बड़ा कदम: भारत की संचयी सौर ऊर्जा क्षमता 50 गीगावॉट को पार गई है जिसमें 7 गीगावॉट रूफटॉप सोलर है। फोटो -New Indian Express

एमएनआरई ने आरई निविदाओं के लिए बैंक गारंटी को घटाकर 3% किया

केंद्र ने परफॉरमेंस गारंटी डिपॉज़िट (निविदा में दी जाने वाली बैंक गारंटी) को घटाकर निविदाओं के मूल्य का 3% कर दिया है। नवंबर 2020 तक परफॉरमेंस बैक गारंटी (पीबीजी) 5% से 10% के बीच थी, जिसे कोविड-19 के बाद आर्थिक मंदी के दौरान डेवलपर्स की चल निधि बढ़ाने में सहायता करने के लिए 3% तक घटा दिया गया था। सरकार ने कहा कि 2% बयाना जमा राशि (ईएमडी) ली जाती रहेगी। मेरकॉम ने बताया कि डेवलपर्स उच्च पीबीजी और ईएमडी मूल्यों और राशि जारी करने में देरी के कारण चल निधि को लेकर चिंतित थे। 

ऊर्जा खरीद समझौतों पर नहीं हो सकती पुनः बातचीत, आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय ने कहा; वितरण कंपनियों का बकाया चुकाने के लिए दिया 6 महीने का समय

आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय ने कहा है कि ऊर्जा अनुबंधों पर पुनः समझौता नहीं किया जा सकता है और राज्य को 6 सप्ताह के भीतर नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादकों को लगभग 30,000 करोड़ रुपए का बकाया चुकाने का आदेश दिया है। यह मामला दो साल से लंबित है। ऊर्जा खरीद समझौतों पर फिर से बातचीत शुरू करने का आंध्र प्रदेश का कदम देश में पहला था, जिसके बाद गुजरात और पंजाब ने इसका अनुसरण किया।

आंध्र प्रदेश सरकार ने 2019 में 41 समझौतों पर फिर से बातचीत करने का फैसला किया, जिसके बाद वितरण कंपनियों ने पवन ऊर्जा डेवलपर्स से टैरिफ को 2.43 रुपए प्रति यूनिट और सौर संयंत्रों को कीमत में 2.44 रुपए प्रति यूनिट की कटौती करने के लिए कहा था।

भारत की संचयी सौर क्षमता 50 गीगावाट तक पहुँची

शोध फर्म मेरकॉम के अनुसार भारत की संचयी स्थापित सौर क्षमता फरवरी 2022 में 50 गीगावाट तक पहुंच गई है। इसमें से 43 गीगावाट क्षमता यूटिलिटी-स्केल सोलर की है और 7 गीगावाट रूफटॉप सोलर की। भारत 2022 तक 100 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा के लक्ष्य तक पहुँचने का प्रयास कर रहा है। मेरकॉम ने बताया कि वर्तमान में 53 गीगावाट क्षमता अपेक्षित है।

भारत ने 2021 में 10 गीगावाट की वृद्धि की थी, जो एक साल पहले की तुलना में 210% अधिक थी। हालांकि कुछ हद तक इसे कोविड-19 महामारी के दौरान सौर प्रतिष्ठानों में आई गिरावट के कारण समझा जा सकता है, लेकिन भारत में सौर स्थापन के आंकड़े 2017 से साल-दर-साल गिर रहे थे। यह देखते हुए उम्मीद है कि देश का सौर उद्योग इस वृद्धि का स्वागत करेगा। हालांकि आगामी नीतिगत बदलाव भारत के डाउनस्ट्रीम (पेट्रोलियम) क्षेत्र के लिए चिंता का विषय होंगे।

चीन 2030 तक गोबी मरुस्थल क्षेत्र में 450 गीगावॉट की स्थापना करेगा

क्लाइमेट चेंज न्यूज ने बताया कि चीन 2030 तक गोबी रेगिस्तान में 450 गीगावॉट पवन और सौर ऊर्जा क्षमता का निर्माण करने जा रहा है। यह संयुक्त राज्य अमेरिका में स्थापित सौर और पवन ऊर्जा की कुल मात्रा के दोगुने से भी अधिक होगा। 

ग्रीनपीस ईस्ट एशिया के ली शुओ का हवाला देते हुए रिपोर्ट कहती है कि चीन के अविकसित पश्चिमी क्षेत्रों में 450 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा की स्थापना चीन की जलवायु के लिए सकारात्मक है, लेकिन कोयले में कमी करना असली चुनौती है, जिसका उत्पादन भी बड़ी संख्या में बढ़ रहा है। इनर मंगोलिया प्रांत, जिसके अंतर्गत चीन का अधिकांश गोबी रेगिस्तान शामिल है, चीन में कोयले का सबसे बड़ा उत्पादक है। इस प्रांत में कोविड-19 महामारी के बाद का विकास मुख्यतः कोयले पर आधारित है। 

चीन ने सौर पैनलों के निर्माण की लागत को कम कर दिया है और वह इस तरह की परियोजनाओं में इन सस्ते घरेलू पैनलों का उपयोग करने में सक्षम है।

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