भारत पिछले कुछ हफ्तों से भयानक हीटवेव की मार झेल रहा है। मौसम विभाग की घोषणा के हिसाब से गुरुवार को देश में हीटवेव का दूसरा दौर शुरू हो गया। इससे पहले दिल्ली और उत्तर प्रदेश में तापमान 49 डिग्री सेंटीग्रेड और उससे ऊपर तक चले गये। हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, जम्मू, कश्मीर, लद्दाख और बिहार में तापमान सामान्य से 5.1 डिग्री तक अधिक रहा। जयपुर में रविवार को न्यूनतम तापमान सामान्य से 7 डिग्री ऊपर था। गुजरात में गर्मी के कारण पेड़ों से पक्षियों के बेहोश होकर गिरने की ख़बर आईं।
दक्षिण भारत के तटीय राज्यों में भारी बारिश
देश में भीषण गर्मी के बीच प्रायद्वीप के इलाकों में भारी बारिश की ख़बर है। केरल ने पांच ज़िलों में रेड अलर्ट जारी किया है। आईएमडी यानी मौसम विभाग ने राज्य में 27 मई तक जल्द मॉनसून के आने की घोषणा की है। आईएमडी के वरिष्ठ वैज्ञानिकों का कहना है कि ऐसा चक्रवाती तूफान असानी और करीम के कारण हो रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बैठक कर अधिकारियों से हीट एक्शन प्लान पर काम करने को कहा और साथ ही मॉनसून से पहले बाढ़ से निपटने की तैयारी को लेकर भी।
अगले 5 साल में टूटेगा 1.5 डिग्री तापमान वृद्धि का बैरियर
जिसे अब तक एक हौव्वा कहा जा रहा है वह कड़वी और भयानक सच्चाई अब एक हकीकत बनकर हमारे सामने आ गई है। कुछ साल पहले तक कहा जा रहा था कि साल 2050 या 2040 तक धरती का तापमान डेढ़ डिग्री की लक्ष्मण रेखा को पार करेगा जो दुनिया में तबाही की घंटी है लेकिन अब यह अगले कुछ ही सालों में होता दिख रहा है। जी हां, विश्व मौसम संगठन यानी डब्लू एम ओ ने कहा है कि इस बात की 50:50 संभावना है कि अगले 5 साल में धरती का तापमान 1.5 डिग्री की तापमान वृद्धि हासिल कर ले। ये क्लाइमेट अपडेट है कि डब्लू एम ओ का।
इस बात की 93 प्रतिशत संभावना है कि अगले पांच साल का औसत तापमान पिछले पांच साल के औसत तापमान से अधिक होगा।
इस बात की भी 93 प्रतिशत संभावना है कि अगले पांच साल में से एक साल ऐसा होगा जो 2016 के सबसे अधिक गर्म होने के रिकॉर्ड को तोड़ देगा।
धरती के इस अस्थाई तापमान वृद्धि की कुछ साल पहले तक 10 प्रतिशत संभावना बताई जा रही थी जो अब 50 प्रतिशत हो गई है।
ग्लेशियरों के लिये ग्लोबल वॉर्मिंग से उबरना होता जा रहा है कठिन: शोध
नया वैज्ञानिक शोध बताता है कि हिमनदों के लिये ग्लोबल वॉर्मिंग के प्रभाव से उबरना कहीं अधिक कठिन होगा। स्टॉकहोम विश्वविद्यालय और यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के वैज्ञानिकों ने अपनी रिसर्च में कहा है कि ग्रीनलैंड जैसे इलाकों में बर्फ की दीवार (आइस शेल्फ) अगर बढ़ते तापमान के कारण टूट जाती है तो वह फिर दोबारा खड़ी नहीं हो सकती चाहे ग्लोबल वार्मिंग रुक भी जाये।
अंतराष्ट्रीय विज्ञान जर्नल नेचर कम्युनिकेशन्स में प्रकाशित इस शोध के मुताबिक यह आइस शेल्फ, ध्रुवीय बर्फ की चादरों को होनी वाली क्षति को भी कम करती हैं। वैज्ञानिक चेतावनी दे रहे हैं कि ग्लेशियरों की बर्फ अब पहले के मुकाबले 30% अधिक पिघल रही है। भारत के लिये यह शोध विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि यहां के हिमालयी क्षेत्र में 10 हज़ार से अधिक छोटे-बड़े ग्लेशियर हैं। इस ख़बर को यहां विस्तार से पढ़ा जा सकता है।
धरती के CO2 स्तर रिकॉर्ड ऊंचाई पर
CO2 उत्सर्जन के मासिक औसत स्तर रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गये। 420 पार्ट प्रति मिलियन (पीपीएम)। इन्हें हवाई की मउना लोआ यूनिवर्सिटी की वेधशाला में दर्ज किया गया। वैज्ञानिक क्लाइमेट संकट को काबू में रखने के लिये इन स्तरों को 350 पीपीएम के स्तर पर रखने की अपील करते रहे हैं। पिछले साल उच्चतम स्तर 419.13 पीपीएम था जो मई में रिकॉर्ड किया गया था।
दो साल पहले, हमने अंग्रेजी में एक डिजिटल समाचार पत्र शुरू किया जो पर्यावरण से जुड़े हर पहलू पर रिपोर्ट करता है। लोगों ने हमारे काम की सराहना की और हमें प्रोत्साहित किया। इस प्रोत्साहन ने हमें एक नए समाचार पत्र को शुरू करने के लिए प्रेरित किया है जो हिंदी भाषा पर केंद्रित है। हम अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद नहीं करते हैं, हम अपनी कहानियां हिंदी में लिखते हैं।
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