ऊंचे इरादे, कठिन राह - विश्लेषकों का कहना है कि 2030 तक केवल 300 गीगावॉट के सौर लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए ही भारत को 2022 से हर साल 28 गीगावॉट की नई सौर क्षमता स्थापित करने की आवश्यकता है - फोटो: Japan Times

मिशन 500 गीगावॉट और नेट ज़ीरो वर्ष का हुआ ऐलान पर व्यवहारिक दिक्कतें बरकार

इस साल नवंबर में हुये जलवायु परिवर्तन महासम्मेलन (सीओपी-26) में भारत ने घोषणा की कि वह 2030 तक 500 गीगावॉट साफ ऊर्जा की क्षमता हासिल कर लेगा। यह घोषणा स्वैच्छिक राष्ट्रीय लक्ष्यों (एनडीसी) के तहत की गई। सरकार ने पहले 2030 459 गीगावॉट साफ ऊर्जा (गैर-जीवाश्म स्रोत से आने वाली पावर) का लक्ष्य रखा था। भारत ने यह भी कहा कि वह 2070 तक नेट-जीरो उत्सर्जन लक्ष्य हासिल कर लेगा। ऊर्जा मंत्री ने कहा कि भारत सौर और पवन ऊर्जा से लगभग 450 गीगावाट बिजली पैदा करेगा, जबकि 70-100 गीगावाट जल विद्युत से बनाई जायेगी। 

भारत ने 500 GW के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए नवीकरणीय ऊर्जा खरीद बाध्यता को 2022 से 2030 तक बढ़ाने की योजना बनाई है। विश्लेषकों का कहना है कि 2030 तक केवल 300 गीगावॉट के सौर लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए ही भारत को 2022 से हर साल 28 गीगावॉट की नई सौर क्षमता स्थापित करने की आवश्यकता है, जो किसी भी वर्ष की सौर क्षमता से तीन गुना अधिक है। 

भारतीय सौर ऊर्जा निगम (SECI) को वार्षिक आधार पर 15GW की निविदाएं जारी करने के लिए बजट में अतिरिक्त 1,000 करोड़ रुपये मिले। चूंकि अभी सिर्फ 101 गीगावॉट साफ ऊर्जा क्षमता ही उपलब्ध है, 2030 तक 500 गीगावॉट के अपने घोषित लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सरकार की योजना ‘मिशन 500 गीगावॉट’ स्थापित करने की है। सरकार ने कहा कि कुल 107.46 गीगावॉट की सौर ऊर्जा परियोजनाएं या तो  पूरी हो चुकी हैं या कार्यान्वयन/निविदा के विभिन्न चरणों में हैं।  

भारत का लक्ष्य सौर उपकरणों का निर्यात करना है जिसके लिए सरकार की योजना घरेलू निर्माताओं को मिलने वाले उत्पादन से जुड़े इंसेंटिव (पीएलआई) को मौजूदा 4,500 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 24,000 करोड़ रुपए करने की है। दुनिया की सबसे बड़ी कोयला कंपनी कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) ने सौर परियोजनाएं स्थापित करने और पीएलआई योजना के लिए बोली लगाने का फैसला किया है।  अडानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड (एजीईएल) ने कहा कि वह 2030 तक 45 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा स्थापित करेगी। रिलायंस इंडस्ट्रीज 2035 तक नेट कार्बन जीरो फर्म बनने के लिए तीन वर्षों में साफ़ ऊर्जा में 10.1 बिलियन डॉलर का निवेश करेगी। रिलायंस 2030 तक कम से कम 100 GW की सौर क्षमता का भी निर्माण करेगी। 

घरेलू सौर विनिर्माण क्षेत्र ने आरोप लगाया कि भारत का पीएलआई कार्यक्रम बड़े खिलाड़ियों के लिए है, और छोटे निर्माताओं को पनपने नहीं देगा। 2050 तक नवीकरणीय ऊर्जा के लक्ष्यों और नेट ज़ीरो उत्सर्जन को प्राप्त करने के लिए भारत को सौर और पवन उत्पादन के लिए भूमि उपयोग के विवेकपूर्ण नियोजन की आवश्यकता है, इंस्टीट्यूट फॉर एनर्जी इकोनॉमिक्स एंड फाइनेंशियल एनालिसिस (आईईईएफए) ने एक नई रिपोर्ट में कहा। रिपोर्ट ने यह भी कहा कि 2050 तक शुद्ध-शून्य लक्ष्य के साथ, भारत में सौर ऊर्जा के उत्पादन के लिए लगभग 50,000-75,000 वर्ग किलोमीटर भूमि की ज़रुरत होगी, जबकि पवन ऊर्जा के लिए 15,000-20,000 वर्ग किमी की ज़रूरत है। 

