भारतीय और जर्मन विशेषज्ञों द्वारा संयुक्त रूप से किए गए एक ताजा अध्ययन में पता चला है कि भारत के जलाशयों पर करीब 207 गीगावाट तक की क्षमता वाले फ्लोटिंग सोलर लगाए जा सकते हैं। अध्ययन में यूरोपीय आयोग के कॉपरनिकस कार्यक्रम के हवाले से भारत के सभी जल निकायों के लिए जीआईएस-आधारित डेटा का उपयोग किया गया है।
इस डाटा सेट में वही जल निकाय हैं जिनका उपयोगी क्षेत्रफल 0.015 वर्ग किमी से अधिक है और जिनमें 12 महीने पानी रहता है। सुरक्षित क्षेत्रों में स्थित जलाशयों को इससे बाहर रखा गया है। एक मेगावाट फ्लोटिंग पीवी स्थापित करने के लिए 0.015 वर्ग किमी क्षेत्र की जरूरत होती है। मध्य प्रदेश में अधिकतम 40,117 मेगावाट क्षमता है, इसके बाद महाराष्ट्र में 32,076 मेगावाट है।
भारत की ऊर्जा क्षमता में सोलर की हिस्सेदारी बढ़कर हुई 19%
2024 की पहली तिमाही (Q1) में भारत की कुल स्थापित बिजली क्षमता में सौर ऊर्जा का हिस्सा बढ़कर 18.5% हो गया, जबकि स्थापित नवीकरणीय क्षमता में इसका हिस्सा 42.9% रहा। पिछले साल यह आंकड़े क्रमशः 15.2% और 37.4% थे।
केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण, नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय और मेरकॉम के इंडिया सोलर प्रोजेक्ट ट्रैकर के आंकड़ों के अनुसार, बड़ी पनबिजली परियोजनाओं सहित भारत की स्थापित नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता 190.6 गीगावॉट थी, जो 2024 की पहली तिमाही के अंत में कुल बिजली क्षमता मिश्रण का 43.1% है।
2023 के अंत में बिजली मिश्रण में नवीकरणीय ऊर्जा की कुल हिस्सेदारी 179.5 गीगावॉट थी, और कुल बिजली क्षमता मिश्रण में इसकी हिस्सेदारी 42% थी। भारत ने पिछली तिमाही के दौरान लगभग 32 बिलियन यूनिट सौर ऊर्जा का उत्पादन किया।
अक्षय ऊर्जा क्षमता का दोहन करने में पिछड़ रहा है बंगाल
एक नए अध्ययन के अनुसार, स्वच्छ बिजली उत्पादन में पश्चिम बंगाल की प्रगति अन्य राज्यों की तुलना में धीमी है। अमेरिका स्थित इंस्टीट्यूट फॉर एनर्जी इकोनॉमिक्स एंड फाइनेंशियल एनालिसिस (आईईईएफए) और स्वच्छ ऊर्जा थिंकटैंक एम्बर के संयुक्त अध्ययन में कहा गया है कि इस साल फरवरी तक राज्य ने अपनी नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता का केवल आठ प्रतिशत ही दोहन किया है। पश्चिम बंगाल की कुल बिजली खपत में नवीकरणीय ऊर्जा की हिस्सेदारी सिर्फ 10 प्रतिशत है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य में स्वच्छ ऊर्जा के दोहन की क्षमता बहुत है। “नवीकरणीय ऊर्जा इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास को बढ़ावा देकर और इसमें निवेश करके राज्य अपने कार्बन फुटप्रिंट कम कर सकता है, रोजगार के अवसर पैदा कर सकता है और आर्थिक विकास को बढ़ावा दे सकता है”।
पुंछ के सीमावर्ती गांव को सेना ने सोलर लाइट से किया जगमग
लाइन ऑफ़ कंट्रोल (एलओसी) से सिर्फ 600 मीटर की दूरी पर स्थित, जम्मू-कश्मीर के पुंछ जिले के डब्बी गांव में सेना ने सौर ऊर्जा से चलने वाली लाइटें लगाई हैं। सेना के एक अधिकारी ने कहा कि यह परियोजना ऑपरेशन ‘सद्भावना’ के तहत बहुत कम समय में पूरी की गई है।
मेंढर सब-डिवीजन के बालाकोटे तहसील का डब्बी गांव पिछले कुछ वर्षों में सीमा पार से होने वाली गोलाबारी से सबसे ज्यादा प्रभावित गांवों में से एक है और यहां स्ट्रीट लाइटों की कमी है। इस वजह से उन जगहों पर सोलर लाइटें लगाई गईं जहां स्थानीय लोग अक्सर आते-जाते हैं, ताकि उनके गांव की विद्युतीकरण प्रक्रिया को बढ़ावा मिले। सेना के उक्त अधिकारी ने बताया कि इस पहल से 19 घरों और 129 ग्रामीणों को स्ट्रीट लाइट की सुविधा मिली है।
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