बॉन में हो रहे सम्मलेन में कॉप27 में किए गए निर्णयों की कार्य समीक्षा की जाएगी। Photo: UNclimatechange/Flickr

कॉप28 से पहले बॉन में जलवायु वार्ता से क्या है उम्मीदें

सोमवार को इस साल का बॉन क्लाइमेट चेंज सम्मलेन (एसबी58) शुरू हुआ। इस साल के अंत में दुबई में आयोजित होनेवाले कॉप28 सम्मलेन से पहले यह बैठक एक महत्वपूर्ण पड़ाव है। हर साल की तरह इस साल भी उम्मीद है कि इस सम्मलेन में पिछले जलवायु परिवर्तन सम्मलेन, यानि कॉप27 में किए गए निर्णयों की कार्य समीक्षा की जाएगी। 

हालांकि एसबी58 की शुरुआत अच्छी नहीं रही, क्योंकि सम्मेलन के एजेंडे को लेकर विभिन्न देश आम सहमति बनाने में विफल रहे। इस संबंध में जिन मुद्दों को लेकर विवाद रहा उनमें ग्लोबल स्टॉकटेक (जीएसटी), यानि इस बात की समीक्षा कि पेरिस समझौते में निर्धारित लक्ष्यों की प्राप्ति में किस देश ने कितनी प्रगति की है, तथा शमन और अनुकूलन प्रमुख हैं।

ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि कॉप27 की अन्य महत्वपूर्ण घोषणाओं जैसे लॉस एंड डैमेज (हानि और क्षति) फंड और क्लाइमेट फाइनेंस की प्रगति पर क्या चर्चा होती है। 

कॉप27 में पेरिस समझौते के अनुच्छेद 2.1सी पर हुए ‘शर्म-अल शेख डायलाग’ पर अभी कोई ख़ास प्रगति नहीं हुई है। इसके अनुसार क्लाइमेट फाइनेंस का प्रवाह पेरिस समझौते के तहत निर्धारित ग्लोबल वार्मिंग की सीमा के अनुरूप होना चाहिए।

साथ ही, बॉन सम्मेलन के दौरान हानि और क्षति पर दूसरी ग्लासगो वार्ता भी की जाएगी। उम्मीद है कि इस वार्ता के दौरान कॉप28 में लॉस एंड डैमेज फंड प्रस्तुत किए जाने की दिशा में सुझाव दिए जाएंगे।

प्लास्टिक प्रदूषण को रोकने के लिए पहले ड्राफ्ट पर सहमति के साथ पूरी हुई संधि वार्ता 

दुनिया के करीब 170 देश इस बात पर सहमत हो गए हैं कि वे नवंबर तक एक वैश्विक संधि का पहला ड्राफ्ट तैयार कर लेंगे ताकि  दुनिया में प्लास्टिक प्रदूषण रोका जा सके। इस वार्ता की राह में  शुरुआत से अड़चनें रही हैं और देशों में इस बात को लेकर विवाद हुआ है कि वोटिंग के आधार पर फैसले लिए जाएं या सहमति के आधार पर। जब से साफ ऊर्जा के लिए तेल और गैस के प्रयोग को कम करने की दिशा में कोशिश हो रही है, जीवाश्म ईंधन का कारोबार करने वाले देश और बड़ी-बड़ी कंपनियां प्लास्टिक उत्पादन को बढ़ा रही हैं क्यों इसे बनाने में जीवाश्म ईंधन का भारी प्रयोग होता है। 

प्लास्टिक प्रदूषण को कैसे रोका जाए वार्ता से पहले इस पर भी दुनिया दो खेमों में बंटी रही है। जहां यूरोप और अफ्रीकी देश प्लास्टिक उत्पादन को को कम करने के पक्ष में हैं वहीं अमेरिका और सऊदी अरब जैसे देशों का ज़ोर रिसाइकिलिंग पर रहा है। लेकिन अब पेरिस में हुई वार्ता में कम से कम इस बात पर सहमति हो गई है कि प्लास्टिक को लेकर कानूनी रूप से बाध्य करने वाली एक संधि हो।  दुनिया में हर साल 40 करोड़ टन से अधिक प्लास्टिक पैदा होता है जिसका आधा लैंडफिल तक पहुंचता है और 15 प्रतिशत ही रिसाइकिल हो पाता है। करीब 1.4 करोड़ टन प्लास्टिक हर साल समुद्र में जा रहा है। 

