जी -20 की बैठक में जीवाश्म ईंधन के प्रयोग को कम करने की दिशा में ठोस समझौता नहीं हो पाया जबकि दुनिया का 75% कार्बन उत्सर्जन जी-20 देश ही करते हैं। Photo: Courtesy g20.org

जीवाश्म ईंधन प्रयोग घटाने की कोशिश में नाकाम रहा जी-20 समूह

गोवा में हुई जी-20 देशों की मंत्री स्तरीय बैठक में बड़े देश जीवाश्म ईंधन के प्रयोग को फेज़ डाउन करने के लिये किसी समझौते में पहुंचने में नाकाम रहे। जीवाश्म ईंधन का उत्पादन करने वाले कुछ देशों का अनमना होना इसकी वजह है। महत्वपूर्ण है कि दुनिया का 75 प्रतिशत कार्बन उत्सर्जन जी-20 देश ही करते हैं और अभी दुनिया भर में जलवायु संकट को देखते हुए इस मीटिंग में कोई समझौता न होना जलवायु वार्ता के लिए झटका है। 

सभी मुद्दों पर सहमति न होने के कारण एक संयुक्त बयान जारी नहीं हुआ बल्कि उसकी जगह बैठक के नतीजों पर बयान और अध्यक्षीय संक्षिप्त नोट जारी हुआ। भारत के ऊर्जा मंत्री आर के सिंह ने बताया कि 29 में 22 पैराग्राफ पर पूर्ण सहमति बन गई। 

रायटर्स ने सूत्रों के हवाले से कहा है कि जीवाश्म ईंधन पर पूरे दिन ज़ोर शोर से चर्चा हुई लेकिन अधिकारी जीवाश्म ईंधन के “अनियंत्रित” प्रयोग पर सहमति न बना सके और इमीशन कम करने के तरीकों पर बहस होती रही। 

रूसी तेल खरीदना बंद कर सकते हैं भारत के रिफाइनर

भारतीय सरकारी रेफिनेर रिफाइनर अब रूस से तेल खरीदना बंद करके वापस कच्चे तेल के पारंपरिक आपूर्तिकर्ता खाड़ी देशों, जैसे इराक और संयुक्त अरब अमीरात की ओर जा सकते हैं, पेट्रोलियम मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया।

ईटी ने एक रिपोर्ट में इस अधिकारी के हवाले से बताया कि भारतीय रिफाइनरों को रूसी तेल में मिलने वाली छूट कम हो गई है और भुगतान में समस्याएं आ रही हैं। जबकि खाड़ी देश उनको अधिक अवधि के लिए क्रेडिट देने को तैयार हैं।

पिछले साल भारतीय रिफाइनरों को जो सबसे अधिक छूट मिली वह लगभग 12-13 डॉलर प्रति बैरल थी, लेकिन यह जल्द ही गिरकर 6-7 डॉलर प्रति बैरल पर आ गई। कहा जा रहा है कि अब यह छूट और कम हो गई है।

व्यापारिक रिश्ते मज़बूत करने के लिए पेट्रोलियम लाइन पर काम करेंगे भारत और श्रीलंका 

दोनों देशों के बीच इकोनॉमिक पार्टनरशिप बढ़ाने के लिए भारत और श्रीलंका ने 5 समझौते करने का फैसला किया है जिसमें पेट्रोलियम लाइन बिछाने के लिए अध्ययन के साथ ज़मीन पर संपर्क बेहतर करने के लिए पुलों के निर्माण की योजना शामिल है। 

श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे के दो दिन के भारत दौरे के दौरान यह फैसले लिए गए। विक्रमसिंघे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के बाद कहा कि दोनों देशइकोनॉमिक पार्टनरशिप मज़बूत करने के लिए काम कर रहे हैं। इसके लिए पेट्रोलियम लाइन बिछाने के साथ  टेक्नोलॉजी और अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में काम के लिये पैक्ट किए गए।

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