भारत ने साफ ऊर्जा (आरई) क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए नए नियमों का प्रस्ताव रखा, जिसमें नवीकरणीय ऊर्जा खरीद बाध्यता (आरपीओ) को पूरा करने के लिए हाइड्रोजन की खरीद की अनुमति भी शामिल है। केंद्र ने कूड़े-से-ऊर्जा संयंत्रों को भी नवीकरणीय ऊर्जा के रूप में वर्गीकृत किया है। आईईईएफए ने कहा कि भारत 2022 तक कृषि क्षेत्र में दो मिलियन ऑफ-ग्रिड सौर सिंचाई पंप स्थापित करने के अपने लक्ष्यों से बहुत पीछे रह जाएगा, क्योंकि किसानों को क़र्ज़ मिलना बहुत मुश्किल है क्योंकि बैंक क़र्ज़ देने के लिए किसानों की भूमि को मजबूत संपार्श्विक (कोलैटरल) नहीं मानते हैं। 

हाल के एक अध्ययन में कहा गया है कि नवीकरणीय क्षेत्र में सब्सिडी 2017 में चरम पर पहुंचने के बाद से लगभग 45% कम हो गई है और सरकार को उन्हें तत्काल पुनर्जीवित करने की आवश्यकता है। आईईईएफए के अनुसार, भारत के एक अल्पकालिक ऊर्जा बाजार शुरू करने से नवीकरणीय परियोजना डेवलपर्स के लिए परियोजनाओं के फाइनेंशियल क्लोसर हेतु वितरण कंपनियों के साथ दीर्घकालिक अनुबंध किए बिना ऑफटेक एग्रीमेंट करना आसान हो जाएगा

रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार भारत 2025-27 तक हाइड्रोजन के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए $20 करोड़ खर्च करेगा। 2050 तक नेट-ज़ीरो (शुद्ध-शून्य) उत्सर्जन प्राप्त करने के लिए, भारत को 2050 तक अपनी ऊर्जा का कम से कम 83% उत्पादन (गैर-जल विद्युत) नवीकरणीय स्रोतों से  करने की आवश्यकता है, ऊर्जा, पर्यावरण और जल परिषद (सीईईडब्ल्यू) ने कहा। 

सौर परियोजनाओं के लिए भूमि अधिग्रहण में देरी के कारण राज्य सरकारें सौर पैनलों को जलाशयों पर लगा रही हैं या ऐसी उनकी योजना है। मोंगाबे की रिपोर्ट के मुताबिक इससे जैव-विविधता की अपूरणीय क्षति हो रही है। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान-(आईआईटी) दिल्ली का अनुमान है कि अगर भारत 2030 तक 347.5 गीगावॉट के सौर पैनल लगाता है, तो 2047 तक लगभग 295 करोड़ टन सौर उपकरण भारत के इलेक्ट्रॉनिक-कचरे का भाग हो सकते हैं। 
महामारी के बावजूद, चीन ने 2020 में इतनी पवन ऊर्जा (विन्ड पावर) का उत्पादन किया जो 2019 में पूरी दुनिया द्वारा स्थापित की गई ऊर्जा से कहीं अधिक थी। अमेरिका में डेवलपर्स ने पिछले साल 16.5GW क्षमता के विन्ड पावर प्लांट लगाये। सऊदी अरब, जहां 1 प्रतिशत से भी कम ऊर्जा साफ स्रोतों से है,  2030 तक अपनी ऊर्जा का 50% नवीकरणीय स्रोतों से उत्पन्न करने की योजना बना रहा है। आईईए ने कहा कि भले ही सभी देशों ने अपने मौजूदा नेट ज़ीरो लक्ष्यों को पूरा किया है, लेकिन दुनिया को 2050 तक शुद्ध-शून्य उत्सर्जन हासिल करने के लिए 2030 तक उत्सर्जन में जिस कटौती की आवश्यकता है, उसका केवल 20 प्रतिशत ही हासिल हो सकेगा।

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