नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम लॉन्च किये जाने के 3 साल बाद भी देश में ज्यादातर जगह एयर क्वॉलिटी बहुत खराब है। दीपावली के बाद उत्तर भारत में वायु प्रदूषण का स्तर अचानक बढ़ गया। इस बढ़े हुये ग्राफ का करीब विश्लेषण बताता है कि पीएम 2.5 जैसे महीन पार्टिकुलेट मैटर को बढ़ाने वाले नाइट्रोजन के ऑक्साइड की मात्रा हवा में काफी अधिक है। नवंबर माह में लिये गये सीपीसीबी के आंकड़े बताते हैं कि दिल्ली, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के कुल डेढ़ दर्जन शहरों में हानिकारक नाइट्रोजन डाइआक्साइड (एनओ2) का स्तर तय सुरक्षित मानकों से कहीं अधिक रहा। इन तीन राज्यों में कुल 22 जगह एनओ2 की मात्रा सुरक्षित मानक सीमा के दुगने से अधिक पाई गई। सल्फर और अमोनिया की तरह ही एनओ2 भी एक हानिकारक प्रदूषण है जो द्वितीयक प्रदूषक कणों पीएम 2.5 के बनने की कारण है। इसके कारण हानिकारक ओज़ोन का स्तर बढ़ता है। इस रिपोर्ट को विस्तार से यहां पढ़ा जा सकता है।
वायु प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट ने “स्थाई समाधान” के लिये कहा, सरकार ने संसद को बताया कि पराली जलाना अब अपराध नहीं है
सुप्रीम कोर्ट ने एयर क्वालिटी मैनेजमेंट आयोग (सीएक्यूएम) से कहा है कि वह जनता और विशेषज्ञों से वायु प्रदूषण के स्थाई समाधान के लिये प्रस्ताव आमंत्रित करे ताकि दिल्ली एनसीआर की हवा साफ की जा सके। सरकार ने कोर्ट को बताया कि जीवन रक्षक उपकरण बना रही कंपनियों, डेरी उद्योग और मेडिकल कंपनियों को ही डीज़ल जेनरेटर का प्रयोग करने की अनुमति है। जो ताप बिजलीघर पहले बन्द कर दिये गये वो बन्द रहेंगे लेकिन नये थर्मल प्लांट बन्द नहीं किये जा रहे। अस्पतालों का निर्माण हो रहा है लेकिन बाकी भवनों में सिर्फ भीतर (इंटीरियर वर्क) का काम ही हो सकता है।
उधर पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने संसद को बताया कि वायु गुणवत्ता आयोग अधिनियम के तहत पराली जलाने को अपराध की श्रेणी से मुक्त कर दिया गया है तथा पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश को डीकॉम्पोसिशन के लिए भूमि प्रदान करने की अनुमति दी गई है। उन्होंने यह भी कहा कि जैव ईंधन के लिए पराली का उपयोग करने का प्रस्ताव तापविद्युत कंपनियों जैसे राष्ट्रीय तापविद्युत निगम लिमिटेड को भेजा गया है।
वायु गुणवत्ता पैनल ने स्वच्छ ईंधन मानदंडों का उल्लंघन करने के दोषी उद्योगों को बंद करने का दिया आदेश
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में वायु गुणवत्ता ‘बहुत खराब’ श्रेणी में बनी हुई है। वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) ने पिछले सप्ताह उन सभी उद्योगों को तत्काल बंद करने का आदेश दिया जिन्होंने उपलब्धता के बावजूद औद्योगिक क्षेत्रों में स्वच्छ ईंधन का इस्तेमाल शुरू नहीं किया है। इस बीच दिल्ली सरकार ने कहा कि सीएनजी, ई-ट्रकों और आवश्यक वस्तुओं को ले जाने वाले ट्रकों को छोड़कर बाकी सभी प्रकार के ट्रकों के प्रवेश पर प्रतिबंध अगले आदेश तक जारी रहेगा।
सीएक्यूएम ने कहा कि इस अत्यधिक आपात स्थिति में निवारक उपायों की आवश्यकता है। सीएक्यूएम ने कहा कि ‘अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए फ्लाइंग स्क्वॉड विशेष अभियान शुरू करेंगे और साइटों का निरीक्षण करेंगे’। सीएक्यूएम ने कहा की राज्य सरकारों और दिल्ली सरकार को उसके निर्देशों को सख्ती से लागू करना होगा और स्थिति की बारीकी से निगरानी करनी होगी। आयोग ने राजधानी और एनसीआर में ‘बेहद खराब’ वायु गुणवत्ता पर चिंता व्यक्त की।
दिल्ली में इनडोर वायु प्रदूषण डब्ल्यूएचओ के स्तर से 20 गुना अधिक: अध्ययन
दिल्ली के घरों में वायु प्रदूषण डब्ल्यूएचओ के स्तर से 20 गुना अधिक है, शिकागो विश्वविद्यालय (ईपीआईसी इंडिया) में ऊर्जा नीति संस्थान के एक अध्ययन से यह पता चला है। अध्ययन में कहा गया है कि पीएम 2.5 (2.5 माइक्रोमीटर से कम व्यास वाले पार्टिकुलेट मैटर) का स्तर निकटतम बाहरी सरकारी मॉनिटरों द्वारा बताए गए स्तरों से काफी अधिक था।
एचटी की रिपोर्ट के अनुसार अध्ययन में कहा गया है कि कम आय वाले घरों की तुलना में उच्च आय वाले घरों में एयर प्यूरीफायर होने की संभावना 13 गुना अधिक है, लेकिन इनडोर वायु प्रदूषण पर इसका प्रभाव केवल 10% के आसपास है। अध्ययन के प्रमुख लेखक केनेट ली ने कहा कि जब आप अपने घरों के अंदर प्रदूषण के स्तर के बारे में नहीं जानते हैं तो आप इसके बारे में चिंता नहीं करते हैं और इसलिए आपके इस विषय में कुछ सुधार करने की संभावना कम होती है।
तापमान में गिरावट के साथ बिहार की वायु गुणवत्ता “बहुत खराब” हुई
तापमान में गिरावट के साथ बिहार में एयर क्वॉलिटी “बहुत खराब” हो गई है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड यानी सीपीसीबी के अनुसार, छह वायु मॉनिटरिंग स्टेशनों के आधार पर पटना का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 313 था, जो ‘बहुत खराब’ के तहत वर्गीकृत किया गया है। प्लेनेटेरियम के पास, दानापुर, समनपुरा और राजबंसी नगर में वायु गुणवत्ता ‘गंभीर’ श्रेणी के करीब पहुंच गई, जहां एक्यूआई का स्तर 350 से 380 के बीच रहा। मुरादपुर स्थित उपकरण ने ‘खराब’ और शिकापुर ने ‘मध्यम’ एक्यूआई दर्ज किया।
पटना के अलावा — जहां इस महीने 15 दिनों में पांच बार ‘बहुत खराब’ एक्यूआई दर्ज हुआ — मुजफ्फरपुर में भी 346 के सूचकांक मूल्य के साथ ‘बहुत खराब’ वायु गुणवत्ता दर्ज की गई। गया में 233 के सूचकांक मूल्य के साथ ‘खराब’ वायु गुणवत्ता दर्ज की गई।
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