखांकित किया गया है – लकड़ी में जमा कार्बन इस आग से वापस वातावरण में आता है और कार्बन को सोखने वाले पेड़ नष्ट होते हैं।  इस बीच पिछले पखवाड़े चिली के शहर कास्ट्रो में एक जंगल की आग से 100 से अधिक घर नष्ट हो गये। 

पश्चिमी हिन्द महासागर में कोरल रीफ( मूंगे की चट्टानें )  के वजूद को ख़तरा 

एक नए अध्ययन ने पाया है कि पश्चिमी हिंद महासागर में कोरल रीफ पर ‘गिरने का खतरा’ मंडरा रहा है’। यह वैश्विक  रीफ्स का कुल का 5% हिस्सा हैं।  नेचर सस्टेनेबिलिटी नामक पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन ने अफ्रीका के पूर्वी तट और मेडागास्कर के आसपास पर्यावरण के लिहाज से संवेदनशील 11 इलाकों का अध्ययन किया और पाया कि अधिक मछली पकड़ने के कारण महाद्वीपीय तट और उत्तरी सेशेल्स पर पाए जाने वाली रीफ्स की ढहने की संभावना है।  अध्ययन में चेतावनी दी गई है कि भविष्य में गर्म होने के कारण द्वीपों के पास पाई जाने वाली रीफ्स गंभीर रूप से संकटग्रस्त हो सकती हैं। अध्ययन के अनुसार इस तरह के विध्वंस से बचाने के संभावित समाधानों में जलवायु परिवर्तन प्रभावों को कम करने और अनुकूल बनाने के साथ संयुक्त रीफ और आसन्न प्रणालियों का पारिस्थितिकी तंत्र-आधारित प्रबंधन शामिल है।

जलवायु परिवर्तन यात्रा को रिकॉर्ड करने के लिए बन रहा एक ब्लैक बॉक्स

इंसान जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को रोकने में भले ही नाकार रहा हो लेकिन गर्म होती धरती के के सफर को कैद ज़रूर कर पायेगा। ऑस्ट्रेलिया में एक “ब्लैक बॉक्स” बनाया जा रहा है, जो जलवायु परिवर्तन की दिशा में वैश्विक स्तर पर उठाए गए कदमों और बातचीत को रिकॉर्ड करेगा। तस्मानिया विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं के साथ क्लेमेंजर बीबीडीओ द्वारा विकसित बॉक्स में 50 साल की मजबूत भंडारण क्षमता होगी। यह 3 इंच मोटे स्टील से बना होगा और सोलर पैनल से ढका होगा। इस तरह के बॉक्स को बनाने का कारण है कि भावी पीढ़ियां जलवायु परिवर्तन से पैदा हुये संकट की ओर दुनिया की यात्रा को जानें और तत्काल कार्रवाई पर जोर दें।

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