सरकार ने वन संरक्षण नियमों में ऐसे बदलाव किये हैं जिससे आदिवासियों की स्वीकृति के बिना ही जंगलों को काटा जा सकता है। समाचार पोर्टल न्यूज़लॉन्ड्री में छपी लैंड कॉन्फिक्ट वॉच की रिपोर्ट बताती है कि पिछली 28 जून को को सरकार ने वन संरक्षण नियम 2022 को नोटिफाई किया। ये नियम केंद्र सरकार की, आदिवासियों के उनके पारम्परिक जंगलों पर अधिकारों को सुनिश्चित करने और वनों को काटने से पहले उनकी रजामंदी की जिम्मेदारी राज्य सरकारों पर डाल देंगे। सरकार के रिकॉर्ड बताते हैं कि वन संरक्षण नियमों में यह परिवर्तन, कई मंत्रालयों, असफल परियोजनाओं और 2015 में जनजातीय मामलों का मंत्रालय के द्वारा दी गई कड़ी कानूनी चेतावनी के बाद आया है। यह मंत्रालय वन अधिकार अधिनियम के लागू किए जाने को सुनिश्चित करता है।
मध्य प्रदेश: राज्य प्रदूषण बोर्ड के आंकड़ों में खामियां, एनजीटी ने मांगी रिपोर्ट
मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने बायो मेडिकल वेस्ट के प्रबंधन को लेकर जो आंकड़े वेबसाइट में डाले हैं उनमें कई कमियां हैं। यह बात नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल द्वारा गठित समिति की जांच में सामने आई हैं। समिति ने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा है कि बायो मेडिकल वेस्ट को इकट्ठा करने और उसके निपटान के मामले में दिये गये आंकड़ों में भी काफी अंतर है। जो सुविधायें उपलब्ध हैं उनकी क्षमता 30 प्रतिशत कम पाई गई है। अब एनजीटी ने इस बारे में विस्तार से रिपोर्ट देने को कहा है।
वन विभाग ने 200 से अधिक पेड़ काटने के लिये गाज़ियाबाद नगर निगम पर किया मुकदमा
दिल्ली से सटे गाज़ियाबाद में वन विभाग ने बिना अनुमति के 200 से अधिक अलग अलग प्रजातियों के पेड़ काटने के लिये जीडीए के ऊपर मुकदमा किया है। पर्यावरण के मामलों पर काम करने वाले एक वकील की शिकायत पर बागवानी विभाग के कर्मचारियों पर गाज़ियाबाद में उत्तर प्रदेश के प्रोटेक्शन ऑफ ट्री एक्ट 1976 के तहत यह मुकदमा किया गया है। वन विभाग का कहना है कि इस अपराध के लिये 10 हज़ार रुपये की पेनल्टी लगाकर हार्टिकल्चर डिपार्टमेंट को सूचित कर दिया गया है। महत्वपूर्ण है कि गाज़ियाबाद दुनिया के प्रदूषित शहरों की लिस्ट में लगातार पहले नंबर पर आता रहा है।
जलवायु संकट से लड़ने के लिये बाइडेन कुछ खास नहीं कर रहे: डेमोक्रेट
अमेरिका में डेमोक्रेट पार्टी के 80% वोटरों का मानना है कि राष्ट्रपति जो बाइडेन जलवायु संकट पर पर्याप्त कदम नहीं उठा रही है। प्यू रिसर्च सेंटर सर्वे ने करीब 10,000 वयस्कों से बात कर सर्वे किया। सर्वे के नतीजे बताते हैं कि पर्यावरण और जलवायु संकट पर हालांकि लोग पार्टी लाइन के आधार पर बंटे हैं। जहां केवल 15% रिपब्लिकन सोचते हैं कि बाइडेन की नीतियां देश को सही दिशा में ले जा रही हैं वहीं 79% डेमोक्रेट इसी मुद्दे पर बाइडेन के पक्ष में हैं।
लेकिन दोनों ही पार्टियों के ज़्यादातर युवा वोटरों में इस बात को लेकर निराशा है कि क्लाइमेट चेंज के महत्वपूर्ण विषयों पर बाइडेन सरकार बहुत धीमी रफ्तार से काम कर रही है। बाइडेन की लोकप्रियता बहुत तेज़ी से गिरी है और तेल-गैस कंपनियों के करीबी डेमोक्रेट सीनेटर जो मेंचिन और रिपब्लिक के कारण बाइडेन के क्लाइमेट लक्ष्यों से जुड़े कानून अटके हैं और लगता नहीं कि अमेरिका अपने क्लाइमेट टार्गेट हासिल कर पायेगा।
दो साल पहले, हमने अंग्रेजी में एक डिजिटल समाचार पत्र शुरू किया जो पर्यावरण से जुड़े हर पहलू पर रिपोर्ट करता है। लोगों ने हमारे काम की सराहना की और हमें प्रोत्साहित किया। इस प्रोत्साहन ने हमें एक नए समाचार पत्र को शुरू करने के लिए प्रेरित किया है जो हिंदी भाषा पर केंद्रित है। हम अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद नहीं करते हैं, हम अपनी कहानियां हिंदी में लिखते हैं।
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