अक्षय ऊर्जा लक्ष्य को हासिल करने के लिए देश को हर साल लगभग डेढ़ से दो लाख करोड़ रुपए के निवेश की जरूरत है, लेकिन अभी इस क्षेत्र में सालाना 75 हजार करोड़ रुपए का ही निवेश हो पा रहा है। ऐसे में अक्षय ऊर्जा के लक्ष्य को हासिल करने के लिए निवेश के नए-नए तरीके ईजाद करने होंगे। संसदीय समिति (ऊर्जा) द्वारा 25 जुलाई 2023 को संसद में प्रस्तुत की गई रिपोर्ट में यह बात कही गई है।
समिति ने सरकार से सिफारिश की है कि वह देश में ग्रीन बैंक की स्थापना की संभावनाएं तलाशे, जो अक्षय ऊर्जा क्षेत्र की वित्त संबंधी चुनौतियों का समाधान करे। समिति ने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा है कि मिनिस्ट्री ऑफ न्यू एंड रिन्यूएबल एनर्जी (एमएनआरई) को इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फंड (आईडीएफ), इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट (इनवीआईटी), वैकल्पिक निवेश फंड, ग्रीन/मसाला बॉन्ड जैसे तंत्र और वैकल्पिक फंडिंग रास्ते उपलब्ध कराने और तलाशने के लिए सक्रिय रूप से काम करना चाहिए।
समिति ने अक्षय ऊर्जा क्षेत्र के लिए क्राउड फंडिंग जैसा रास्ता भी अपनाने की सिफारिश की है।
भारत का सौर पीवी मॉड्यूल निर्यात 364% बढ़ा
वित्त वर्ष 2023 में भारतीय निर्माताओं ने 8,440 करोड़ रुपए के सोलर फोटोवोल्टिक सेल और मॉड्यूल निर्यात किए, जबकि पिछले वर्ष यह आंकड़ा 1,819 करोड़ रुपए था। निर्यात में इस भारी उछाल का एक बड़ा कारण था चीन से मॉड्यूल सोर्सिंग पर लगाए गए प्रतिबंधों के बाद अमेरिका में मॉड्यूल की बढ़ती मांग।
इस वित्तीय वर्ष में भारत से निर्यातित कुल सोलर पीवी मॉड्यूल्स का 97% हिस्सा अमेरिका को निर्यात किया गया। इसके अलावा, पिछले 18 महीनों में घरेलू मॉड्यूल विनिर्माण क्षमताओं में महत्वपूर्ण वृद्धि से निर्यात को बढ़ावा मिला है। घरेलू बाजार की तुलना में निर्यात द्वारा अधिक कमाई होने से निर्माताओं को लाभ हुआ है।
इस निर्यात में बड़े पैमाने पर सोलर पीवी मॉड्यूल शामिल हैं, और वित्त वर्ष 2023 में पीवी सेल निर्यात की हिस्सेदारी केवल 0.1% थी।
झारखंड: 2,000 मेगावाट के लक्ष्य के विपरीत केवल 100 मेगावाट अक्षय ऊर्जा स्थापित
कोयला समृद्ध झारखंड ने नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता हासिल करने के लिए लक्ष्य निर्धारित किए थे, इसके बावजूद राज्य स्वच्छ ऊर्जा निवेश में पिछड़ रहा है। बल्कि कोयले से चलने वाले नए बिजली संयंत्र स्थापित किए जा रहे हैं।
लक्ष्य के मुताबिक, 2022 तक झारखंड में 2,000 मेगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता स्थापित होनी चाहिए थी, लेकिन अभी यह केवल 100 मेगावाट के आसपास ही है। राज्य में तीन बड़े कोयला-आधारित बिजली संयंत्र निकट भविष्य में चालू हो जाएंगे, जिससे कोयला बिजली उत्पादन में 7,580 मेगावाट की वृद्धि होगी।
जीवाश्म ईंधन आधारित ऊर्जा और स्वच्छ ऊर्जा के बीच बढ़ते अंतर के कारण, झारखंड में एनर्जी ट्रांज़िशन अधिक चुनौतीपूर्ण होने की उम्मीद है। कोल फेजआउट के युग में स्वच्छ ऊर्जा में कम निवेश रोजगार और रोज़गार की संभावनाओं को भी कम कर सकता है।
100% अक्षय ऊर्जा पर स्विच करने के लिए नई सौर नीति लाएगी एनडीएमसी
नई दिल्ली नगरपालिका परिषद (एनडीएमसी) पूरी तरह से नवीकरणीय ऊर्जा अपनाने के उद्देश्य से एक नई सौर नीति लाने की योजना बना रही है। एनडीएमसी सदस्य कुलजीग चहल ने कहा कि एनडीएमसी ग्रिड से जुड़े सौर संयंत्रों के कार्यान्वयन को प्रोत्साहित करेगी।
उन्होंने कहा कि एनडीएमसी सरकारी संगठनों, सरकारी अस्पतालों, स्कूलों और अन्य शैक्षिक और अनुसंधान संस्थानों और फायर स्टेशनों, अस्पतालों सहित सभी मौजूदा, आगामी या प्रस्तावित भवनों पर नेट मीटरिंग के साथ सौर संयंत्रों के डिप्लॉयमेंट को बढ़ावा देगी।
यह नीति 1 किलोवाट पीक (केडब्ल्यूपी) या उससे अधिक क्षमता वाली किसी भी सौर ऊर्जा प्रणाली के लिए लागू होगी। यह एनडीएमसी क्षेत्र के सभी बिजली उपभोक्ताओं पर लागू होगी।
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