क्लाइमेट प्रभाव: जलवायु संकट के कारण भारत को सौर और पवन ऊर्जा दोनों क्षेत्रों में बेहतर प्रबंधन करना होगा। फोटो - Pixabay

जलवायु संकट से प्रभावित होगी भारत की अक्षय ऊर्जा क्षमता: अध्ययन

एक नए अध्ययन ने पाया है कि जलवायु संकट भारत की अक्षय ऊर्जा क्षमता को प्रभावित कर सकता है। करंट साइंस जर्नल में प्रकाशित एक पेपर में कहा गया है कि जहां एक ओर अधिकांश सक्रिय सौर कृषि क्षेत्रों में सभी मौसमों के दौरान सौर विकिरण घटने की उम्मीद है, वहीं वार्षिक हवा की गति उत्तर भारत में कम होने और दक्षिण भारत के कुछ हिस्सों में बढ़ने की संभावना है।

वैज्ञानिकों ने कहा कि मध्य और दक्षिण-मध्य भारत में मानसून से पहले के महीनों के दौरान सौर ऊर्जा क्षेत्र में निवेश किया जाना चाहिए क्योंकि इन क्षेत्रों में संभावित विकिरण हानि न्यूनतम होने की संभावना है।

अध्ययन के अनुसार, उच्च ऊर्जा-उत्पादक हवा की गति की आवृत्ति समग्र रूप से कम हो जाएगी, लेकिन कम ऊर्जा-उत्पादक हवा की गति में वृद्धि होने की संभावना है। एचटी के अनुसार आने वाले वर्षों में मेघावरण में वृद्धि के कारण निकट भविष्य में सौर ऊर्जा उत्पादन में कमी आने की उम्मीद है।

गुजरात में 1 किलोवॉट से 1 मेगावॉट तक के रूफटॉप सोलर सिस्टम के लिए होगी नेट मीटरिंग

गुजरात सरकार ने 1 किलोवॉट और 1 मेगावॉट तक की क्षमता वाले रूफटॉप सोलर सिस्टम के लिए नेट मीटरिंग (केवल प्रयुक्त ऊर्जा के भुगतान) की अनुमति दे दी है। जबकि 10 किलोवाट और 1 मेगावाट तक की क्षमता वाले रूफटॉप सोलर सिस्टम के लिए ग्रॉस मीटरिंग (कुल उत्पन्न ऊर्जा के भुगतान) की अनुमति होगी। नए मानदंडों के अनुसार, आवासीय उपभोक्ताओं द्वारा स्थापित रूफटॉप सौर परियोजनाओं को स्वीकृत भार के निरपेक्ष अनुमति दी जाएगी। इस कार्यक्रम के अंतर्गत प्रोत्साहनों का उपभोक्ता लाभ उठा सकते हैं। कैप्टिव उपभोक्ताओं (उपभोक्ता जो तकनीकी आर्थिक या विनियमन संबंधी कारणों से अपनी पसंद के आपूर्तिकर्ता से बिजली खरीदने में असमर्थ है) के लिए स्वीकृत लोड तक की मांग और थर्ड-पार्टी सेल के तहत स्थापित परियोजनाओं के लिए अनुमेय सीमा के भीतर क्षमता पर कोई प्रतिबंध नहीं होगा।

मेरकॉम की रिपोर्ट के अनुसार, एक डेवलपर थर्ड-पार्टी सेल के तहत एक आवासीय उपभोक्ता की छत पर भी सौर परियोजनाएं स्थापित कर सकता है और उसी परिसर में किसी अन्य उपभोक्ता के लिए बिजली का उत्पादन और बिक्री कर सकता है। नए नियमों के अनुसार, इस मामले में डेवलपर और उपभोक्ता को लीज या ऊर्जा बिक्री समझौता करना होगा।

सौर पैनल निर्माण बढ़ाने के लिए बाइडेन ने युद्धकाल का अधिनियम लागू किया

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन सौर पैनलों और उनके पुर्जों के घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए अपनी कार्यकारी शक्तियों का उपयोग करेंगे। बाइडेन कोरियाई युद्ध-काल के कानून रक्षा उत्पादन अधिनियम का उपयोग करेंगे जो निजी कंपनियों को संघीय सरकार के आदेशों को प्राथमिकता देने का निर्देश देता है। यह कदम अमेरिका में सौर पैनलों के निर्माण में तेजी लाने के लिए होगा जो स्वच्छ ऊर्जा की दिशा में प्रशासन के प्रयासों का एक हिस्सा है। बाइडेन दो साल के लिए कंबोडिया, मलेशिया, थाईलैंड और वियतनाम से टैरिफ-मुक्त सौर पैनल आयात की अनुमति देने के लिए भी अपने अधिकारों का उपयोग करेंगे।

एक महत्वपूर्ण कदम में राष्ट्रपति बाइडेन ने इन चार दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में उत्पादित सौर पैनलों पर आयात शुल्क को निलंबित कर दिया है ताकि दो साल से रुके हुए सौर प्रतिष्ठानों को फिर से शुरू किया जा सके।क्लाइमेट होम के अनुसार इस निर्णय से अमेरिका के सोलर इंस्टॉलर्स ने ‘राहत की सांस ली है’। रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार बैटरी की कमी के कारण अमेरिका के लिए पवन एवं सौर ऊर्जा की ओर जाना मुश्किल हो रहा है। 

अमेरिकी अक्षय ऊर्जा डेवलपर्स ने हाल के महीनों में कई बड़ी बैटरी परियोजनाएं विलंबित या रद्द कर दी हैं जिससे जीवाश्म ईंधन को छोड़कर पवन और सौर ऊर्जा की और बढ़ने की योजना खटाई में पड़ गई है।

जर्मनी पवन ऊर्जा विस्तार में तेजी लाने के लिए विधेयक पेश करेगा

जर्मन सरकार पवन ऊर्जा के विस्तार को गति देने के उपायों का एक पैकेज पेश करने जा रही है। यह बात  न्यूज़वायर में प्रकाशित हुई है जिसमें समाचार एजेंसी रायटर्स ने ‘देखे गए दस्तावेजों’ के हवाले से जानकारी दी है। 

रिपोर्ट के अनुसार नए कानून से ‘संघीय राज्यों पर तटवर्ती पवन ऊर्जा विस्तार के लिए अनिवार्य क्षेत्रीय लक्ष्य लागू किए जाएंगे’ और योजना के नियमों में ढील दी जाएगी। पवन ऊर्जा के लिए 2% भूमि आरक्षित करने की सरकारी योजना का ‘कुछ संघीय राज्य प्रतिरोध कर रहे” हैं।

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