इस महीने न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान होने वाली ‘समिट ऑफ़ द फ्यूचर’ के मसौदे में जीवाश्म ईंधन से ‘ट्रांज़िशन अवे’, यानि दूर जाने की प्रतिबद्धता को फिर से शामिल कर लिया गया है। इसके पहले जारी किए गए मसौदे में जीवाश्म ईंधन का कोई ज़िक्र नहीं था जिसके बाद करीब 80 नोबेल पुरस्कार विजेताओं और कई देशों के नेताओं ने इसकी आलोचना की थी।
ताजा ड्राफ्ट में कहा गया है कि “ऊर्जा प्रणालियों में उचित, व्यवस्थित और न्यायसंगत तरीके से बदलाव करके जीवाश्म ईंधन से दूर जाने का निर्णय लिया गया है, ताकि विज्ञान के अनुसार चलकर 2050 तक नेट जीरो हासिल किया जा सके”। मसौदे पर सम्मलेन में चर्चा की जाएगी।
ताजा मसौदे की भाषा पिछले साल दुबई में कॉप28 में हुए ‘ट्रांज़िशन अवे’ के समझौते की ही तरह है। लेकिन कॉप28 के प्रस्ताव में “इस महत्वपूर्ण दशक में कार्रवाई में तेजी लाने” का आह्वान भी किया गया है जो उक्त मसौदे से गायब है।
जीवाश्म ईंधन से ‘दूर जाने’ की प्रतिज्ञा जी20 देशों की विज्ञप्ति के मसौदे से नदारद
क्लाइमेट पर जी20 विज्ञप्ति के नवीनतम ड्राफ्ट में सदस्य देशों ने अपने संकल्पों से ‘जीवाश्म ईंधन से दूर जाने’ की स्पष्ट प्रतिज्ञा को शामिल नहीं किया है। गार्डियन की रिपोर्ट के अनुसार, सदस्यों ने जी20 जलवायु विज्ञप्ति के प्रारंभिक मसौदे में ‘ट्रांज़िशन अवे’ की प्रतिबद्धता को दोहराया था, जिस पर वर्तमान में चर्चा हो रही है।
पिछले साल दुबई में कॉप28 जलवायु शिखर सम्मेलन के दौरान जारी किए गए प्रस्ताव में ‘ट्रांज़िशन अवे’ की प्रतिज्ञा सबसे महत्वपूर्ण थी, क्योंकि पहली बार ‘जीवाश्म ईंधन’ का लिखित रूप से प्रयोग किया गया था। हालांकि, सदस्य देशों ने संकल्पों के सबसे हालिया मसौदे से इस विशिष्ट प्रतिज्ञा को बाहर रखा है।
इसके बजाय, ‘ट्रांज़िशन अवे’ की प्रतिज्ञा का ज़िक्र अप्रत्यक्ष रूप से कॉप28 के निष्कर्ष में ‘निर्धारित लक्ष्यों’ का हवाला देकर गया है। पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने चेतावनी दी है कि जी20 विज्ञप्ति से इस प्रतिज्ञा को हटाना एक बड़ा कदम होगा।
भारत का कोयला उत्पादन 6.48% बढ़ा
वित्तीय वर्ष 2024-25 के पहले पांच महीनों में भारत के कोयला उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है। कोयला मंत्रालय के अनुसार, अगस्त 2024 तक उत्पादन 6.48% बढ़कर 384.08 मिलियन टन (एमटी) तक पहुंच गया। पिछले वित्तीय वर्ष में इसी अवधि में उत्पादित 360.71 मीट्रिक टन की तुलना में यह एक बड़ी वृद्धि है।
इसमें देश की सबसे बड़े कोयला उत्पादक कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) ने 290.39 मीट्रिक टन का योगदान दिया, जो अप्रैल-अगस्त 2023 के बीच उत्पादित 281.46 मीट्रिक टन से 3.17% अधिक है। इसी अवधि में कैप्टिव और अन्य कोयले के उत्पादन में 30.56% की भारी वृद्धि हुई, जो पिछले साल 52.84 मीट्रिक टन से बढ़कर 68.99 मीट्रिक टन हो गया।
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