केंद्रीय बिजली और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आर के सिंह ने कहा है कि ग्रिड-स्तरीय स्टोरेज के लिए एक और पीएलआई, यानि प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव योजना की जरूरत है। उन्होंने कहा कि इससे क्षमता बढ़ेगी और चौबीसों घंटे नवीकरणीय ऊर्जा उपलब्ध हो सकेगी।
नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में देश के बड़े लक्ष्यों की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि चूंकि नवीकरणीय ऊर्जा का भंडारण महंगा है, इसलिए सरकार पंप हाइड्रो पावर परियोजनाओं को प्रोत्साहित करने के लिए एक नीति लेकर आई है।
उनके अनुसार देश की 42 प्रतिशत ऊर्जा क्षमता गैर-जीवाश्म स्रोतों से उपलब्ध है, और 2030 तक इसे 50% तक ले जाने का लक्ष्य है। उन्होंने कहा कि देश में हर साल 50 गीगावॉट क्षमता जोड़ी जाएगी।
लेकिन साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि भले ही हम तेज गति से नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता स्थापित कर रहे हैं, हम अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए थर्मल पावर क्षमता में भी वृद्धि करने से पीछे नहीं हटेंगे।
नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने दी बिजली दरों में बदलाव की अनुमति
सरकार नए बिजली नियमों के तहत दिन के दौरान बिजली दरों में 20 प्रतिशत तक की कटौती और रात में, जब मांग अधिक होती है, तो 20 प्रतिशत तक बढ़ोत्तरी की अनुमति देगी। इस कदम का उद्देश्य नवीकरणीय ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देना है।
उम्मीद है कि इस व्यवस्था से पीक टाइम के दौरान ग्रिड पर भार कम होगा। यह दरें अप्रैल 2024 से वाणिज्यिक और औद्योगिक उपभोक्ताओं के लिए लागू की जाएंगी, और कृषि क्षेत्र को छोड़कर अन्य उपभोक्ताओं के लिए यह दरें एक साल बाद लागू होंगी।
भारत ने 2030 तक अपनी ऊर्जा क्षमता का 65 प्रतिशत गैर-जीवाश्म स्रोतों से प्राप्त करने का लक्ष्य रखा है। साथ ही भारत को 2070 तक नेट जीरो उत्सर्जन प्राप्त करने की दिशा में भी काम करना है। उम्मीद है कि इस कदम से इन लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद मिलेगी।
स्विट्ज़रलैंड ने अक्षय ऊर्जा कानून के समर्थन में दिया वोट
स्विट्ज़रलैंड की जनता ने एक नए जलवायु कानून के पक्ष में मतदान किया है, जिसका उद्देश्य है नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देकर 2050 तक नेट जीरो तक पहुंचना। जनमत संग्रह में इस कानून को 59.1 फीसदी मतदाताओं का समर्थन मिला, जबकि 40.9 फीसदी ने इसके खिलाफ मतदान किया।
कानून में कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में कटौती और नवीकरणीय ऊर्जा स्थापना में तेजी लाने का प्रस्ताव है, जिसके लिए 2 बिलियन स्विस फ़्रैंक (लगभग 18.31 करोड़ रुपए) की वित्तीय सहायता की घोषणा की गई है।
आयातित तेल और गैस पर निर्भरता कम करने के लक्ष्य के साथ, इस कानून में कोई नया प्रतिबंध या कर नहीं लगाया गया है।
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