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107 गीगावॉट से ज्यादा सौर ऊर्जा परियोजनाएं स्थापित हो चुकी है या प्रक्रियाधीन हैं : ऊर्जा मंत्री

सरकार ने संसद को सूचना दी कि देश में कुल 107.46 गीगावॉट विद्युत उत्पादन क्षमता वाली सौर ऊर्जा परियोजनाएं या तो स्थापित कर दी गई हैं अथवा क्रियान्वयन या निविदा के विभिन्न चरणों से गुजर रही हैं। भारत वर्ष 2022 तक 100 गीगा वाट सौर ऊर्जा उत्पादन के लक्ष्य को हासिल करने की कोशिश कर रहा है।

ऊर्जा मंत्री आर.के. सिंह ने संसद में कहा कि अक्टूबर 2021 तक ग्रिड से जुड़ी 46.25 गीगा वाट सौर ऊर्जा क्षमता को स्थापित कर लिया गया है। वहीं 36.65 गीगावॉट क्षमता की परियोजनाएं प्रक्रियाधीन है और 24.56 गीगावॉट समस्या की परियोजनाओं की निविदा की प्रक्रिया चल रही है। वर्ष 2021-22 में भारत में कुल ऊर्जा मांग में अक्षय ऊर्जा संसाधनों की हिस्सेदारी करीब 20% रहने का अनुमान है और वर्ष 2026-27 तक इसके 24% होने की संभावना है।

आईईए : दुनिया 290 गीगावॉट अक्षय ऊर्जा स्थापना के साथ रिकॉर्ड बनाने की दहलीज पर

इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी (आईईए) के मुताबिक वर्ष 2021 में दुनिया करीब 290 गीगावॉट अक्षय ऊर्जा क्षमता जोड़ने जा रही है। इसके साथ ही वह नई ऊर्जा क्षमता जोड़ने का सर्वकालिक रिकॉर्ड बनाने की दहलीज पर खड़ी है। आईईए वर्ष 2026 तक वैश्विक अक्षय ऊर्जा उत्‍पादन क्षमता 4800 गीगा वाट के स्तर को पार कर जाएगी। यह वर्ष 2020 के स्तरों के मुकाबले 60% से ज्यादा की वृद्धि होगी। वर्ष 2026 तक अक्षय ऊर्जा की मात्रा इस वक्त वैश्विक स्तर पर जीवाश्म ईंधन तथा नाभिकीय ऊर्जा को मिलाकर पैदा की जा रही कुल बिजली के बराबर हो जाएगी

रिपोर्ट के मुताबिक अक्षय ऊर्जा क्षमता में वृद्धि के मामले में चीन सबसे आगे होगा। उसके बाद यूरोप, अमेरिका और भारत होंगे। आईईए के फेथ बिरोल ने कहा कि भारत में अक्षय ऊर्जा का विकास असाधारण है और यह वर्ष 2030 तक 500 गीगावॉट अतिरिक्त अक्षय ऊर्जा उत्पन्न करने के सरकार के लक्ष्य को हासिल करने में मददगार साबित होगा।

रिपोर्ट में आगाह भी किया गया है कि अक्षय ऊर्जा अनेक नीतिगत अनिश्चितता और क्रियान्वयन संबंधी चुनौतियों का सामना कर रही है। इनमें अनुमति की जटिल प्रक्रियाएं, ग्रिड से जोड़ने के लिए वित्त पोषण और सामाजिक स्वीकार्यता संबंधी बाधाएं भी शामिल हैं। आईईए का कहना है कि कमोडिटी के दामों में वृद्धि होने से निवेश संबंधी लागतों पर दबाव पड़ा है। अगर कमोडिटी के दामों में अगले साल के अंत तक तेजी जारी रही तो वायु आधारित ऊर्जा परियोजनाओं में निवेश की लागत वर्ष 2015 के स्तरों की तरह फिर से बढ़ जाएगी। इससे पिछले 3 वर्षों के दौरान सोलर पैनल की लागत में हुई कमी से मिला फायदा खत्म हो जाएगा।

वर्ष 2030 तक 450 गीगा वाट का लक्ष्य हासिल करने के लिए भारत को 38 गीगावॉट क्षमता को 4 घंटे वाली बैटरी स्टोरेज से जोड़ना होगा

हाल के एक अध्ययन में कहा गया है कि 450 गीगावॉट अक्षय ऊर्जा के किफायती और भरोसेमंद एकीकरण के लिए भारत को वर्ष 2030 तक 38 गीगावॉट की 4 घंटे की बैटरी स्टोरेज और 9 गीगावॉट की थर्मल बैलेंसिंग बिजली परियोजनाओं की जरूरत पड़ेगी। अब से वर्ष 2030 तक हर साल 35 गीगावॉट से अधिक वायु तथा सौर ऊर्जा क्षमता को निरंतर जोड़ने की आवश्यकता होगी।

अध्ययन में कहा गया है कि भारत का बिजली तंत्र बहुत जटिल है और इसमें मौसम पर ज्यादा आधारित ऊर्जा मिश्रण तथा विकेंद्रित ऊर्जा स्रोतों की मौजूदगी है। ऐसी जटिलता को संभालने के लिए ऊर्जा तथा सहायक सेवाओं का बाजार, ऊर्जा तथा सहायक सेवाओं के अलग-अलग बाजारों के मुकाबले ज्यादा दक्षतापूर्ण है।

सरकार के ताजा तरीन दिशानिर्देशों में सहायक सेवाओं को ऐसी सेवाओं के तौर पर परिभाषित किया गया है जो ऊर्जा गुणवत्ता, ग्रिड की विश्वसनीयता और सुरक्षा को बनाए रखने के लिए ग्रिड के संचालन में आवश्यक हैं। इन नए पैमानों का मकसद सहायक सेवाओं के लिए भुगतान करने और 50 हर्टज के करीब ग्रि‍ड आवृत्ति बनाए रखने के लिए बिजली एक्सचेंजों के माध्यम से स्पॉट मार्केट से बिजली की खरीद सुलभ कराना है।

सीईआरसी ने पूरे भारत में कारोबार करने के लिए रिन्यू एनर्जी मार्केट्स को लाइसेंस प्रदान किया

सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी कमीशन (सीईआरसी) ने रिन्यू एनर्जी मार्केट्स को पूरे भारत में कारोबार करने के लिए लाइसेंस दिया है। इसके तहत निर्धारित मानदंडों के मुताबिक कंपनी को 10 करोड़ रुपए (1.33 मिलियन डॉलर) की नेटवर्थ और 1:1 का लिक्विडिटी अनुपात बनाने के लिए कैटेगरी IV के ट्रेडिंग लाइसेंस के लिए आवेदन करना होगा। एक वित्तीय वर्ष में बेचने के लिए प्रस्तावित बिजली की मात्रा 2000 मिलियन यूनिट से ज्यादा नहीं होगी।सीईआरसी के नियमों के मुताबिक कंपनी लाइसेंस के निर्वाह की अवधि के दौरान बिजली ट्रांसमिशन के काम नहीं कर सकेगी। कारोबारी मुनाफा ट्रेडिंग लाइसेंस रेगुलेशंस के अनुरूप ही होना चाहिए, जिसमें समय-समय पर बदलाव होता रहता है। लाइसेंस प्राप्तकर्ता को सीईआरसी रेगुलेशन-2012 के प्रावधानों के अनुरूप लाइसेंस शुल्क का सालाना भुगतान नियमित रूप से करना होगा।

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