अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की प्रबंध निदेशक क्रिस्टालिना जॉर्जीवा ने कहा है कि भारत 2070 से पहले ही कार्बन न्यूट्रल होने के अपने महत्वाकांक्षी लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है। उन्होंने कहा कि यह बहुत महत्वपूर्ण है कि भारत जैसा बड़ा देश जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में अग्रणी भूमिका निभाए।
उन्होंने कहा कि लगभग 140 करोड़ की आबादी वाले देश पर निश्चित रूप से संसाधनों के उपयोग में विस्तार करने का असाधारण दबाव है। फिर भी भारत बहुत महत्वाकांक्षी उद्देश्यों को पूरा करने में कामयाब हो रहा है। उन्होंने सौर ऊर्जा का उपयोग करने और ग्रीन हाइड्रोजन के बारे में गंभीरता से विचार करने के लिए भारत की सराहना की।
लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि भारत के लिए कोयले को फेज आउट करना एक बड़ी चुनौती है, क्योंकि कोयला यहां बहुत महत्वपूर्ण है।
भारत को 2030 तक सौर लक्ष्य पूरा करने के लिए हर साल 28 गीगावाट की जरूरत
मेरकॉम के अनुसार, भारत ने 2022 में रिकॉर्ड 13 गीगावाट सौर क्षमता स्थापित की। यह 2021 में 10.2 गीगावाट की तुलना में 27% अधिक है, लेकिन 2030 तक 280 गीगावाट के लक्ष्य को पूरा करने के लिए आवश्यक 28 गीगावाट का आधा भी नहीं है।
भारत की संचयी सौर क्षमता अब 63 गीगावाट हो गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2023 में डेवलपर्स सौर परियोजनाओं की उच्च लागत से जूझ रहे हैं, और 2021 में कोविड प्रतिबंधों के कारण लंबित परियोजनाओं को 2022 में पूरा किया गया और स्थापित क्षमता में जोड़ा गया।
2021 की तुलना में 2022 में रूफटॉप सोलर इंस्टालेशन में 3.7% की कमी आई है।
प्रोजेक्ट की समयसीमा का उल्लंघन करनेवाले नवीकरणीय डेवलपर्स होंगे ब्लैकलिस्ट
केंद्र सरकार ने कहा है कि तय समय में परियोजना न पूरी कर पाने पर नवीकरणीय ऊर्जा डेवलपर्स को 3 से 5 साल के लिए ब्लैकलिस्ट किया जाएगा।
सरकार ने निजी डेवलपर्स को निविदाएं जारी करने वाले सार्वजनिक उपक्रमों जैसे भारतीय सौर ऊर्जा निगम, एनटीपीसी और एनएचपीसी को दोषियों को ब्लैकलिस्ट करने का निर्देश दिया है।
नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने तीनों उपक्रमों से यह भी कहा है कि देरी के मामले में डेवलपर्स की बैंक गारंटी को एनकैश कर लिया जाए।
डेवलपर्स ने कहा कि हालांकि बैंक गारंटी को एनकैश करने का नियम है, लेकिन ब्लैकलिस्ट कर देना ज्यादती होगी।
मेरकॉम ने सूत्रों के हवाले से बताया कि घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने जिन मॉड्यूल और मॉडलों की सूची (एएलएमएम) बनाई थी उनके उपलब्ध नहीं रहने के कारण भी परियोजनाओं में देरी हुई है। वहीं सरकार का कहना है कि उसने डेवलपर्स को कई एक्सटेंशन दिए और यहां तक कि एएलएमएम प्रतिबंध भी हटा दिए, लेकिन डेवलपर्स उम्मीदों पर खरे नहीं उतरे।
ग्रीनवाशिंग पर नकेल: सेबी ने ग्रीन बॉन्ड जारी करने वालों के लिए नियम तय किए
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने ग्रीनवाशिंग से बचने के लिए ग्रीन बॉन्ड जारी करने वालों के लिए मानदंड जारी किए हैं। ग्रीनवाशिंग ऐसे झूठे दावों को कहा जाता है जो किसी कंपनी के उत्पाद, सेवाएं या व्यवसाय को वास्तविकता से अधिक एनवायरमेंट फ्रेंडली बताते हैं।
सेबी ने कहा कि ग्रीन बॉन्ड जारी करने वाले भ्रामक जानकारी नहीं देंगे, ट्रेड-ऑफ को नहीं छिपाएंगे, या फिर ग्रीन प्रैक्टिसेस को हाईलाइट करने के लिए डेटा से छेड़छाड़ नहीं करेंगे। साथ ही बॉन्ड जारी करने वालों को इस बात की निगरानी करनी होगी कि प्रोजेक्ट अधिक सस्टेनेबिलिटी की दिशा में आगे बढ़े और सुनिश्चित करना होगा कि बॉन्ड के माध्यम से जुटाई गई धनराशि का उपयोग उन उद्देश्यों के लिए न किया जाए जो ‘ग्रीन डेट सिक्योरिटी’ की परिभाषा के अंतर्गत नहीं आते हैं।
योग्य परियोजनाओं में पवन, सौर और जैव ऊर्जा के साथ सार्वजनिक परिवहन, ऊर्जा दक्ष बिल्डिंगें, जैव विविधता संरक्षण, सस्टेनेबल वेस्ट मैनेजमेंट, और जलवायु परिवर्तन अनुकूलन, सतत भूमि उपयोग, सतत वन और कृषि, वनीकरण, और सतत जल प्रबंधन में निवेश शामिल हैं।
दो साल पहले, हमने अंग्रेजी में एक डिजिटल समाचार पत्र शुरू किया जो पर्यावरण से जुड़े हर पहलू पर रिपोर्ट करता है। लोगों ने हमारे काम की सराहना की और हमें प्रोत्साहित किया। इस प्रोत्साहन ने हमें एक नए समाचार पत्र को शुरू करने के लिए प्रेरित किया है जो हिंदी भाषा पर केंद्रित है। हम अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद नहीं करते हैं, हम अपनी कहानियां हिंदी में लिखते हैं।
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