विशेषज्ञों के अनुसार लगातार लंबे समय तक बाड़े में रखने से चीतों के स्वास्थ्य पर असर पड़ रहा है।

कूनो में एक और चीते की मौत से प्रोजेक्ट चीता पर उठे सवाल

मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में एक और चीते की मौत हो गई है। दक्षिण अफ्रीका से लाए गए चीते उदय ने बीमार पड़ने के बाद इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। 

पोस्ट-मॉर्टम रिपोर्ट के अनुसार उदय की मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई, जिसका संभावित कारन को टॉक्सिन था।

कूनो में एक महीने के भीतर दो चीतों की मौत हो चुकी है। 

इसके पहले साशा नामक मादा चीता के किडनी की बीमारी के चलते मौत हो गई थी। इन दो मौतों से देश में प्रोजेक्ट चीता पर सवाल उठने लगे हैं

करीब छह साल के उदय को इस साल 18 फरवरी को दक्षिण अफ्रीका से लाया गया था। दक्षिण अफ्रीका से उसे कूनो लेकर आने वाले चीता मेटा पॉपुलेशन प्रोजेक्ट से जुड़े लोगों के मुताबिक उदय का स्वास्थ्य अच्छा था।

वहीं, वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट्स का कहना है कि लगातार लंबे समय तक बाड़े में रखने से चीतों के स्वास्थ्य पर असर पड़ रहा है और वे बीमार हो रहे हैं।

परिवेश पोर्टल पर जानकारी नहीं देने की रिपोर्ट पर पर्यावरण मंत्रालय ने दी सफाई

पर्यावरण मंत्रालय की परिवेश वेबसाइट ने पिछले साल सितंबर से परियोजनाओं के पर्यावरण पर पड़नेवाले प्रभावों की जानकारी देना बंद कर दिया है, हिंदुस्तान टाइम्स ने एक रिपोर्ट में बताया। मंत्रालय ने निर्णय लिया है कि सूचना के अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के तहत मांगे जाने पर ही ऐसी जानकारी प्रदान की जाएगी।

हालांकि, बाद में मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि पोर्टल में सुधार हो रहा है और नया परिवेश पोर्टल भारत के पारदर्शिता कानून के अनुरूप होगा। यह परियोजना प्रस्तावों, और पर्यावरण और फारेस्ट मंजूरी के विवरण सार्वजनिक करेगा। लेकिन मंत्रालय ने नया पोर्टल शुरू होने की कोई समयसीमा नहीं बताई है।

परिवेश (प्रो-एक्टिव एंड रिस्पॉन्सिव फैसिलिटेशन बाइ इंटरएक्टिव एंड वर्चुअस एनवायरनमेंट सिंगल-विंडो हब) पर्यावरण, वन, वन्य जीवन और कोस्टल रेगुलेशन ज़ोन की मंजूरी के लिए सिंगल विंडो सिस्टम है।

मंत्रालय ने हिन्दुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के जवाब में कहा कि नई वेबसाइट विशेषज्ञ मूल्यांकन और वन सलाहकार समितियों की बैठकों के विवरण, पर्यावरण और फारेस्ट क्लीयरेंस पर जानकारी, कोस्टल रेगुलेशन ज़ोन प्रस्ताव विवरण और मंजूरी, और क्षेत्रीय अधिकार प्राप्त समिति के कार्यवृत्त (मिनट्स) प्रदान करेगी।

हालांकि, मंत्रालय ने नहीं बताया कि क्या अबतक के नियम के अनुसार परियोजनाओं से संबंधित जानकारी जैसे एनवायरनमेंट इम्पैक्ट असेसमेंट (ईआईए) का मसौदा और अंतिम रिपोर्ट, टर्म्स ऑफ़ रेफेरेंस (टीओआर), प्री-फिसीबिलिटी रिपोर्ट और जन सुनवाई दस्तावेजों आदि सार्वजनिक की जाएगी या नहीं।

