Credit: Indian Express

दिल्ली-एनसीआर के पावर प्लांट प्रदूषण की प्रभावी मॉनीटरिंग नहीं कर रहे: सीएसई रिपोर्ट

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र के बिजलीघर और उद्योग अपने उत्सर्जनों को मॉनीटर तक नहीं कर रहे हैं जबकि राजधानी और उससे लगे इलाकों में प्रदूषण का स्तर “सीवियर” यानी बहुत हानिकारक – ए क्यू आई  400 से ऊपर  –   है। दिल्ली स्थित सेंटर फॉर साइंस एंड इन्वायरेंमेंट (सीएसई) की रिपोर्ट में इमीशन डाटा में गड़बड़ियां पाई गईं हैं। 

साल 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर के पावर प्लांट्स और उद्योगों को उत्सर्जन पर लगातार निगरानी के लिये उपकरण (सीईएमएस) लगाने को कहा था और कहा था कि इसका डाटा ऑनलाइन शेयर होना चाहिये लेकिन दिल्ली से लगे उत्तर प्रदेश के पास सीईएमएस डाटा प्रकाशित करने का कोई पोर्टल तक नहीं है।   पंजाब एनसीआर में शामिल अपने चार ताप बिजलीघरों में से केवल दो का डाटा सार्वजनिक करता है जबकि हरियाणा पांच में से केवल दो बिजलीघरों का। 

रिपोर्ट कहती है कि दिल्ली-एनसीआर के 11 में से 4 बिजलीघरों का डाटा सवालों में है। राजीव गांधी और गुरु हर गोविन्द नाम से बने बिजलीघरों को बन्द कर दिया गया लेकिन ठप्प होने के बाद भी वहां से सल्फर और नाइट्रस ऑक्साइड का इमीशन दिख रहा है। सीईएमएस के जो आंकड़े जनता के आगे रखे जाते हैं वह  तात्कालिक डाटा हैं और पिछले लम्बे समय के आंकड़े इसमें नहीं मिलते। 

पराली जलाने के मामलों की चरम सीमा 30 दिन बाद आने से इस वर्ष नवंबर रहा 6 सालों में  सर्वाधिक प्रदूषित

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार, नवंबर 2021 में औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक 376 रहा जो छह वर्षों में सबसे खराब स्तर था। नवंबर 2020 का आंकड़ा 327 था, जबकि नवंबर 2019 में 312 के औसत एक्यूआई के साथ हवा भी साफ थी। 2018 में नवंबर का औसत 334, 2017 में 360, 2016 में 374 और 2015 में 358 था।

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार नवंबर 2021 में 11 दिन ऐसे थे जब वायु गुणवत्ता ‘गंभीर’ श्रेणी में थी। जबकि 2020 में 9, 2019 में 7 और 2018 में 5 दिन ऐसे थे। सफर (SAFAR) के संस्थापक परियोजना निदेशक गुफरान बेग ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि इस साल मानसून की वापसी में देरी के कारण पराली जलाने के मामलों की चरम सीमा आने में भी लगभग एक हफ्ते का अंतर हो गया जिसके कारण नवंबर 2021 में हवा की गुणवत्ता ख़राब रही। उन्होंने कहा कि आमतौर पर अक्टूबर और नवंबर में हवा की गुणवत्ता खराब हो जाती है, लेकिन इस साल सबसे खराब स्थिति नवंबर में स्थानांतरित हो गई। 

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा की सैटेलाइट तस्वीरों में धुंध और कोहरा दिल्ली की ओर बढ़ता हुआ दिखाई दिया। तस्वीरों में पंजाब और हरियाणा में पराली की आग से निकलने वाले विशाल धुंध के गुबार को दर्शाया गया है जो दिल्ली की ओर बढ़ रहा है। दिल्ली की ओर आने वाले इस धुंध के गुबार में कुछ हिस्सा उत्तरी पाकिस्तान में फसल जलाने की गतिविधियों से भी जुड़ा है, द वेदर चैनल ने बताया। नवंबर 11 के बाद से फसल जलाने की गतिविधियों ने रफ्तार पकड़ ली है। वीआइआइआरएस (VIIRS) ने नवंबर 16 तक पंजाब में 74,000 से अधिक फायर हॉटस्पॉट दर्ज किए हैं।

