पल्ला झाड़ा: बैटरी वाहनों को लेकर सरकार का जोश ठंडा पड़ गया है। ज़ाहिर तौर पर कंपनियां पेट्रोल-डीज़ल वाले वाहन बनाते रहेंगी। फोटो - FinancialExpress

बैटरी वाहनों के लिये कोई “लक्ष्य” नहीं, फंडिंग के लिये ADB से वार्ता

नीति आयोग के सुझाव के बावजूद अब भारत सरकार ने कहा है कि वह अभी बैटरी वाहनों के लिये कोई लक्ष्य तय नहीं कर रही है। यह घोषणा केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने की। उन्होंने आयोग के उस नियम को रदद् कर दिया जिसमें 2023 से सभी तिपहिया वाहन और 2025 से सारे दुपहिया वाहनों को केवल बैटरी चालित करने की बात कही गई थी। इस ऐलान से परम्परागत ऑटो निर्माताओं ने राहत की सांस ली है जो पेट्रोल-डीज़ल से चलने वाले दुपहिया और तिपहिया वाहनों को बन्द करने का विरोध कर रहे थे। 

दूसरी ओर केंद्र सरकार बैटरी वाहन समेत तमाम क्षेत्रों में तेज़ी लाने के लिये एशियाई विकास बैंक (ADB) से 1200 करोड़ रुपये के कर्ज़ के लिये वार्ता कर रही है।

इंडियन ऑइल बनायेगी 100% देसी नॉन-लीथियम आयन बैटरी

भारत की सबसे बड़ी तेल कंपनियों में एक इंडियन ऑयल जल्दी ही इलैक्ट्रिक वाहनों के लिये 1 गीगावॉट क्षमता का नॉन लीथियम आयन बैटरी प्लांट लगायेगी। इंडियन ऑयल यह प्लांट एक विदेशी स्टार्ट-अप कंपनी के साथ मिलकर लगायेगी। उम्मीद है कि इस साझा उपक्रम से लीथियम आयन बैटरियों पर निर्भर ता कम होगी, जिनका 90% आयात करना पड़ता है। नई बैटरियां देश में आसानी से मिलने वाले कच्चे माल से तैयार होंगी और खालिस देसी प्रोडक्ट होंगी।  

चीन की घटिया ईवी बैटरियों पर लगेगा ऊंचा आयात शुल्क 

नीति आयोग ने सिफारिश की है कि चीन से आने वाली दोयम दर्जे की ईवी बैटरियों पर हाइ इम्पोर्ट ड्यूटी लगाई जाये। इससे पहले यह ख़बर आई थी कि चीन अपना “कबाड़” भारत में खपा रहा है क्योंकि इन बैटरियों के ग्राहक उसे अपने देश में नहीं मिल रहे। इस कदम से ऐसी चीनी बैटरियों का इस्तेमाल भारत में कम होगा जो एनर्ज़ी, तापमान सहने की क्षमता और सुरक्षा मानकों पर खरी नहीं उतरती।

दूसरी ओर वित्त मंत्रालय ने देसी बैटरी निर्माताओं के लिये 700 करोड़ रुपये की सब्सिडी के प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी है। इससे देश में वाहनों के लिये कुल 50 गीगावॉट-पावर क्षमता का बैटरी निर्माण होगा।

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