क्लाइमेट पॉलिसी की नज़र से देखें को साल 2021 का महत्व ग्लासगो सम्मेलन के कारण था जो एक साल की देरी के बाद हुआ। संयुक्त राष्ट्र और दुनिया की तमाम सरकारें शुरू से ही क्लाइमेट को टॉप एजेंडा बनाने की लिये समर्पित दिख रही थीं। अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों में जो बाइडेन की जीत के बाद क्लाइमेट को लेकर जोश भी दिखा क्योंकि उन्होंने व्हाइट हाउस में दाखिल होते ही पहला पेरिस संधि के साथ फिर से जुड़ने का ऐलान किया। उन्होंने जलवायु परिवर्तन से निपटने को राष्ट्रीय सुरक्षा नीति का हिस्सा भी बनाया और डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा पर्यावरण से जुड़े करीब 100 से अधिक नियमों को बदल दिया।
इधर भारत में केंद्र सरकार ने पर्यावरण मंत्रालय के बजट में 200 करोड़ से ज़्यादा की कटौती कर दी। साल 2021-22 के लिये ₹2,869.93 करोड़ दिये गये जबकि पिछले साल यह रकम ₹3100 करोड़ दी गई। क्लाइमेट चेंज एक्शन प्रोग्राम, नेशनल एडाप्टेशन फंड और इंटीग्रेटेड डेवलपमेंट और वाइल्डलाइफ हैबीटाट जैसे कार्यक्रमों को दिये धन में भारी कटौती की गई। वायु प्रदूषण रोकने और नेशनल कोस्ट मिशन जैसे कार्यक्रम में ही पैसा बढ़ाया गया।
इस बीच चीन ने क्लाइमेट विशेषज्ञ और ब्रोकर झी झेन्हुआ को अपना क्लाइमेट दूत बना दिया। माना जा रहा है कि अमेरिका द्वारा जॉन कैरी के क्लाइमेत दूत के पद पर वापसी के बाद चीन ने जवाब में ये फैसला किया है। अमेरिका और चीन के बीच चल रहे नाज़ुक रिश्तों को देखते हुये इस बदलाव पर सबकी नज़र है।
जुलाई में यूरोपियन यूनियन ‘फिट फॉर 55’ क्लाइमेट प्लान पर काम शुरू किया। इस नीति के तहत क्लाइमेट, ट्रांसपोर्ट और बिजली के इस्तेमाल से जुड़े क्षेत्रों के लिये अलग अलग पैकेज बनाये गये हैं जिनका लक्ष्य 2030 तक कार्बन इमीशन में 55% कमी (1990 के स्तर से) करना है।
अलग अलग देशों द्वारा कार्बन न्यूट्रल स्टेटस हासिल करने का सिलसिला जारी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ग्लासगो सम्मेलन में कहा कि भारत साल 2070 तक नेट ज़ीरो हासिल कर लेगा। जर्मनी 2045 तक यह दर्जा हासिल करने की बात कह चुका है जबकि अमेरिका ने 2050 और चीन तथा रूस ने 2060 तक कार्बन न्यूट्रल हो जाने की बात कही है। जलवायु नीति के मामले में यह साल एक खट्टे-मीठे अंदाज़ में खत्म हुआ। हालांकि ग्लासगो सम्मेलन में पेरिस संधि को लागू करने के लिये रूल बुक बना ली गई लेकिन क्लाइमेट फाइनेंस और लॉस एंड डैमेज जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर अब भी स्थिति स्पष्ट नहीं है।
आपको यह भी पसंद आ सकता हैं
-
संकटग्रस्त देशों ने लॉस एंड डैमेज की असरदार रणनीति के लिये शोधकर्ताओं से मिलाया हाथ
-
जलवायु परिवर्तन से भारत के 9 राज्य खतरे में, अनुकूलन नीतियों की जरूरत: रिपोर्ट
-
जोशीमठ संकट के बाद देर से जगी सरकार, जारी किए दिशानिर्देश
-
सोनम वांगचुक के समर्थन में कई लोग जुड़े
-
2070 तक नेट-जीरो प्राप्ति के लिए भारत को सालाना $100 बिलियन अतिरिक्त निवेश करना होगा