नई ज़िम्मेदारी: टेरी के वर्तमान महानिदेशक अजय माथुर के कंधों पर अब होगी अंतर्राष्ट्रीय सोलर अलायंस की ज़िम्मेदारी Photo – PRNewsWire

भारत के अजय माथुर होंगे ISA के नये महानिदेशक

ब्यूरो ऑफ एनर्जी एफिशिएंसी (बीईई) के प्रमुख रह चुके और दिल्ली स्थित द एनर्जी एंड रिसोर्सेज इंस्टिट्यू (टेरी) के वर्तमान महानिदेशक डॉ अजय माथुर अब अंतर्राष्ट्रीय सोलर अलायंस यानी आएसई के प्रमुख चुने हैं। माथुर 15 मार्च से यह कार्यभार संभालेंगे। डॉ अजय माथुर जलवायु परिवर्तन पर प्रधानमंत्री के विशेष सलाहकार पैनल के सदस्य भी हैं ग्रीन क्लाइमेट फंड के सदस्य रह चुके हैं। 

पेरिस संधि के बाद आईएसए का गठन 2015 में भारत और फ्रांस के सहयोग से हुआ था जिसका मकसद साल 2030 तक पूरी दुनिया में सोलर एनर्जी के लिये 1 लाख करोड़ अमरीकी डॉलर का निवेश इकट्ठा करना है। अभी 70 से अधिक देश सोलर अलायंस के सदस्य हैं और संयुक्त राष्ट्र का कोई भी सदस्य देश इसमें शामिल हो सकता है। अलायंस का मुख्यालय गुरुग्राम में है।   

बीएसईएस डिस्कॉम ने 3000 से अधिक रूफ टॉप मीटर लगाये। 

दिल्ली में छतों पर सोलर पैनलों को बढ़ावा देने की मुहिम में बीएसईएस राजधानी पावर लिमिटेड और बीएसईएस यमुना पावर लिमिटेड ने कुल 3,000 रूफटॉप सोलर नेट मीटरिंग कनेक्शन लगाये हैं जो कि 106 मेगाव़ॉट पीक (Mwp) सोलर लोड से जुड़े हैं। इन वितरण कंपनियों की योजना वित्तीय साल 2021-22 में कुल 1000 रूफ-टॉप सोलर कनेक्शन लगाने की है। ये वितरण कंपनियां कहती हैं कि रिहायशी या व्यवसायिक दोनों ही इमारतों में उपभोक्ता रूफटॉप सोलर नेट मीटरिंग को बड़े स्तर पर अपना रहे हैं। 

बीएसईएस के आंकड़ों के मुताबिक घरेलू सेगमेंट में सबसे अधिक रूफटॉप सोलर नेट मीटिरिंग कनेक्शन (1,805) हैं। इसके बाद शैक्षिक संस्थान (655), व्यवसायिक (554), औद्योगिक (35) और दूसरे (91) हैं। 

आंध्र प्रदेश: पवन ऊर्जा कंपनियां पहुंची हाइकोर्ट 

आंध्र प्रदेश में अब विन्ड एनर्ज़ी कंपनियों ने हाइकोर्ट में अपील की है और कहा है कि मार्च 2020 से राज्य की बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम्स) ने उन्हें भुगतान नहीं किया है। राज्य सरकार ने सौर और पवन ऊर्जा कंपनियों के साथ बिजली खरीद अनुबंध पर फिर से समझौता करने की कोशिश की है। जगन मोहन रेड्डी सरकार ने उनकी पूर्ववर्ती सरकार पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए कहा है कि पहले बहुत अधिक दरों पर समझौता किया था।   

साल 2019 में अन्त में कोर्ट ने तय किया था कि वितरण कंपनियां सभी पवन ऊर्जा कंपनियों को रु 2.43 की दरों से भुगतान करे। यह विन्ड एनर्जी के लिये रिकॉर्ड कम कीमतें थीं। लेकिन अब इन कंपनियों का कहना है कि अंतरिम दरों पर भी पिछली मार्च से उनको भुगतान नहीं हो पाया है।

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