देश में पहली बार वॉटरबॉडीज़ की गणना जारी हुई जिसमें पाया गया कि 97 प्रतिशत वॉटरबॉडीज़ ग्रामीण क्षेत्र में है।

देश में पहली बार हुई वॉटर बॉडीज़ की गणना

जलशक्ति मंत्रालय ने पहली बार देश में वॉटरबॉडीज़ (जलाशय, तालाब, वॉटरटैंक आदि) की गणना पर रिपोर्ट जारी की है। साल 2016 में संसद की स्थाई समिति ने कहा था कि इस गणना की ज़रूरत है और 2018-19 में सरकार ने छठी लघु सिंचाई गणना (माइनर इरिगेशन सेंसस) के साथ यह गणना भी करने को कहा। गणना में पता चला है कि देश में कुल 24,24,540 वॉटरबॉडी हैं। इनमें 78% मानवनिर्मित और 22% प्राकृतिक हैं। गणना में पाया गया कि सबसे अधिक 7.47 लाख जल निकाय पश्चिम बंगाल में हैं।  

सेंसस के मुताबिक वॉटरबॉडीज़ में सबसे अधिक करीब 60% (करीब 14.43 लाख) तालाब हैं और 0.9 प्रतिशत (22,361) झीलें हैं। यह पाया गया कि 1.6 % वॉटरबॉडीज़ पर क़ब्ज़ा किया गया है जिनकी कुल संख्या 38,496 बनती है। वैसे सरकार ने इस गणना में 7 विशेष प्रकार की वॉटरबॉडीज़ को नहीं गिना है जिनमें समुद्र और खारे पानी की झील के अलावा नदी, झरने, नहरें (बहता पानी), स्विमिंग पूल, ढके गये जलटैंक, फैक्ट्रियों द्वारा अपने प्रयोग के लिये बने टैंक, खनन से बना अस्थाई जलजमाव और जानवरों और पीने के पानी के लिये बना पक्का वॉटर टैंक शामिल है।  

चीन को पीछे छोड़ भारत बना दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश  

आबादी के मामले में अब भारत नंबर वन है। संयुक्त राष्ट्र की ताज़ा द स्टेट ऑफ पापुलेशन रिपोर्ट (2023) बताती है कि भारत की आबादी अब 142 करोड़ 86 लाख हो गई है जबकि चीन की आबादी 142 करोड़ 57 लाख है। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के मुताबिक भारत की आबादी पिछले साल 140.6 करोड़ थी और साल भर में 1.56 प्रतिशत की बढ़त के साथ वह नंबर वन देश बन गया है। पूरी दुनिया की आबादी 804.50 करोड़ हो गई है। 

भारत की कामकाजी उम्र वाली आबादी (जो कि 15 से 64 वर्ष की आयु के लोग हैं) कुल जनसंख्या का दो-तिहाई है और इनकी संख्या 95 करोड़ से अधिक है। चीन की आबादी भारत से करीब 30 लाख कम है हालांकि वहां भी 15 से 64 आयुवर्ग के लोग कुल आबादी के दो-तिहाई से थोड़ा अधिक 69% ही हैं। भारत आज सर्वाधिक युवा शक्ति वाला देश है जहां 15 से 24 आयुवर्ग के 25 करोड़ से अधिक लोग रहते हैं। 

क्लाइमेट प्रभावों के आगे बेबस ला निना; चरम मौसमी घटनाओं ने तोड़ा रिकॉर्ड 

विश्व मौसम विज्ञान संगठन यानी डब्लूएमओ ने अपनी ताज़ा स्टेट ऑफ द ग्लोबल क्लाइमेट रिपोर्ट में जलवायु परिवर्तन के प्रभावों और इसके कारण हो रही चरम मौसमी घटनाओं को लेकर चेतावनी दी है। संगठन के महासचिव ने अपने बयान में कहा है कि ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में वृद्धि के साथ जलवायु परिवर्तन का ग्राफ तेज़ी से ऊपर जा रहा है और चरम मौसमी घटनाओं (एक्सट्रीम वेदर इवेंट्स ) से मानव जीवन प्रभावित हो रहा है। 

