वित्त मामलों की कैबिनेट कमेटी ने देश में कोयला खनन और उससे जुड़े इंफ्रास्ट्रक्चर कारोबार में 100% विदेशी निवेश की अनुमति दे दी है। अब तक कोल इंडिया (CIL) और इसकी सहयोगी SSCL देश की प्रमुख खनन कंपनियां थी। जिन निजी कंपनियों को सीमेंट, पावर और स्टील के लिये खानें दी गई हैं उन्हें अपने उत्पादन का सिर्फ 25% हिस्सा खुले बाज़ार में बेचने की अनुमति थी। जहां एक ओर FDI कोयला बाज़ार में तेज़ी और नई टेक्नोलॉजी ला सकता है वहीं इससे भारत के कार्बन इमीशन बढ़ेंगे और यह ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन कम करने के लक्ष्य के खिलाफ होगा।
NTPC बनना चाहती है कोयले में नंबर – 2
सरकारी क्षेत्र की पावर कंपनी NTPC ने कहा है कि वह देश की दूसरे नंबर की सबसे बड़ी कोयला उत्पादक बनना चाहती है। कोयला खनन में कोल इंडिया भारत की नंबर-1 कंपनी है। NTPC अपने 11 कोल ब्लॉक्स से अभी सालाना 80 लाख टन कोयला निकालती है जिसे वह बढ़ाकर 10 करोड़ टन सालाना करना चाहती है। हालांकि NTPC ने यह ऐलान ऐसे वक़्त किया है जब कोल पावर में निवेश तेज़ी से घटा है और दुनिया भर में कोयला की खपत घटाने की मांग हो रही है।
इस बीच केंद्र सरकार ने नीति आयोग की उस मांग को खारिज़ कर दिया है जिसमें कहा गया था कि सीमेंट, स्टील और बिजली बनाने वाली कंपनियों को कैप्टिव कोल माइन न देने को कहा गया था। नीति आयोग चाहता था कि इन उद्योगों में लगी कंपनियां बाज़ार से कोयला खरीदें लेकिन बिजली मंत्रालय ने कहा कि इससे सप्लाई पर असर पड़ेगा और “देश अंधेरे में डूब जायेगा।”
महज़ 5 साल में खत्म हो सकता है UK का शेल गैस भंडार
नये शोध बताते हैं कि यूनाइटेड किंगडम यानी UK का शेल गैस भंडार अगले 5 साल में खत्म हो सकता है। पहले अनुमान लगाया गया था कि ब्रिटेन के पास अगले 50 साल के लिये पर्याप्त शेल गैस है। यह ख़बर गैस उत्खनन कंपनियों के लिये एक बड़ा झटका हो सकती है क्योंकि इस रिसर्च में कहा गया है कि कंपनियों के लिये 2 करोड़ घन फुट गैस निकालना भी मुमकिन नहीं होगा जबकि 13 करोड़ घन फुट गैस का अनुमान लगाया गया था। UK की सबसे बड़ी उत्खनन कंपनियों में से एक कुआड्रिला ने इस शोध के नतीजों को खारिज कर दिया है।
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