स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों के बारे में जागरूकता का पता लगाने के लिए किए गए एक हालिया सर्वे में पता चला है कि जेन ज़ी (18-22 वर्ष) के लगभग 50 प्रतिशत भारतीय सोलर उपायों को वरीयता देते हैं, जबकि मिलेनियल (यानि 23-38 वर्ष के) लोगों में यह संख्या 46 प्रतिशत है।
इन युवाओं का मानना है कि सौर ऊर्जा पर्यावरण के अनुकूल है और सस्टेनेबल है। सर्वे में भाग लेने वाले 85% लोगों का मानना है कि उनके शहर का मौसम रूफटॉप सोलर इंस्टालेशन के लिए उपयुक्त है, जबकि 82 प्रतिशत मानते हैं कि भारत का सनी क्लाइमेट सौर ऊर्जा के अनुकूल है।
यह रिपोर्ट पांच महानगरों — बेंगलुरु, दिल्ली, हैदराबाद, कोलकाता, मुंबई — और 8 गैर-महानगरों — अहमदाबाद, चंडीगढ़, गुरुग्राम, गुवाहाटी, जयपुर, कोच्चि, लखनऊ, पटना — में चार आयु समूहों के बीच 4,318 उत्तरदाताओं के सर्वेक्षण पर आधारित है।
हालांकि चारों आयु वर्गों में से सबसे अधिक (28 प्रतिशत) बेबी बूमर (55-76 वर्ष के लोग) मानते हैं कि सौर ऊर्जा उनकी पहुंच से बाहर है। जबकि मिलेनियल्स में ऐसा मानने वालों की संख्या सबसे काम — 21 प्रतिशत — है। जेन एक्स (39-54 वर्ष) और जेन ज़ी में ऐसा मानने वालों की संख्या क्रमशः 23 और 25 प्रतिशत है।
अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं की फंडिंग के लिए बैंकों, कंपनियों से ‘शपथ पत्र’ लेगी केंद्र सरकार
भारत में 2030 तक 500 गीगावॉट गैर-जीवाश्म ईंधन क्षमता स्थापित करने के लिए 30 लाख करोड़ रुपए की फंडिंग की जरूरत को पूरा करने के लिए, नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय वित्तीय संस्थानों, सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के बैंकों के साथ बातचीत कर रहा है, और उनसे आग्रह कर रहा है कि वह नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं के लिए लोन मुहैया कराएं।
नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा है कि इस हफ्ते गांधीनगर में होने वाली री-इन्वेस्ट समिट में सभी प्रमुख बैंक और वित्तीय संस्थान नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र को कर्ज या फंडिंग प्रदान करने की योजनाओं के बारे में “शपथ पत्र” देंगे।
जोशी ने कहा, “हम निजी कंपनियों से भी इसी तरह की प्रतिबद्धता की उम्मीद करते हैं। हमने उनसे शपथ पत्र मांगा है कि वे कितना और कहां निवेश कर सकते हैं।”
भारत में सोलर मॉड्यूल और सेल के आयात में भारी गिरावट
साल 2024 की दूसरी तिमाही (Q2) में भारत ने 774.9 मिलियन डॉलर (लगभग 6460 करोड़ रुपए) से अधिक मूल्य के सोलर सेल और मॉड्यूल का आयात किया, जो पिछले साल की इसी अवधि में हुए आयात के मुकाबले 16.4 प्रतिशत कम है। वाणिज्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार, दूसरी तिमाही में हुए आयात में सोलर मॉड्यूल का हिस्सा 55 प्रतिशत और सोलर सेल का 45 प्रतिशत था।
पिछली तिमाही (Q1) के मुकाबले, सोलर मॉड्यूल और सेल का आयात में 61.4 प्रतिशत की गिरावट आई है। पहली तिमाही में 2 बिलियन डॉलर (लगभग 16,690 करोड़ रुपए) का आयात हुआ था। सोलर मॉड्यूल आयात में 73.2 प्रतिशत की भारी गिरावट देखी गई, जबकि सोलर सेल के आयात में 17% की गिरावट आई।
आयात में यह कमी मुख्य रूप से 1 अप्रैल, 2024 को मॉडल और निर्माताओं की स्वीकृत सूची (एएलएमएम) आदेश को फिर से लागू करने के कारण हुई, जिसने डेवलपर्स को घरेलू स्तर पर एएलएमएम-अधिकृत मॉड्यूल प्राप्त करने के लिए प्रेरित किया।
अडानी समूह ने जीती महाराष्ट्र को सौर ऊर्जा सप्लाई करने की बोली
अडानी समूह ने लंबी अवधि के लिए महाराष्ट्र को 6,600 मेगावाट नवीकरणीय और थर्मल बिजली की आपूर्ति करने की बोली जीत ली है। कंपनी ने 4.08 रुपए प्रति यूनिट की बोली लगाकर जेएसडब्ल्यू एनर्जी और टोरेंट पावर को पीछे छोड़ दिया।
अडानी पावर नई 1,600 मेगावाट अल्ट्रा-सुपरक्रिटिकल क्षमता से 1,496 मेगावाट (शुद्ध) थर्मल बिजली की आपूर्ति करेगी, और इसकी सहयोगी कंपनी अडानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड कच्छ के खावड़ा नवीकरणीय ऊर्जा पार्क से 5 गीगावॉट (5,000 मेगावाट) सौर ऊर्जा की आपूर्ति करेगी।
शर्तों के अनुसार, अडानी ग्रीन एनर्जी पूरी अवधि के दौरान 2.70 रुपए प्रति यूनिट की निश्चित लागत पर सौर ऊर्जा की आपूर्ति करेगी, जबकि थर्मल बिजली की लागत कोयले की कीमतों के आधार पर तय की जाएंगी।
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