ग्रीस बनेगा ग्रीन?: EV ग्रीस के वाहनों का एक बहुत छोटा हिस्सा है लेकिन कुछ लुभावनी योजनाओं से इनकी संख्या बढ़ानी की कोशिश हो रही है | Photo: Xinhua News

ग्रीस: बैटरी वाहनों के लिये 10 करोड़ यूरो का फंड

ग्रीस की सरकार ने अपने क्लाइमेट एक्शन प्लान के तहत 10 करोड़ यूरो (830 करोड़ रुपये) के फंड की घोषणा की है। इस पैकेज के तहत 14,000 निजी बैटरी कार ग्राहकों को 15% की सब्सिडी दी जायेगी। ग्रीस में अभी केवल 1,000 बैटरी कार हैं जो वहां के कुल कारों का 0.3% ही हैं जबकि जर्मनी में यह आंकड़ा 10% है। अब ग्रीस ने यह लक्ष्य रखा है कि 2030 तक एथेंस में बिकने वाली हर तीसरी कार बैटरी कार हो। इस लक्ष्य को पाने के लिये बैटरी कार चालकों को फ्री पार्किंग जैसी सुविधा के साथ बैटरी टैक्सियों को कीमतों में 25% छूट दी जायेगी।  

जर्मनी के सभी पेट्रोल पंपों में होगी चार्जिंग सुविधा, टाटा और एमजी भारत में लगायेंगे सुपर फास्ट चार्जर

जर्मन सरकार के नये आदेश के मुताबिक देश के सभी 14,118 पेट्रोल पंपों में ईवी चार्जिंग पॉइन्ट लगाये जायेंगे ताकि बैटरी कार चालक बेफिक्र रहें। जर्मनी में अभी 27,730 ईवी चार्जिंग स्टेशन हैं लेकिन सरकार का लक्ष्य कम से कम 70,000 चार्जिंग स्टेशन बनाना है। इनमें से 7,000 फास्ट चार्जिंग पॉइन्ट होंगे ताकि लोगों का रुझान बैटरी कारों के लिये बढ़े। इधर भारत में टाटा मोटर्स और एमजी मोटर्स मिलकर 50Kw डीसी सुपरफास्ट चार्जर लगायेंगे ताकि भारत में बैटरी वाहनों की ओर ग्राहक आकर्षित हों। 

सोडियम आयन बैटरी के उत्साहजनक नतीजे होंगे नया मील का पत्थर

वॉशिंगटन स्टेट यूनिवर्सिटी और पैसेफिक नॉर्थवेस्ट नेशनल लेबोरेट्री के शोधकर्ताओं ने अब एक सोडियम-आयन बैटरी बनाई है जो लीथियम आयन बैटरी की जगह ले सकती है। शोधकर्ताओं ने इस बैटरी के “अब तक के सर्वश्रेष्ठ नतीजे” हासिल करने का दावा किया है। यह 1000 बार इस्तेमाल हो जाने के बाद भी अपनी 80% चार्जिंग क्षमता बनाये रखती है। यह रिसर्च ACS एनर्जी लेटर्स नाम की साइंस पत्रिका में छपी है। इस प्रयोग की कामयाबी एक बड़ा मील का पत्थर हो सकती है क्योंकि लीथियम आयन बैटरी काफी महंगे और दुर्लभ लीथियम और कोबाल्ट जैसे तत्वों से बनती है जबकि सोडियम आयन बैटरी को बनाने में समंदर से भरपूर मिलने वाले सोडियम से बन सकती हैं लेकिन अभी समस्या यह है कि ये बैटरी लीथियम आयन जितनी चार्जिंग स्टोर नहीं कर पाती।

+ posts

दो साल पहले, हमने अंग्रेजी में एक डिजिटल समाचार पत्र शुरू किया जो पर्यावरण से जुड़े हर पहलू पर रिपोर्ट करता है। लोगों ने हमारे काम की सराहना की और हमें प्रोत्साहित किया। इस प्रोत्साहन ने हमें एक नए समाचार पत्र को शुरू करने के लिए प्रेरित किया है जो हिंदी भाषा पर केंद्रित है। हम अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद नहीं करते हैं, हम अपनी कहानियां हिंदी में लिखते हैं।
कार्बनकॉपी हिंदी में आपका स्वागत है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.