मंत्रालय ने कहा कि वेबसाइट को सूचना का अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के अनुकूल बनाया जाएगा।

इससे पहले, पर्यावरण मंत्रालय के एक अधिकारी के हवाले से एचटी ने बताया था कि परिवेश पर जानकारी न देने का कारण है प्रोजेक्ट डेवलपर्स के हितों की रक्षा करना, और कुछ सूचनाओं की संवेदनशीलता। हालांकि एनवायरनमेंट एक्टिविस्ट्स और पर्यावरणविदों ने दावा किया कि यह सिस्टम को अपारदर्शी बनाने का तर्क प्रतीत होता है।

सुप्रीम कोर्ट का केंद्र से सवाल: 27 में से केवल तीन कीटनाशक ही प्रतिबंधित क्यों?

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा है कि उसने देश में केवल तीन कीटनाशकों को ही बैन करने के लिए सूचीबद्ध क्यों किया है। मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र को एक हलफनामें में इस बात की जानकारी देने के लिए कहा है कि, ‘किस आधार पर 27 में से केवल तीन कीटनाशकों पर ही कार्रवाई की गई है’।

साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को डॉक्टर एस के खुराना उप समिति की अंतिम रिपोर्ट और डॉक्टर टी पी राजेंद्रन की अध्यक्षता वाली समिति द्वारा 6 सितंबर, 2022 को जमा रिपोर्ट को भी ऑन रिकॉर्ड रखने का निर्देश दिया है। सर्वोच्च न्यायालय ने यह आदेश 27 मार्च 2023 को जारी किया था।

याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए वकील प्रशांत भूषण का कहना था कि जनवरी 2018 तक कम से कम 27 कीटनाशकों को बैन किया जाना था।

वहीं अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल विक्रमजीत बनर्जी का आरोप है कि सर्वोच्च न्यायालय में इस तरह की याचिकाएं दायर की जा रही हैं जिनकी मंशा सही नहीं है और अदालत का इस्तेमाल इस उद्देश्य के लिए नहीं किया जाना चाहिए।

ऐसे में कोर्ट ने कहा है कि यदि आपने अपना काम ठीक से किया होता तो हम सुनवाई नहीं कर रहे होते।    

गौरतलब है कि सर्वोच्च न्यायालय में ऐसी कई याचिकाएं दाखिल हैं, जिनमें 100 से भी ज्यादा कीटनाशकों को प्रतिबंधित करने की मांग की गई है।

विकासशील देशों की मदद के लिए यूएन के जलवायु कोष में 1 बिलियन डॉलर देगा अमेरिका

विकासशील देशों को उत्सर्जन में कटौती और अनुकूलन में सहायता करने के उद्देश्य से बनाए गए संयुक्त राष्ट्र के ग्रीन क्लाइमेट फंड (जीसीएफ) में अमेरिका 1 बिलियन डॉलर प्रदान करेगा। संयुक्त राष्ट्र के जलवायु कोष में अमेरिका का यह छह साल में इस तरह का पहला योगदान है।

राष्ट्रपति जो बाइडेन ने ग्लोबल वार्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने पर चर्चा के लिए बुलाई गई विश्व के प्रमुख नेताओं की एक वर्चुअल बैठक में यह ऐलान किया।

बाइडेन ने वादा किया कि वह कांग्रेस से आगामी पांच वर्षों में अमेज़ॅन फंड के लिए अतिरिक्त 500 मिलियन डॉलर स्वीकृत करने का अनुरोध करेंगे, ताकि 2030 तक वनों की कटाई समाप्त करने में मदद मिल सके।  

उन्होंने कहा कि वह विकासशील देशों के मीथेन उत्सर्जन में कटौती के लिए 200 मिलियन डॉलर जुटाने का प्रयास करेंगे। उन्होंने देशों से आग्रह किया कि वह कार्बन कैप्चर और रिमूवल तकनीकों को बढ़ावा दें।

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