ख़बर है कि भारत सरकार ने अंडमान के समुद्री इलाके में तेल और गैस की खोज की योजना तेज की है। द इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, केंद्र ओएनजीसी के नेतृत्व वाले ड्रिलिंग अभियान के लिए एक फंडिंग योजना तैयार कर रहा है और परियोजना के लिए मंजूरी को आसान बनाने पर विचार कर रहा है। अंडमान सागर में अपतटीय ड्रिलिंग मानसून के बाद जल्द शुरू हो सकती है| एक्सॉनमोबिल और शेल के सहयोग के साथ ओएनजीसी ने 350-400 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत पर परियोजना के तहत 3-4 कुओं को ड्रिल करने की तैयारी में है। ओएनजीसी के पास वर्तमान में तीन ब्लॉक हैं और ऑयल इंडिया के पास अंडमान अपतटीय जल में एक ब्लॉक पर ड्रिलिंग अधिकार है।
यूक्रेन पर रूस के हमले का असर, कोयले की ओर लौट रहे यूरोपीय देश
यूक्रेन पर रूस के हमले का असर अब यूरोप की ऊर्जा ज़रूरतों पर पड़ रहा है। ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी और नीदरलैंड के बाद अब फ्रांस ने घोषणा की है कि वह अपने हाल ही बंद किये बिजलीघर को फिर से खोलेगा। हालांकि फ्रांस की 67 प्रतिशत बिजली न्यूक्लियर पावर है लेकिन वह पूर्वी फ्रांस में स्थित अपने एक कोल पावर प्लांट का फिर से खोल रहा है। फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रॉन ने कहा है कि उनके देश में 1 प्रतिशत से भी कम बिजली कोल पावर है और उनका कोयले का प्रयोग बंद करना का संकल्प बना हुआ है। रूस ने यूरोपीय देशों को अपने यहां से होने वाली तेल और गैस की सप्लाई रोक दी है जिससे कई देश कोयले की ओर लौट रहे हैं। जानकारों का सवाल है कि ऐसे हालात में यूरोपीय देश साफ ऊर्जा विकल्पों को क्यों नहीं बढ़ा रहे।
तेल-गैस ड्रिलिंग फिर शुरु होने पर बाइडेन सरकार पर हुआ मुकदमा
नॉर्थ डकोटा, नेवादा और मोंटाना समेत कुछ जगहों पर तेल और गैस निकालने की लीज़ को फिर से क्रियान्वित करने पर पर्यावरण संगठनों ने बाइडेन प्रशासन पर मुकदमा कर दिया है। मुकदमे में कहा गया है कि सरकार इन लाइसेंस के ज़रिये संघीय भूमि नीति और प्रबंधन कानून का उल्लंघन कर रही है। इन कानून में कहा गया है कि सार्वजनिक भूमि “बेवजह क्षरण” न हो और इस कारण बहुत अधिक प्रदूषण होगा। मुकदमा करने वालों का शोध बता रहा है कि भले ही चुनाव अभियान में बाइडेन ने ड्रिलिंग लीज़ पर रोक लगाने की बात कही लेकिन सत्ता में आने के बाद अपने पहले साल में नई सरकार ने ट्रम्प प्रशासन की तुलना में 34% अधिक तेज़ी से प्रोजेक्ट्स को हरी झंडी दी है।
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