केन्या की सरकार ने लक्ष्य रखा है कि 2030 तक उनके राष्ट्रीय उद्यानों और अभयारण्यों में केवल इलेक्ट्रिक वाहन प्रयोग में लाए जाएंगे ताकि वातावरण पर वाहनों के प्रभाव को कम किया जा सके। यह निर्णय इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि केन्या अब स्थायी पर्यटन वैश्विक केंद्र का संस्थापक सदस्य है। इस कदम से स्थानीय उपयोग में लाए जाने वाले विमानों और कारों पर सबसे अधिक प्रभाव पड़ने की उम्मीद है। कई लोगों ने इस घोषणा का स्वागत किया है क्योंकि इलेक्ट्रिक वाहनों से शोर कम होता है और इससे सफारी यात्रियों को जानवरों को देखने में आसानी होगी। वहीं कुछ ने चिंता व्यक्त की है कि उनके मौजूदा वाहनों को इलेक्ट्रिक में परिवर्तित करने पर कितना खर्च होगा। 2019 में इस तरह के पहले रूपांतरण पर ओल पेजेटा बुश कैंप ने 37,000 डॉलर खर्च किए थे।
कैलिफ़ोर्निया: नए सर्वेक्षण में 27% से अधिक सार्वजनिक ईवी चार्जर निष्क्रिय पाए गए
एक नई रिपोर्ट में पाया गया कि सैन फ्रांसिस्को बे क्षेत्र में सार्वजनिक रूप से उपलब्ध ईवी चार्जिंग स्टेशनों में से 27% से अधिक काम नहीं कर रहे थे। उनके कनेक्टर और/या स्क्रीन काम नहीं कर रहे थे और उनकी भुगतान प्रक्रिया और चार्ज इनीशिएशन प्रणाली भी ख़राब थी। यह अध्ययन यूसी बर्कले और गैर-लाभकारी संगठन कूल द अर्थ द्वारा किया गया। इसमें पाया गया कि ईवी सेवा प्रदाताओं के दावों के विपरीत, कार्यशील चार्जिंग स्टेशनों की उपलब्धता 95-98% से काफी कम है।
हालांकि, रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अध्ययन में टेस्ला के चार्जर्स का मूल्यांकन नहीं किया गया था, जो आमतौर पर औसतन बेहतर स्थिति में पाए जाते हैं।
इसके अलावा, कई ईवी मालिकों के पास घर पर, रेस्तरां में, कार्यालय परिसरों में और अन्य सार्वजनिक सुविधाओं पर अपने वाहनों को चार्ज करने का विकल्प होता है। जबकि गैसोलीन वाहन मालिकों के पास गैस स्टेशनों के अलावा कहीं और ईंधन भरने का कोई विकल्प नहीं होता। फिर भी, रिपोर्ट में इस बात पर जोर दिया गया है कि यदि कैलिफ़ोर्निया को ई-मोबिलिटी की ओर अमेरिका की यात्रा का नेतृत्व जारी रखना है तो ईवी मालिकों की चिंताओं को दूर करने के लिए सार्वजनिक ईवी चार्जिंग स्टेशनों की उपलब्धता के स्तर में सुधार करना चाहिए।
भारत: ईवी में आग लगने के मामलों की प्रारंभिक जांच में बैटरी और मॉड्यूल्स में खराबी का पता चला है
हाल के सप्ताहों में देश भर में इलेक्ट्रिक वाहनों में आग लगने के कारणों का पता लगाने के लिए भारत द्वारा आदेशित प्रारंभिक संघीय जांच में पाया गया कि वाहनों की बैटरी, सेल और मॉड्यूल में खराबी थी। यह जांच ओकिनावा, प्योरईवी और ओला इलेक्ट्रिक वाहनों में लगी आग के मामलों पर बिठाई गई है। जांच में बैटरी और ओला इलेक्ट्रिक की पूरी बैटरी प्रबंधन प्रणाली पर सवाल उठाए गए हैं। हालांकि ओला इलेक्ट्रिक खुद भी इन घटनाओं की जांच कर रही है, और उसने कहा है कि उसे अपनी बैटरी प्रबंधन प्रणाली में कोई समस्या नहीं मिली है। कंपनी के अनुसार ऐसा लगता है कि आग कुछ छिट-पुट मामलों तापीय स्खलन के कारण लगी होगी। कंपनी अपने बैटरी सप्लायर एलजी एनर्जी सॉल्यूशंस (दक्षिण कोरिया) के साथ भी एक जांच कर रही है। दूसरी ओर, प्योरईवी और ओकिनावा ने अभी तक इन निष्कर्षों का जवाब नहीं दिया है। लेकिन केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) ने सभी निर्माताओं को नोटिस दिया है।
जापान को चेतावनी: इलेक्ट्रिक वाहनों की और तेजी से नहीं बढ़ने पर हो सकता है जीडीपी में 14% का नुकसान
क्लाइमेट ग्रुप की एक नई रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि जापान अधिक ईवी निर्माण की दिशा में तेजी से नहीं बढ़ता तो उसे 2040 तक अपने सकल घरेलू उत्पाद का 14%, और 1.72 मिलियन नौकरियों और मुनाफे में $6 बिलियन का नुकसान उठाना पड़ेगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि अधिकांश पश्चिमी बाजार — और चीन — अधिक बैटरी इलेक्ट्रिक वाहनों को बेचने और अपनाने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं, जबकि जापान में प्रतिरोध मजबूत हो रहा है। यहां तक कि टोयोटा मोटर्स के सीईओ भी इस तकनीक के बारे में गलत सूचना फैला रहे हैं। जापान ने सीओपी26 2040 ऑल-इलेक्ट्रिक लक्ष्य पर भी हस्ताक्षर नहीं किए हैं।
हांलांकि, रिपोर्ट बताती है कि खोए हुए अवसर पुनः प्राप्त करने के लिए जापान हाइड्रोजन ईंधन सेल्स का समर्थन जारी रखने के बजाय, इस तकनीक को मिल रही सब्सिडी को समाप्त करना शुरू कर सकता है और (देश में उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स के इतिहास को देखते हुए) बैटरी निर्माण में निवेश कर सकता है।
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