देश में बड़े शहरों वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंचने के लिये तय नीति (ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान यान जीआरएपी) में बदलाव किया गया है। अब दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण कम करने के आपातकालीन कदम हवा की क्वॉलिटी खराब होने के पूर्वानुमान के आधार पर उठाये जायेंगे जबकि पहले यह कदम एयर क्वॉलिटी के एक स्तर से अधिक गिर जाने पर उठाये जाते थे। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बाद नीति में बदलाव कर कमीशन फॉर एयर क्वॉलिटी मैनेजमेंट (सीएक्यूएम) ने यह फैसला लिया है। नई रणनीति के तहत प्रस्ताव है कि एयर क्वालिटी इंडेक्स के बहुत खराब (सीवियर) होने पर बीएस-4 डीज़ल वाहनों पर भी रोक लगाई जाये।
सीएक्यूएम ने फैसला किया है कि 2026 के बाद दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में कोई डीज़ल ऑटो नहीं चलेगा। साथ ही 1 जनवरी 2023 से दिल्ली-एनसीआर में केवल सीएनजी वाले ऑटोरिक्शा ही पंजीकृत होंगे।
बाहरी प्रदूषण के साथ घरेलू प्रदूषण रोकने की सलाह
वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में बाहरी वायु प्रदूषण के साथ घरेलू प्रदूषण पर नियंत्रण करने पर ज़ोर दिया है। कम आय वर्ग में चूल्हों से उठने वाला धुंआं स्वास्थ्य के बड़ा ख़तरा है जिससे महिलायें और छोटे बच्चे सबसे अधिक प्रभावित होते हैं। कमीशन ने सलाह दी है कि प्रवासी मज़दूरों और काम के सिलसिले में यहां-वहां भटकने वाली आबादी को इंडक्शन स्टोव दिलवाये जायें। यह सिफारिशें दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता को बेहतर करने की मुहिम के अंतर्गत हैं। ग्लोबल बर्डन ऑफ डिज़ीज के अध्ययन के मुताबिक दुनिया में हर साल 10 लाख लोगों की मौत के पीछे घरेलू प्रदूषण ज़िम्मेदार होता है।
वायु प्रदूषण और जीवन प्रत्याशा में संबंध बताने के लिये कोई आंकड़ा उपलब्ध नहीं
सरकार ने एक बार फिर वायु प्रदूषण से हो रही मौतों से पल्ला झाड़ने की कोशिश की है। सरकार ने संसद में कहा है कि उसके पास ऐसा कोई डाटा उपलब्ध नहीं है जिससे वायु प्रदूषण और लोगों की मौत का कोई संबंध स्थापित हो सके। केंद्रीय पर्यावरण राज्य मंत्री अश्विनी चौबे ने सोमवार को लोकसभा में कहा कि ख़राब एयर क्वॉलिटी इंडेक्स और और लोगों की जीवन प्रत्याशा में कोई सीधा रैखिक संबंध नहीं है जैसा कि द एनर्जी पॉलिसी इंस्टिट्यूट (यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो) की एयर क्वॉलिटी लाइफ इंडेक्स रिपोर्ट में माना गया है। चौबे ने कहा कि इस बारे में कोई निर्णायक आंकड़े नहीं हैं जो बता सकें कि खराब हवा का मौतों से कोई रिश्ता है। हालांकि एयर क्वॉलिटी लाइफ इंडेक्स रिपोर्ट में पिछले महीने कहा गया था कि भारत में वायु प्रदूषण जीवन के लिये सबसे बड़ा खतरा है और अगर विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानकों का पालन नहीं हुआ तो एक इंसान का जीवन 5 साल कम हो सकता है।
दो साल पहले, हमने अंग्रेजी में एक डिजिटल समाचार पत्र शुरू किया जो पर्यावरण से जुड़े हर पहलू पर रिपोर्ट करता है। लोगों ने हमारे काम की सराहना की और हमें प्रोत्साहित किया। इस प्रोत्साहन ने हमें एक नए समाचार पत्र को शुरू करने के लिए प्रेरित किया है जो हिंदी भाषा पर केंद्रित है। हम अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद नहीं करते हैं, हम अपनी कहानियां हिंदी में लिखते हैं।
कार्बनकॉपी हिंदी में आपका स्वागत है।
आपको यह भी पसंद आ सकता हैं
-
दिल्ली में इस साल भी बैन रहेंगे पटाखे, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कहीं और जाकर जलाएं
-
दिल्लीवासियों के लगभग 12 साल खा रहा है वायु प्रदूषण: रिपोर्ट
-
वायु प्रदूषण एंटीबायोटिक प्रतिरोधक क्षमता को दे रहा है बढ़ावा
-
वायु प्रदूषण से भारत की वर्ष-दर-वर्ष जीडीपी वृद्धि 0.56% अंक कम हुई: विश्व बैंक
-
देश के 12% शहरों में ही मौजूद है वायु गुणवत्ता मॉनिटरिंग प्रणाली