पिछले तीन सालों में लगातार ला निना प्रभाव के हावी रहने के बावजूद – ला निना प्रभान होने पर जलवायु ठंडी रहती है – धरती को कोई राहत नहीं मिली और साल 2022 में धरती की तापमान वृद्धि 1.15 डिग्री दर्ज की गई और  एक्सट्रीम वेदर घटनायें हुईं। साल 2022 में जहां पूर्वी अफ्रीका में लगातार सूखा पड़ा वहीं पाकिस्तान में रिकॉर्ड बारिश हुई और चीन, यूरोप और भारत लू की चपेट में रहे। डब्लू एम ओ की रिपोर्ट कहती है कि जलवायु परिवर्तन प्रभावों के कारण भारी संख्या में लोगों का पलायन, खाद्य असुरक्षा और अर्थव्यवस्था को करोड़ो डॉलर की क्षति का सामना करना पड़ा। 

भारत की जीडीपी पर हीटवेव का बुरा प्रभाव 

नये शोध बताते हैं कि एक ओर हीटवेव का भारत की कृषि, अर्थव्यवस्था और जन स्वास्थ्य पर “अभूतपूर्व बोझ” पड़ रहा है और दूसरी ओर जलवायु परिवर्तन के कारण ग़रीबी, असामानता और बीमारियां कम करने के दीर्घकालिक प्रयासों पर चोट पड़ रही है।  कैंब्रिज विश्वविद्यालय के शोधार्थियों के अध्ययन से जानकारी मिली है कि पिछले 30 साल में लू लगने के कार 24,000 से अधिक लोगों की मौत हुई है और इस कारण वायु प्रदूषण और हिमनदों के पिघलने की रफ्तार बढ़ी है। 

यह महत्वपूर्ण है क्योंकि आंकड़ों के मुताबिक भारत की करीब 50 प्रतिशत वर्कफोर्स बाहर धूप में काम करना पड़ता है चाहे हालात कितने ही कठिन क्यों न हों। कुल श्रमिकों में 18 प्रतिशत कृषि में लगे हैं। कड़ी धूप में काम करने वाले ये सभी श्रमिक देश के सबसे ग़रीब लोगों में हैं और इनके लिये काम सबसे कठिन परिस्थितियों में होता है। बाहर काम करने वाली वर्कफोर्स की कुल संख्या 23 करोड़ से अधिक है। स्पष्ट रूप से अर्थव्यवस्था पर इसका प्रभाव समझा जा सकता है।  भारत में पिछले साल इतिहास का सबसे अधिक गर्म मार्च दर्ज किया गया और इस साल फरवरी में रिकॉर्ड तापमान रहा। साल 2023 में अप्रैल आते-आते 11 राज्य हीटवेव की चपेट में हैं

शोधकर्ताओं का कहना है कि 2050 तक एक्सट्रीम हीट के कारण बाहर खुले में काम करने वाली 48 करोड़ आबादी की कार्यक्षमता में 15% गिरावट होगी और जीवन की गुणवत्ता पर असर होगा। इससे सदी के मध्य तक जीडीपी 2.8% घटेगी।  पिछले साल प्रकाशित हुई क्लाइमेट ट्रांसपरेंसी रिपोर्ट के मुताबिक तापमान में अत्यधिक बढ़ोतरी से साल 2021 में जीडीपी पर 5.4% का प्रभाव पड़ा। 

फ्रांस-स्पेन की सीमा पर भीषण आग 

स्पेन की कटालोनिया फायर ब्रिगेड द्वारा जारी की गई वीडियो फुटेज में स्पेन और फ्रांस की सीमा पर भारी आग के दृश्य हैं जिन्हें अग्नि शमन कर्माचारी बुझाने की कोशिश में दिख रहे हैं। फ्रांस के गांवों से शुरू होकर यह आग स्पेन की सीमा में फैलती दिख रही है। करीब 1000 हेक्टेयर क्षेत्र में फैली इस आग को बुझाने की कोशिश दोनों तरफ के अग्निशमन कर्मी करते दिख रहे हैं। पूरे यूरोप में शुष्क सर्दियों और वसंत के मौसम के बाद गर्मी की शुरुआत में आग की घटनायें बार-बार हो रही हैं। रिसर्च बताती हैं कि यूरोप के अधिकांश हिस्से पूरी धरती के गर्म होने की औसत रफ्तार से दोगुना तेज़ी से गर्म हो रहे हैं और इसलिये ऐसी घटनायें अधिक चिन्ता का विषय हैं।

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