शहरों से निकलकर वायु प्रदूषण अब ग्रामीण इलाकों में भी पर्यावरण को प्रभावित कर रहा है।

ग्रामीण इलाकों में बढ़ रहा है प्रदूषण, गिर रही वायु गुणवत्ता

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) खड़गपुर के शोधकर्ताओं ने पाया है कि ग्रामीण भारत में वायुमंडलीय प्रदूषण बढ़ रहा है

उन्होंने पाया कि शहरों से निकलकर वायु प्रदूषण अब ग्रामीण इलाकों में भी पर्यावरण को प्रभावित कर रहा है।

शोधकर्ताओं ने सैटेलाइट इमेजिंग के माध्यम से नाइट्रोजन डाइऑक्साइड स्तर को माप कर ग्रामीण इलाकों की वायु गुणवत्ता का विश्लेषण किया। इस विश्लेषण में पाया गया कि भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में नाइट्रोजन डाइऑक्साइड का स्तर लगातार बढ़ रहा है।

आईआईटी खड़गपुर के प्रोफेसर जयनारायणन कुट्टीपुरथ ने बताया कि ग्रामीण भारत की वायु गुणवत्ता में गिरावट आई है। 

“हालांकि दिल्ली और उसके उपनगरों और पूर्वी भारत जैसे क्षेत्रों को छोड़ दें तो बाकी जगह अभी प्रदूषण प्रारंभिक स्तर से ऊपर नहीं है, लेकिन नाइट्रोजन डाइऑक्साइड की बढ़ती हुई सघनता, बढ़ती जनसंख्या, शहरीकरण की तेज गति और उद्योगों के उपनगरों का रुख करने से विकास की बढ़ती गतिविधियों के कारण, भारत के दूसरे क्षेत्रों में भी प्रदूषण बढ़ेगा और विशाल ग्रामीण आबादी की स्वास्थ्य पर असर पड़ेगा,” उन्होंने कहा।

वायु प्रदूषण से हड्डियां अधिक भंगुर हो रही हैं: शोध 

एक नये शोध से पता चला है कि वायु प्रदूषण के कारण हड्डियों पर असर पड़ता है और वह अधिक कमज़ोर व भंगुर हो रही है। अमेरिका में कोलंबिया विश्वविद्यालय के शोधार्थियों ने पाया है कि अत्यधिक वायु प्रदूषण में रहने वाले इंसानों (विशेषकर रजोनिवृत्ति वाली महिलाओं में) की हड्डियों में ऑस्टियोपोरोसिस तेज़ हो जाता है जो हड्डियों को कमज़ोर और भंगुर कर देता है। 

इस शोध के लिये 6 साल के दौरान 9041 महिलाओं से जुड़ी जानकारी इकट्टा की गई और आंकड़ों का विश्लेषण किया गया। इसमें उनके बोन-मिनरल घनत्व पर रिसर्च हुई जिससे उन्हें ऑस्टियोपोरोसिस और हड्डी टूटने के खतरे का पता चलता है।

इन महिलाओं के घरों के पास पीएम 10 कणों के अलावा सल्फर डाई  ऑक्साइड, नाइट्रोजन डाई  ऑक्साइड और नाइट्रिक ऑक्साइड जैसे प्रदूषकों के स्तर को देखा गया और हड्डियों की कमज़ोरी और वायु प्रदूषण में एक संबंध देखा गया। 

टायरों के घिसाव से निकलते कण, सेहत को बढ़ता ख़तरा 

वैज्ञानिकों का कहना है कि टायरों के घिसाव से महीन कणों का उत्सर्जन सेहत के लिए ख़तरा पैदा कर रहा है। शोध बताता है कि वाहनों के एक्जॉस्ट से जितनी मात्रा में महीन कण निकलते हैं उससे कहीं अधिक मात्रा में ऐसे कण टायरों के घर्षण से निकल कर वातावरण में आ रहे हैं।

हालांकि टायरों के नये डिज़ाइन इस ख़तरे को कम करने में मदद कर सकते हैं। यूके सरकार के आंकड़ों का अध्ययन कर इम्पीरियल कॉलेज लंदन के वैज्ञानिकों ने बताया कि साल 2021 में 52% कण टायरों और ब्रेक के घिसने से निकले जबकि कारों और दूसरे भारी वाहनों के एक्झॉस्ट से निकलने वाले कुल कणों का हिस्सा 25% था। टायरों को बनाने में जो रसायन प्रयोग किये जाते हैं उनके कारण यह महीन कण स्वास्थ्य के लिये अधिक हानिकारक होते हैं। 

भारत में वाहनों की संख्या और सड़कों का प्रयोग तेज़ी से बढ़ रहा है। यहां पर ऐसा कोई अध्ययन उपलब्ध नहीं है साल 2019 में ही करीब 30 करोड़ वाहन सड़क पर थे।

लिगेसी प्रदूषण कम करने के लिए $550 मिलियन खर्च करेगा अमेरिका

अमेरिका में लिगेसी प्रदूषण (प्रतिबंधित प्रदूषकों द्वारा होने वाले दीर्घकालिक प्रभावों) को कम करने और वंचित समुदायों को स्वच्छ ऊर्जा का एक्सेस देने के लिए 11 संगठनों को $550 मिलियन का अनुदान दिया जाएगा। 

एनवायर्मेंटल प्रोटेक्शन एजेंसी (ईपीए) इन संस्थाओं का चुनाव करेगी, जिनमें बड़े गैर-लाभकारी समूह, ट्राइबल नेशन और विश्वविद्यालय शामिल हो सकते हैं। यह संस्थाएं उन क्षेत्रों का चुनाव करेंगी जहां ईपीए के नए कार्यक्रम के तहत निवेश किया जाएगा। इस कार्यक्रम के तहत उन क्षेत्रों में सामुदायिक परियोजनाओं में निवेश किया जाना है जहां वायु और जल प्रदूषण ऐतिहासिक रूप से अधिक है।

यह पैसा कांग्रेस द्वारा अधिकृत इन्फ्लेशन रिडक्शन एक्ट (आईआरए) में दिए गए $3 बिलियन के एनवायर्मेंटल ब्लॉक अनुदान का हिस्सा है। इस कानून के माध्यम से स्वच्छ ऊर्जा और जलवायु प्राथमिकताओं में लगभग $369 बिलियन का निवेश किया जाना है।

पर्यावरण मानकों का उल्लंघन करने पर बीएमसी ने कांट्रेक्टर पर लगाया जुर्माना

बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) ने एक ठेकेदार पर मुलुंड (पश्चिम) में सीवर लाइन डालने के दौरान मानदंडों का पालन न करने के लिए जुर्माना लगाया है। मानकों का पालन न करने से मैराथन एवेन्यू मार्ग में वायु गुणवत्ता खराब हुई और एक महीने के भीतर 22 स्थानीय निवासियों को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा।

हिंदुस्तान टाइम्स ने पहले एक रिपोर्ट में बताया था कि कैसे बीएमसी द्वारा लगातार बड़े पैमाने पर निर्माण, सड़क खुदाई और सीवरेज के काम से क्षेत्र में वायु प्रदूषण बढ़ रहा है और कई निवासियों को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा है।

टी वार्ड के सहायक आयुक्त चक्रपाणि अल्ले ने कहा कि निर्माण स्थल पर आवश्यक मानदंडों का पालन नहीं किया जा रहा था, और बीएमसी के ठेकेदार द्वारा सीवर लाइन के लिए सड़क खोदते समय निविदा शर्तों का उल्लंघन भी किया गया था।

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