बिगड़ते वायु प्रदूषण से पटना में सांस की गंभीर बीमारी के मामले बढ़े 

बिहार की राजधानी पटना के अस्पतालों में बिगड़ते वायु प्रदूषण के कारण नवंबर में गंभीर सांस की बीमारी वाले मरीजों की संख्या बढ़ गई। बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (बीएसपीसीबी) के अनुसार, 17 नवंबर, 2021 को शहर में समग्र वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 231 दर्ज किया गया था। 

इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान, पटना के चेस्ट विभाग के एक डॉक्टर ने डाउन टू अर्थ को बताया कि प्रतिदिन, 20-25 रोगी बहिरंग विभाग में आते हैं, उनमें से कम से कम पांच ऐसे थे जिनका ऑक्सीजन स्तर कोविड-19 के सामान गिर रहा था और उन्हें भर्ती करना पड़ा।

बीएसपीसीबी के अध्यक्ष अशोक घोष ने कहा कि प्रतिबंध के बावजूद दिवाली के अवसर पर पटाखे छोड़ना पटना में वायु प्रदूषण में वृद्धि के प्रमुख कारणों में से एक था। निर्माण गतिविधियों और वाहनों की आवाजाही ने भी वायु प्रदूषण में योगदान दिया। डीटीई की रिपोर्ट के अनुसार, दो साल पहले बीएसपीसीबी के एक अध्ययन में गंगा नदी के स्थानांतरण और बायोमास जलाने को पटना की बिगड़ती वायु गुणवत्ता के प्रमुख कारण बताया गया था।

दिल्‍ली, अहमदाबाद और मुम्‍बई में वर्ष 2020 के मुकाबले इस बार दीपावली के दौरान ज्‍यादा प्रदूषण रिकॉर्ड किया गया

केन्‍द्रीय एजेंसी सफर (सिस्‍टम ऑफ एयर क्‍वालिटी एण्‍ड वेदर फोरकास्‍ट एण्‍ड रिसर्च) के मुताबिक वर्ष 2021 में दीपावली के दौरान दिल्‍ली, अहमदाबाद और मुम्‍बई नगरों में दीपावली के दौरान फैला वायु प्रदूषण साल 2020 के मुकाबले ज्‍यादा था। दिल्‍ली की हालत सबसे बुरी थी। वहां पीएम10 और पीएम2.5 की मौजूदगी का स्‍तर वर्ष 2020 और 2019 के मुकाबले ज्‍यादा था और वहां वायु गुणवत्‍ता सूचकांक 400 µg / m3 के साथ ‘अत्‍यधिक’ के स्‍तर पर सरपट जा पहुंचा।

अहमदाबाद में 5 नवंबर को वायु की गुणवत्ता का स्तर खराब था। इस दौरान पीएम 2.5 का स्तर 97 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर हो गया था जो कि वर्ष 2020 में मापे गए 93 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर के मुकाबले कहीं ज्यादा था। 5 नवंबर की अलसुबह (पूर्वाहन 1:00 बजे से 5:00 बजे तक) का वक्‍त हवा में पीएम 2.5 की मौजूदगी के लिहाज से बहुत महत्वपूर्ण था। इस दौरान वायु गुणवत्ता सूचकांक ‘बहुत खराब’ से लेकर ‘अत्यधिक’ के स्तर तक पहुंच गया था। अहमदाबाद में वर्ष 2021 में मापे गए स्तर भी वर्ष 2018 के मुकाबले ज्यादा रहे। इस दौरान वायु की गुणवत्ता बहुत खराब की श्रेणी में आंकी गई।

मुंबई में इस साल दीवाली के दौरान वायु प्रदूषण का स्तर वर्ष 2019 और 2020 के मुकाबले बढ़ा हुआ पाया गया। इस दौरान हवा की गुणवत्ता ‘कम खराब’ की श्रेणी में रही। शहर में हल्की बारिश होने के कारण ऐसा हुआ।

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