बीएनईएफ के नए आंकड़ों से जाहिर होता है कि यात्री इलेक्ट्रिक वाहनों ने वर्ष 2021 की पहली तिमाही में पूरी दुनिया में वाहनों की नई बिक्री में हिस्सेदारी 10% के स्तर को पहली बार पार कर लिया। वर्ष 2020 की पहली तिमाही में कुल वैश्विक बिक्री में इलेक्ट्रिक वाहनों की हिस्सेदारी मात्र ढाई प्रतिशत थी। उस लिहाज से इस साल के आंकड़े मील का पत्थर सरीखे हैं। इस साल बिकी कारों में से ज्यादातर हाइब्रिड नहीं, बल्कि पूरी तरह से इलेक्ट्रिक थीं। अगर संख्या की बात करें तो पूरी दुनिया में बेचे गए इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या 20 लाख से ज्यादा हो चुकी है।
इसके अलावा वर्ष 2020 के मुकाबले ली-आयन बैटरियों की औसत लागत में भी 6 प्रतिशत की और गिरावट दर्ज की गई है, और यह गिरकर $132 प्रति किलोवाट तक पहुंच गई है। बीएनईएफ की गणना के मुताबिक वर्ष 2010 से अब तक इन बैटरियों की लागत में 89% की गिरावट हो चुकी है। वह भी तब, जब पिछले 2 वर्षों के दौरान ली-आयन बैटरियों की बढ़ती मांग से उनकी कीमतों में अनिश्चित प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
फेम II नीति से 165000 इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री और 2877 चार्जिंग स्टेशनों में मदद मिली। हिमाचल प्रदेश में अपनी इलेक्ट्रिक वाहन नीति का मसविदा जारी किया।
भारत की संसद को दी गई सूचना के मुताबिक देश में परिवहन संसाधनों के विद्युतीकरण के लिए लागू की गई फेम II नीति से अप्रैल 2019 से 25 नवंबर 2021 के बीच 165000 इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री में मदद मिली। इसके अलावा देश के 25 राज्यों और 68 शहरों में 2877 चार्जिंग स्टेशन स्थापित करने के लिए इस योजना के तहत 528 करोड रुपए की सब्सिडी उपलब्ध कराई गई। इस नीति के तहत इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए सब्सिडी की मद में 10000 करोड रुपए का इंतजाम किया गया है और इस नीति के जरिए देश के अनेक राज्यों और शहरों के बेड़ों में 6315 इलेक्ट्रिक बसें जोड़ी गई हैं।
इसके अलावा हिमाचल प्रदेश सरकार ने अपनी इलेक्ट्रिक वाहन नीति संबंधी मसविदे को हरी झंडी दे दी है। सामान्य प्रोत्साहन के अलावा राज्य सरकार ने वर्ष 2025 तक अपने परिवहन बेड़े के कम से कम 15% हिस्से को पूरी तरह इलेक्ट्रिक बनाने का लक्ष्य तय किया है।
जर्मन गठबंधन ने वर्ष 2035 से पहले आईसीई कारों को चरणबद्ध ढंग से चलन से बाहर करने का फैसला किया, मगर उच्च श्रेणी की स्पोर्ट्स कारों और ई-फ्यूल को रखा जाएगा दायरे से बाहर
जर्मनी की अगली सरकार के लिए बनाए गए गठबंधन में शामिल दलों ने यूरोपीय यूनियन द्वारा वर्ष 2035 तक के लिए निर्धारित लक्ष्य से काफी पहले नई आईसीई कारों की बिक्री को चरणबद्ध ढंग से खत्म करने का फैसला किया है। मगर उच्च श्रेणी की स्पोर्ट्स कारों को इसके दायरे से बाहर रखा जाएगा। इसके अलावा उत्सर्जन के मानकों से इतर सिंथेटिक ईंधन से चलने वाले वाहनों के रजिस्ट्रेशन को अनुमति देने का फैसला किया गया है क्योंकि जर्मनी के ऑटोमोटिव मार्केट के विशाल उप क्षेत्र यानी इंजन के निर्माताओं ने आग्रह करते हुए कहा है कि ऐसा करने से इंजन से संबंधित काम करने वाले हजारों लोगों की रोजी-रोटी बरकरार रहेगी। ईंधन के आपूर्तिकर्ताओं के आग्रह के मुताबिक सिंथेटिक ईंधन को भी सामान्य पेट्रोल और डीजल वितरण केंद्रों से हासिल किया जा सकेगा और इसे मौजूदा ईंधन के साथ मिलाकर बेचा जा सकेगा।
फिर भी सिंथेटिक ईंधन, जिसे कि ई-फ्यूल भी कहा जाता है, को सामान्य गैसोलीन के मुकाबले ज्यादा दामों पर बेचे जाने की संभावना है ताकि इलेक्ट्रिक वाहनों को अधिक आकर्षक विकल्प बनाया जा सके, बशर्ते उनके उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि ना हो।
अपने इलेक्ट्रिक वाहनों के बजट को दोगुना करेगी निसान, नये मॉडल विकसित करने पर खर्च करेगी 13 बिलियन डॉलर
जापान की कार निर्माता कम्पनी निसान ने ऐलान किया है कि वह इलेक्ट्रिक वाहनों पर पिछले एक दशक के दौरान खर्च की गयी धनराशि को दोगुने तक बढ़ाएगी। साथ ही सिर्फ इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्माण के जरिये खुद के रूपांतरण को तेजी देने के लिये अपने बजट को 13 बिलियन डॉलर तक बढ़ाएगी। कम्पनी वर्ष 2030 तक 15 नये पूर्णत: इलेक्ट्रिक मॉडल तैयार करने की योजना बना रही है। कम्पनी के सीईओ के मुताबिक यह निर्णय सामाजिक आवश्यकताओं को पूरा करने और जलवायु परिवर्तन से मुकाबले के प्रति जिम्मेदार बनने की निसान की इच्छा से कुछ हद तक प्रभावित है। इसके अलावा निसान वर्ष 2050 तक खुद को कार्बन न्यूट्रल बनाने के मकसद से अगले आठ वर्षों में ली-आयन बैटरी पैक के लक्ष्य को 65 प्रतिशत तक कम करने की दिशा में काम कर रही है।इसके विपरीत टोयोटा मोटर्स के सीईओ के हवाले से पिछले सितम्बर में कहा गया कि आईसी इंजन से दूरी बना लेने से करोड़ों लोगों का रोजगार छिन जाएगा और ‘‘कार्बन डाई ऑक्साइड हमारी दुश्मन है, न कि इंटरनल कम्बसशन इंजन।’’ फिर भी इसके साथ ही दुनिया की सबसे बड़ी कार निर्माता कम्पनी 250-300 मील प्रति चार्ज की रेंज देने वाली किफायती इलेक्ट्रिक गाडि़यों और व्यापक बाजार उत्पन्न करने का लक्ष्य लेकर चल रही है।
दो साल पहले, हमने अंग्रेजी में एक डिजिटल समाचार पत्र शुरू किया जो पर्यावरण से जुड़े हर पहलू पर रिपोर्ट करता है। लोगों ने हमारे काम की सराहना की और हमें प्रोत्साहित किया। इस प्रोत्साहन ने हमें एक नए समाचार पत्र को शुरू करने के लिए प्रेरित किया है जो हिंदी भाषा पर केंद्रित है। हम अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद नहीं करते हैं, हम अपनी कहानियां हिंदी में लिखते हैं।
कार्बनकॉपी हिंदी में आपका स्वागत है।