राजधानी में “स्विच दिल्ली” अभियान के तहत साढ़े पांच हज़ार से अधिक तिपहिया बैटरी वाहन बेचे जा चुके हैं। यह बैटरी वाहनों की श्रेणी में सबसे बड़ी सेल है। इस योजना के तहत नारा है “दिल्ली के ग्रीन वॉरियर” और दिल्ली सरकार सभी बैटरी तिपहिया वाहनों पर 30,000 रुपये की सब्सिडी (- पहले यह छूट सिर्फ ई-रिक्शा को मिल रही थी -) दे रही है लेकिन अब यह बैटरी चालित ई-कार्ट लोडर्स और ई-ऑटो को भी दी जा रही है। अनुमान है कि बैटरी वाहन चलाने से सालाना खर्च भी 29,000 रुपये कम हो जाती है। आंकड़े बताते हैं कि ई-रिक्शा चालक करीब 33% सालाना खर्च बचा रहे हैं।
दिल्ली, जयपुर और आगरा के बीच चलेंगी आधुनिक बसें
भारत की ताप बिजली कंपनी एनटीपीसी नेशनल गो इलैक्ट्रिक कैंपेन के तहत दिल्ली, आगरा और जयपुर के बीच हाइड्रोजन फ्यूल सेल बसें चलायेगी। माना जा रहा है कि इन बसों को चलाने में सालाना खर्च परम्परागत बसों के मुकाबले करीब 30,000 रुपये कम होगा। इस प्रोजेक्ट के उद्घाटन में केंद्रीय बिजली मंत्री आर के सिंह भी मौजूद थे जिन्होंने कहा कि सरकार अगले 4-5 महीनों में ग्रीन हाइड्रोजन की खरीद शुरू करेगी।
मॉस्को: 2030 तक पब्लिक ट्रांसपोर्ट होगा पूरी तरह इलैक्ट्रिक
मॉस्को की सभी बसें साल 2030 तक पूरी तरह इलैक्ट्रिक हो जायेंगी क्योंकि यहां प्रशासन जल्द से जल्द पेट्रोल और डीज़ल वाहनों से निजात पाना चाहता है। इससे शहर में इलैक्ट्रिक बसों की संख्या 600 से बढ़कर 2000 हो जायेगी। शहर में बना ट्राम नेटवर्क भी बिजली से चलेगा। रूस के 10% इलैक्ट्रिक वाहन मॉस्को में ही हैं और यहां एक यूनिवर्सिटी ने लीथियम आयन बैटरियों को रीसाइकिल करने का अभिनव तरीका भी खोज निकाला है जिसमें – एक क्रायोजिनिक वैक्यूम से – “बिना किसी विस्फोट का खतरा उठाये” महंगी धातु निकाल ली जाती है।
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