6 मौतों के बाद चीतों को शिफ्ट करेगी सरकार

कूनो नेशनल पार्क में तीन अफ्रीकी चीतों और मार्च में जन्मे चार में तीन चीता शावकों की मौत के बाद सरकार ने बचे हुए चीतों को यहां से स्थानांतरित करने के फैसले पर मुहर लगा दी है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट के सुझाव के विपरीत, चीतों को राजस्थान नहीं बल्कि मध्य प्रदेश के ही गांधी सागर अभ्यारण भेजा जाएगा। 

कूनो पार्क में लगभग दो महीनों में तीन वयस्क चीतों की मौत के बाद पिछले दिनों नामीबिया से लाई गई मादा चीता ‘ज्वाला’ के तीन शावकों ने दम तोड़ दिया। एक शावक की मौत 23 मई को और दो की 25 मई को हुई। ‘ज्वाला’ के चार शावक लगभग 75 सालों बाद भारत में जन्मे पहले चीता शावक थे।   

वहीं सरकार ने यह भी निर्णय लिया है कि बड़े बाड़े में रखे गए सात और चीतों को इस महीने जंगल में छोड़ दिया जाएगा। 

महामारियों को रोकना है तो चमगादड़ों को अकेला छोड़ दें: शोध

एक नए अध्ययन के अनुसार भविष्य में किसी महामारी की रोकथाम के लिए मनुष्यों को चमगादड़ों को अकेला छोड़ देना चाहिए और उनके हैबिटैट को नष्ट नहीं करना चाहिए।

द लैंसेट प्लैनेटरी हेल्थ में प्रकाशित इस अध्ययन में वैज्ञानिकों ने कहा है कि बैट वायरस किस तरह फैलते हैं, यह पता लगाने के लिए हमें उनसे जुड़े सभी विवरणों को जानने की आवश्यकता नहीं है।

चमगादड़ों को रैबीज, मारबर्ग फिलोवायरस, हेंड्रा और निपा पैरामाइक्सोवायरस, कोरोनावायरस जैसे मर्स आदि के स्रोत के रूप में जाना जाता है, और फ्रूट बैट्स को इबोलावायरस का स्रोत माना जाता है।

शोधकर्ताओं ने कहा कि लोग चमगादड़ों को मारने, भागने या पीछा करने की कोशिश करते हैं जिससे वह उनके संपर्क में आते हैं और इस बात का खतरा बढ़ जाता है कि बैट वाइरस मनुष्यों को संक्रमित कर दें।

उन्होंने कहा कि इसके बजाय, चमगादड़ों से किसी भी प्रकार का संपर्क न रखने का प्रयास करना चाहिए, जो आनेवाले समय में किसी भी महामारी को रोकने का सबसे कारगर तरीका है।

ब्राजील के शहर बेलेम में आयोजित होगा कॉप30

ब्राजील सरकार के अनुसार, नवंबर 2025 में कॉप30 जलवायु वार्ता का आयोजन ब्राजील के शहर बेलेम में किया जाएगा

ब्राजील के राष्ट्रपति लूला डिसिल्वा ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र ने पुष्टि की है कि बेलेम शहर, जिसे आमतौर पर अमेज़ॅन नदी और वर्षावन के प्रवेश द्वार के रूप में जाना जाता है, कॉप30 की मेजबानी करेगा।
संयुक्त राष्ट्र के जलवायु परिवर्तन निकाय (यूएनएफसीसीसी) के एक प्रवक्ता ने बताया कि लैटिन अमेरिका और कैरेबियाई क्षेत्र ने उन्हें सूचित कर बेलेम के दावे का समर्थन किया है। अब इस प्रस्ताव पर केवल कॉप28 वार्ता में मुहर लगनी बाकी है। महत्वपूर्ण है कि पूर्व राष्ट्रपति जे बोल्सनारो की क्लाइमेट विरोधी नीतियों के कारण ब्राज़ील ने 2019 में क्लाइमेट काफ्रेंस की मेजबानी से इनकार कर दिया था।

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