ऊर्जा बदलाव की तीसरी कड़ी में हृदयेश जोशी बात कर रहे हैं दिल्ली की अम्बेडकर यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर अस्मिता काबरा और ओड़िशा की सामाजिक कार्यकर्ता स्वप्ना सारंगी से।
इस बातचीत में यह जानने की कोशिश है कि खनन और जीवाश्म ईंधन पर आधारित ऊर्जा क्षेत्र में जस्ट ट्रांजिशन का वहां पर रहने वाले लोगों की आजीविका और नौकरियों पर क्या प्रभाव पड़ेगा।
क्या ऐसे क्षेत्रों में रहने वालों को दूसरे गांवों और शहरों की ओर पलायन करना पड़ेगा। दोनों विशेषज्ञों ने इस मुद्दे पर भी चर्चा की कि कैसे सरकारों को प्रभावित होने वाले लोगों के लिए रोज़गार के नए साधन खोजने होंगे या फिर कैसे उन्हें नए कौशल सिखाए जा सकते हैं।
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