पिछले दुबई में हुए जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (कॉप-28) के मेजबान रहे यूएई ने सभी देशों से अपील की कि वे जीवाश्म ईंधन से दूर जाने (ट्रांजिशन अवे) के लिए कदम उठाएं। पिछले साल दिसंबर में हुए सम्मेलन में गहन वार्ता के बाद सभी देश जीवाश्म ईंधन के प्रयोग से ट्रांजिशन पर सहमत हुए थे, ताकि जलवायु परिवर्तन के दुष्परिणामों से बचा जा सके। अब सभी देशों को अपनी उन योजनाओं के बारे में बताना है जिनके द्वारा इस उद्देश्य को हासिल किया जाएगा।
मंगलवार को दुबई वार्ता को अध्यक्ष रहे सुलतान अल जबेर ने बीते मंगलवार (20 फरवरी) को यह कहा कि अब हमें अभूतपूर्व सहमति को अभूतपूर्व एक्शन और अभूतपूर्व परिणामों में बदलना चाहिए। जबेर ने कहा कि पावर की मांग को अगर नियंत्रित नहीं किया गया तो ऊर्जा उथलपुथल (एनर्जी टर्मऑइल) हो सकती है। अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (आईईए) के द्वारा आयोजित कार्यक्रम में जबेर ने कहा कि ट्रांजिशन की कीमत को लेकर विश्व के देशों और नेताओं को ईमारदारी और पारदर्शिता बरतनी चाहिए। यह दिलचस्प है कि जबेर खुद यूएई की सबसे बड़ी तेल कंपनी एडनॉक के सीईओ हैं और दुबई वार्ता के दौरान संयुक्त अरब अमीरात के इरादों पर कई सवाल उठे और विवाद हुआ था।
जीवाश्म ईंधन के लिए विवादास्पद संधि से बाहर आएगा यूके
यूनाइटेड किंगडम उस विवादास्पद ऊर्जा संधि से निकल जाएगा जिसकी वजह से बड़ी तेल और गैस कंपनियां क्लाइमेट नीतियों को लागू करने के लिए सरकारों के खिलाफ मुकदमे कर रही हैं। यूरोप के दूसरे महत्वपूर्ण देशों फ्रांस, जर्मनी, स्पेन और नीदरलैंड भी 1990 के दशक की इस संधि को छोड़ने का फैसला किया है जबकि यूरोपीय संसद ने सभी देशों से इस संधि को छोड़ने की अपील की है। नब्बे के दशक में जब ऊर्जा क्षेत्र में जीवाश्म ईंधन का बोलबाला था तो यह संधि अंतर्राष्ट्रीय निवेश को बढ़ावा देने के लिए की गई लेकिन बाद में विश्व की बड़ी कंपनियों ने इस संधि की मदद से सरकारों पर मुकदमे करने शुरू किए। इटली जिसे वैश्विक ब्रिटिश तेल कंपनी रॉकहॉपर को संधि के तहत भारी कीमत चुकानी पड़ी, ने 2015 में ही इसे संधि को छोड़ने का ऐलान कर दिया था।
रूस-यूक्रेन युद्ध: बड़ी तेल कंपनियों ने कमाया $281 बिलियन का मुनाफा
एक अंतर्राष्ट्रीय एनजीओ ग्लोबल विटनेस ने दावा किया है कि फरवरी 2022 में रूस द्वारा यूक्रेन पर हमले के बाद तेल की सुपर मेजर कंपनियों ने 281 बिलियन डॉलर यानी 23 लाख करोड़ रुपए से अधिक का मुनाफा कमाया है। इसमें 20.5 लाख करोड़ तो बीपी, शेल, शेवरॉन, एक्सॉन मोबिल और टोटल एनर्जी जैसी कंपनियों की जेब में गया। यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद तेल और गैस की कीमतों में भारी उछाल के कारण यह हुआ। रूस के हमले के बाद से अब तक यूके स्थित कंपनियों बीपी और शेल ने मिलाकर 94.2 बिलियन डॉलर का मुनाफा कमाया है यानी करीब पौने आठ लाख करोड़ रुपये के बराबर। यह रकम पूरे ब्रिटेन के लोगों के 17 महीने के बिजली के बिल के बराबर है।
दो साल पहले, हमने अंग्रेजी में एक डिजिटल समाचार पत्र शुरू किया जो पर्यावरण से जुड़े हर पहलू पर रिपोर्ट करता है। लोगों ने हमारे काम की सराहना की और हमें प्रोत्साहित किया। इस प्रोत्साहन ने हमें एक नए समाचार पत्र को शुरू करने के लिए प्रेरित किया है जो हिंदी भाषा पर केंद्रित है। हम अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद नहीं करते हैं, हम अपनी कहानियां हिंदी में लिखते हैं।
कार्बनकॉपी हिंदी में आपका स्वागत है।
आपको यह भी पसंद आ सकता हैं
-
कोयले का प्रयोग बंद करने के लिए भारत को चाहिए 1 ट्रिलियन डॉलर
-
भारत ने 10 लाख वर्ग किलोमीटर के ‘नो-गो’ क्षेत्र में तेल की खोज के हरी झंडी दी
-
ओडिशा अपना अतिरिक्त कोयला छूट पर बेचना चाहता है
-
विरोध के बाद यूएन सम्मेलन के मसौदे में किया गया जीवाश्म ईंधन ट्रांज़िशन का ज़िक्र
-
रूस से तेल आयात के मामले में भारत ने चीन को पीछे छोड़ा